शिवपुरी। सरकार सिर्फ जनता की सुविधाओं का प्रचार प्रसार करती है लेकिन वास्तव मे जमीन की तस्वीर कुछ अलग नजर आती है। सरकार शिक्षा के नाम पर सिर्फ निर्माण ही दिखता है लेकिन इस निर्माण रूपी इमारतों में बच्चों का भविष्य से कैसे खिलवाड़ किया जाता है इसके उदाहरण समय समय पर सामने आते है,लेकिन एक नियम के दो पहलू यहां दिखाई देते है कि सरकारी स्कूल से आवश्यक एक शिक्षा के अंग के नियम को विलोपित कर दिया है वही प्राइवेट स्कूलों में इस गाइडलाइन का पालन आवश्यक है,हम बात कर रहे है सरकारी स्कूलों में से गायब होती शारीरिक शिक्षा की,
क्योंकि शिवपुरी शहर में मौजूद प्रदेश का एकमात्र शासकीय तात्या टोपे शारीरिक प्रशिक्षण संस्थान (फिजिकल कॉलेज) पिछले तीन साल वर्ष 2022-23 से बंद हालत में पड़ा है। अब इस कॉलेज में कभी-कभी स्कूल शिक्षा विभाग की कुछ खेल प्रतियोगिताएं जरूर होती है, लेकिन जो यहां पर फिजिकल एजुकेशन से संबंधित कोर्स होते हैं, वह बंद हो गए हैं। ऐसे में करोड़ों रुपए की लागत से बना यह कॉलेज बदहाल हालत में होता जा रहा है। हालांकि शिवपुरी विधायक देवेन्द्र जैन से लेकर अन्य जनप्रतिनिधियों ने इस कॉलेज को फिर से चालू करने के लिए प्रयास किए, लेकिन वह प्रयास आधे-अधूरे रह गए।
जानकारी के मुताबिक शिवपुरी में 45 बीघा जमीन में यह फिजिकल कॉलेज वर्ष 1956 से संचालित है। इस कॉलेज में खेलों से संबंधित सीपीएड व डीपीएड दो कोर्स चलते हैं। इसमें 55 विद्यार्थी शासकीय कोटे से तो 55 नए विद्यार्थी होते थे। बड़ी बात यह है कि इस कॉलेज में यह दोनों कोर्स करने के लिए प्रदेश भर के साथ आसपास के प्रदेशों से भी लोग आते थे। वर्ष 2022-23 में पहले के जनप्रतिनिधियों ने इस कॉलेज को स्कूल शिक्षा विभाग से खेल युवक कल्याण विभाग में स्थानांतरित करने के लिए कैबिनेट से प्रस्ताव पारित भी करा दिया और इस कॉलेज में कई सालों से चलने वाले कोर्स पर रोक लगा दी।
बाद में खेल युवक कल्याण विभाग ने बजट के साथ पर्याप्त स्टाफ न होने का हवाला देकर फिजिकल कॉलेज को अपने विभाग में लेने से इंकार कर दिया। तब से लेकर अभी तक यह मामला अधर में लटका हुआ है, न तो यह कॉलेज अभी शिक्षा विभाग में है और न ही यह खेल युवक कल्याण विभाग के पास पहुंचा है। इस स्थिति में साल दर साल स्टॉफ सेवानिवृत होने के बाद कम होता जा रहा है। कुछ सालों पूर्व इस कॉलेज में जहां 40 से 50 का स्टाफ होता था, पर आज वर्तमान समय में यहां पर महज 11 लोगों का स्टॉफ है। इनमें एक प्राचार्य व बाबू के अलावा चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी शामिल है।
जब से इस कॉलेज में डीपीएड व सीपीएड कोर्स होना बंद हुए है। तब से इस कॉलेज के लिए किसी प्रकार का कोई बजट नहीं आता। महज प्राचार्य से लेकर कर्मचारियों का वेतन जरूर आता है। ऐसे में कॉलेज के अंदर मौजूद पूरा हॉस्टल व खेल मैदान पूरी तरह से जर्जर हालत में होते जा रहे है। जबकि 8 से 10 साल पहले ही इस कॉलेज में लाखों रुपए की लागत से शानदार खेल मैदान बनाया गया था। अब उस मैदान का उपयोग न होने से वह जर्जर हालत में है। स्थिति यह है कि चुनाव से लेकर आर्मी भर्ती जैसे काम यहां पर होते है।
-
इस कॉलेज में फीस, ड्रेस से लेकर हॉस्टल में रहने व खाने में एक विद्यार्थी का महज 3 हजार रुपए महीना का खर्च होता था और लोग आसानी से कम पैसे में यह खेल से जुड़े कोर्स कर लेते थे। अब लोगों को यही कोर्स हजारों रुपए हर माह देकर निजी कॉलेजों से करना पड़ रहा है। हर निजी स्कूल से लेकर शासकीय स्कूलों में खेल शिक्षक की जगह होती है। हालांकि खेल शिक्षकों की कमी के चलते हर शासकीय स्कूल में तो खेल शिक्षक नहीं है, लेकिन हर निजी स्कूल में इन खेल शिक्षकों का पद जरूर होता है।
अब नए खेल शिक्षक न बनने से आगामी समय में खेल शिक्षकों की भारी कमी होगी।
वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में है पूरा मामला
