शिवपुरी। कुटीर की किस्त और कुटीर की मांग के लिए 02 अलग-अलग ग्राम पंचायतों के 57 आदिवासी परिवारों ने सोमवार को देर शाम कलेक्ट्रेट में डेरा डाल दिया। आदिवासी परिवार कलेक्टर की कार के आगे बैठ गए ताकि कलेक्टर उनकी सुनवाई किए बिना वहाँ से न जा सकें। आदिवासी महिलाओं का कहना है कि अगर उनकी सुनवाई नहीं हुई तो वह रात भर कलेक्ट्रेट में ही डेरा डाले रहेंगे।
आदिवासी परिवारों का आरोप है कि पंचायत के सचिव ने उनसे सीईओ के नाम पर दस-दस हजार रुपये वसूल लिए हैं, इसके बावजूद भी उनकी कुटीर की किस्त नहीं डाली है।
जानकारी के अनुसार सोमवार की देर शाम बमोरी के 27 आदिवासी परिवार कलेक्ट्रेट में धरने पर बैठे हुए थे। जब इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था कि उनके गाँव में पंचायत सचिव रामसिंह ने जनमन आवास योजना के तहत कुटीर स्वीकृत की थी। नियमानुसार उनके खाते में दो-दो लाख रुपये आना था। महिला रामकली आदिवासी के अनुसार सचिव राय सिंह ने कुटीर की किस्तों के कमीशन के रूप में सीईओ को दस-दस हजार रुपये देने को बोलकर ले लिए।
इसके बावजूद उनके खाते में दो लाख की जगह 1 लाख 75 हजार रुपये डाले गए। अब शेष पैसा डालने से मना कर रहे हैं। यही कारण है कि अंत में उन्हें यहाँ आना पड़ा है। यह सुबह से आकर कलेक्टर से मिलने के लिए भटकते रहे, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो सकी। यही कारण है कि शाम 5 बजे से वह कलेक्ट्रेट पर बैठे हैं और कलेक्टर से न्याय की मांग कर रहे हैं।
इसी प्रकार ग्राम पंचायत करई अहमदपुर के मजरा शंकरपुर से आए 30 आदिवासी परिवारों ने भी कलेक्ट्रेट में यह कहते हुए डेरा डाल रखा है कि उन्हें आखिर कुटीर क्यों स्वीकृत नहीं की जा रही है। उनके लिए शासन ने हैंडपंप लगवा दिया है।
लाइट भी गाँव तक पहुँच गई है, परंतु पंचायत का सचिव यह कहता है कि तुम्हें यहाँ कुटीर नहीं मिलेगी, जबकि हम 25 से साल से यहाँ रह रहे हैं और वोट डाल रहे हैं। महिलाओं का कहना था कि जब तक कलेक्टर समस्या का समाधान नहीं करेंगे तब तक यह यहीं बैठे रहेंगे।
आदिवासी परिवारों का आरोप है कि पंचायत के सचिव ने उनसे सीईओ के नाम पर दस-दस हजार रुपये वसूल लिए हैं, इसके बावजूद भी उनकी कुटीर की किस्त नहीं डाली है।
जानकारी के अनुसार सोमवार की देर शाम बमोरी के 27 आदिवासी परिवार कलेक्ट्रेट में धरने पर बैठे हुए थे। जब इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था कि उनके गाँव में पंचायत सचिव रामसिंह ने जनमन आवास योजना के तहत कुटीर स्वीकृत की थी। नियमानुसार उनके खाते में दो-दो लाख रुपये आना था। महिला रामकली आदिवासी के अनुसार सचिव राय सिंह ने कुटीर की किस्तों के कमीशन के रूप में सीईओ को दस-दस हजार रुपये देने को बोलकर ले लिए।
इसके बावजूद उनके खाते में दो लाख की जगह 1 लाख 75 हजार रुपये डाले गए। अब शेष पैसा डालने से मना कर रहे हैं। यही कारण है कि अंत में उन्हें यहाँ आना पड़ा है। यह सुबह से आकर कलेक्टर से मिलने के लिए भटकते रहे, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो सकी। यही कारण है कि शाम 5 बजे से वह कलेक्ट्रेट पर बैठे हैं और कलेक्टर से न्याय की मांग कर रहे हैं।
इसी प्रकार ग्राम पंचायत करई अहमदपुर के मजरा शंकरपुर से आए 30 आदिवासी परिवारों ने भी कलेक्ट्रेट में यह कहते हुए डेरा डाल रखा है कि उन्हें आखिर कुटीर क्यों स्वीकृत नहीं की जा रही है। उनके लिए शासन ने हैंडपंप लगवा दिया है।
लाइट भी गाँव तक पहुँच गई है, परंतु पंचायत का सचिव यह कहता है कि तुम्हें यहाँ कुटीर नहीं मिलेगी, जबकि हम 25 से साल से यहाँ रह रहे हैं और वोट डाल रहे हैं। महिलाओं का कहना था कि जब तक कलेक्टर समस्या का समाधान नहीं करेंगे तब तक यह यहीं बैठे रहेंगे।