Shivpuri News: विशेषज्ञ डॉक्टरों का अकाल: प्रशिक्षित गौ सेवकों के सहारे टिका पशु चिकित्सा विभाग

Bhopal Samachar

शिवपुरी। स्टाफ की कमी के फेर में जिले में पशु चिकित्सा विभाग की हालत दयनीय है। लगभग 7 लाख पशुओं वाले शिवपुरी जिले में डॉक्टरों की संख्या इतनी कम है कि समय पर किसी भी पशु को इलाज मिल पाना मुश्किल हो गया है। नियम के अनुसार प्रत्येक 5 हजार पशुओं पर एक डॉक्टर होना चाहिए और 7 लाख पशु के हिसाब से जिले में कम से कम 145 डॉक्टरों की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 22 डॉक्टर ही काम कर रहे हैं। जबकि जिले में डॉक्टरों के 55 स्वीकृत पद हैं। ऐसे में 60 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त पड़े हैं।

सबसे गंभीर स्थिति पोहरी, पिछोर और खनियांधाना में है। जिले में पशु चिकित्सा सेवाएं पूरी तरह चरमराई हुई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पशु पालक भी लगातार शिकायत कर रहे हैं कि समय पर डॉक्टर उपलब्ध न होने से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालात यह हैं कि एक-एक डॉक्टर पर तीन-तीन पशु अस्पतालों का अतिरिक्त प्रभार है और ऐसे में वह डॉक्टर अपने अस्पताल के साथ अन्य पर भी समय पर काम नहीं कर पा रहा।

कहां कितने डॉक्टरों की जरूरत
पोहरी क्षेत्र में चार डॉक्टरों की आवश्यकता है, लेकिन कार्यरत केवल दो हैं। वहीं बैराड़, छर्च और ककरौआ में डॉक्टरों के पद पूरी तरह से खाली पड़े हैं। पिछोर में चार पशु चिकित्सा अस्पताल संचालित हो रहे हैं, लेकिन उनकी जिम्मेदारी सिर्फ एक डॉक्टर के कंधों पर है। खनियांधाना में भी चार अस्पताल हैं, जिनमें तैनाती मात्र एक डॉक्टर की है। यहां बीते महीने से लम्पी वायरस का प्रकोप भी देखा जा रहा है। डॉक्टरों का अभाव होने के कारण पशुओं को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है।

1400 गांव में 300 गोसेवकों से ले रहे मदद
स्टाफ की कमी को देखते हुए पशु चिकित्सा विभाग को अब 300 गोसेवकों की मदद लेनी पड़ रही है। इन्हें ग्राम पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण देने के बाद पशुओं की प्राथमिक देखरेख में शामिल किया गया है। शिवपुरी जिले की 600 ग्राम पंचायतों में लगभग 1400 गांव आते हैं, जिनकी चिकित्सा जरूरतें मौजूदा डॉक्टर और सहायक स्टाफ के लिए भारी बोझ बन चुकी हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार डॉक्टरों की कमी से न केवल इलाज में देरी होती है, बल्कि समय पर टीकाकरण न होने से पशुओं में बीमारियों फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है।

जहां 20 सहायक अधिकारी स्वीकृत, वहां 6 कर रहे काम
जिले में सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्राधिकारी के पदों पर भी भारी कमी है। पिछोर और खनियाधाना क्षेत्र में जहां 10-10 सहायक अधिकारी स्वीकृत हैं, वहां पर केवल 3-3 अधिकारी ही सेवाएं दे रहे हैं। जबकि जिले में इनकी कुल संख्या 55 बताई गई है। इन्हीं सहायक अधिकारियों पर टीकाकरण, प्राथमिक उपचार और ग्रामीण क्षेत्रों में फैलने वाली पशु बीमारियों की रोकथाम का बड़ा दायित्व होता है। वर्तमान स्थिति में प्रत्येक सहायक अधिकारी को लगभग 25 गांवों का जिम्मा सौंपा गया है, जो व्यावहारिक रूप से असंभव सा है।

अधिकारी का पक्ष
डॉक्टरों व अन्य स्टाफ की भर्ती की प्रक्रिया भोपाल स्तर से होती है। शिवपुरी जिले में स्टाफ की जो कमी है, उसके बारे में हम वरिष्ठ अधिकारियों को बता चुके हैं। अभी कुछ दिन पहले डॉक्टरों के चयन की प्रक्रिया भी हुई है। हो सकता है कि कुछ डॉक्टर मिल जाएं।
डॉ. आई.आर. शर्मा, उप संचालक, पशु चिकित्सा विभाग।