तीन साल पहले यह फिजिकल कॉलेज स्कूल शिक्षा विभाग से खेल युवक कल्याण विभाग में जा रहा था। इसके लिए कैबिनेट से प्रस्ताव भी पास हो गया था। बाद में खेल युवक कल्याण विभाग ने कुछ परेशानियां बताकर कॉलेज को हैंडओवर करने से मना कर दिया। तब से कोर्स भी बंद है। अब कोई बजट भी नहीं आता। पूरा मामला वरिष्ठ अधिकारियों के पास है।
वीरेन्द्र सिंह वर्मा, प्राचार्य, फिजिकल कॉलेज, शिवपुरी।
क्योंकि शिवपुरी शहर में मौजूद प्रदेश का एकमात्र शासकीय तात्या टोपे शारीरिक प्रशिक्षण संस्थान (फिजिकल कॉलेज) पिछले तीन साल वर्ष 2022-23 से बंद हालत में पड़ा है। अब इस कॉलेज में कभी-कभी स्कूल शिक्षा विभाग की कुछ खेल प्रतियोगिताएं जरूर होती है, लेकिन जो यहां पर फिजिकल एजुकेशन से संबंधित कोर्स होते हैं, वह बंद हो गए हैं। ऐसे में करोड़ों रुपए की लागत से बना यह कॉलेज बदहाल हालत में होता जा रहा है। हालांकि शिवपुरी विधायक देवेन्द्र जैन से लेकर अन्य जनप्रतिनिधियों ने इस कॉलेज को फिर से चालू करने के लिए प्रयास किए, लेकिन वह प्रयास आधे-अधूरे रह गए।
जानकारी के मुताबिक शिवपुरी में 45 बीघा जमीन में यह फिजिकल कॉलेज वर्ष 1956 से संचालित है। इस कॉलेज में खेलों से संबंधित सीपीएड व डीपीएड दो कोर्स चलते हैं। इसमें 55 विद्यार्थी शासकीय कोटे से तो 55 नए विद्यार्थी होते थे। बड़ी बात यह है कि इस कॉलेज में यह दोनों कोर्स करने के लिए प्रदेश भर के साथ आसपास के प्रदेशों से भी लोग आते थे। वर्ष 2022-23 में पहले के जनप्रतिनिधियों ने इस कॉलेज को स्कूल शिक्षा विभाग से खेल युवक कल्याण विभाग में स्थानांतरित करने के लिए कैबिनेट से प्रस्ताव पारित भी करा दिया और इस कॉलेज में कई सालों से चलने वाले कोर्स पर रोक लगा दी।
बाद में खेल युवक कल्याण विभाग ने बजट के साथ पर्याप्त स्टाफ न होने का हवाला देकर फिजिकल कॉलेज को अपने विभाग में लेने से इंकार कर दिया। तब से लेकर अभी तक यह मामला अधर में लटका हुआ है, न तो यह कॉलेज अभी शिक्षा विभाग में है और न ही यह खेल युवक कल्याण विभाग के पास पहुंचा है। इस स्थिति में साल दर साल स्टॉफ सेवानिवृत होने के बाद कम होता जा रहा है। कुछ सालों पूर्व इस कॉलेज में जहां 40 से 50 का स्टाफ होता था, पर आज वर्तमान समय में यहां पर महज 11 लोगों का स्टॉफ है। इनमें एक प्राचार्य व बाबू के अलावा चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी शामिल है।
जब से इस कॉलेज में डीपीएड व सीपीएड कोर्स होना बंद हुए है। तब से इस कॉलेज के लिए किसी प्रकार का कोई बजट नहीं आता। महज प्राचार्य से लेकर कर्मचारियों का वेतन जरूर आता है। ऐसे में कॉलेज के अंदर मौजूद पूरा हॉस्टल व खेल मैदान पूरी तरह से जर्जर हालत में होते जा रहे है। जबकि 8 से 10 साल पहले ही इस कॉलेज में लाखों रुपए की लागत से शानदार खेल मैदान बनाया गया था। अब उस मैदान का उपयोग न होने से वह जर्जर हालत में है। स्थिति यह है कि चुनाव से लेकर आर्मी भर्ती जैसे काम यहां पर होते है।
-
इस कॉलेज में फीस, ड्रेस से लेकर हॉस्टल में रहने व खाने में एक विद्यार्थी का महज 3 हजार रुपए महीना का खर्च होता था और लोग आसानी से कम पैसे में यह खेल से जुड़े कोर्स कर लेते थे। अब लोगों को यही कोर्स हजारों रुपए हर माह देकर निजी कॉलेजों से करना पड़ रहा है। हर निजी स्कूल से लेकर शासकीय स्कूलों में खेल शिक्षक की जगह होती है। हालांकि खेल शिक्षकों की कमी के चलते हर शासकीय स्कूल में तो खेल शिक्षक नहीं है, लेकिन हर निजी स्कूल में इन खेल शिक्षकों का पद जरूर होता है।
अब नए खेल शिक्षक न बनने से आगामी समय में खेल शिक्षकों की भारी कमी होगी।
वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में है पूरा मामला
तीन साल पहले यह फिजिकल कॉलेज स्कूल शिक्षा विभाग से खेल युवक कल्याण विभाग में जा रहा था। इसके लिए कैबिनेट से प्रस्ताव भी पास हो गया था। बाद में खेल युवक कल्याण विभाग ने कुछ परेशानियां बताकर कॉलेज को हैंडओवर करने से मना कर दिया। तब से कोर्स भी बंद है। अब कोई बजट भी नहीं आता। पूरा मामला वरिष्ठ अधिकारियों के पास है।
वीरेन्द्र सिंह वर्मा, प्राचार्य, फिजिकल कॉलेज, शिवपुरी।