शिवपुरी। शिवपुरी जिले में शनिवार की रात कोलारस विधानसभा के खतोरा क्षेत्र में 2 घंटे तक बारिश हुई इस बारिश के कारण किसानों की खेतो में पड़ी मक्का की फसल में नुकसान हो गया वही आज रविवार फिर संकट के बादल करैरा क्षेत्र में बसरने लगे जिससे खेतों मे कटाई के लिए खडी धान की फसल तेज हवा ओर पान भरने के कारण खेतो मे आडी हो गई। जिससे हार्वेस्टिंग संभव नहीं हो पा रही है।
जानकारी के अनुसार, करैरा क्षेत्र के समोहा, देहरेटा अब्बल, टोरिया, सड़, टोडा पमार, भांसडा, बेरखेड़ा, झंडा, मछावली और दावरभाट सहित कई गांवों में सुबह से ही बारिश जारी है। तेज हवा के साथ हो रही इस बारिश से खेतों में खड़ी धान की फसल बिछने लगी है।
समोहा गांव के किसान सुमित लोधी ने बताया कि बारिश और हवा के कारण कई किसानों की धान की फसल गिर गई है। उन्होंने आशंका जताई कि यदि बारिश जल्द नहीं रुकी तो खेतों में पानी भरने से फसलें सड़ सकती हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
किसानों का कहना है कि यदि अगले एक-दो दिन में मौसम सामान्य नहीं होता है, तो फसल की कटाई में काफी देरी होगी। इससे न केवल पैदावार पर असर पड़ेगा, बल्कि कटाई की लागत भी बढ़ सकती है।
उल्लेखनीय है कि इन दिनों किसानों ने अपने खेतों में उगाई मक्का की फसल कटवा ली है और हार्वेस्टिंग के उपरांत उन्हें खेत-खलिहानों में सुखा रहे हैं। इसी क्रम में शुक्रवार-शनिवार की दरम्यानी रात ग्राम मड़वासा, पीरौंठ, तरावली, रामगढ़, मैघोनाबड़ा, बरौदिया आदि गांव में तेज बारिश हुई। बारिश के कारण खेतों और खलियानों में सूखने के लिए बिखरी पड़ी मक्का पानी-पानी हो गई। किसानों का कहना है कि इन सभी गांवों में करीब 15 से 20 हजार बीघा जमीन पर मक्का की फसल बोई गई थी।
यह पूरी फसल किसानों के खेत, खलिहान और घर की छतों, आंगनों में सूखने की बिखरी पड़ी थी। पूरी फसल पानी में भीग गई, जिससे किसानों का लाखों रुपये का नुकसान हो गया। किसानों का कहना है कि कहीं कम तो कहीं ज्यादा ऐसे में प्रत्येक बीघा का औसत 8 क्विंटल के आसपास है। इस हिसाब से लगभग सवा लाख क्विंटल से भी अधिक फसल पानी में भीग गई है।
किसानों का कहना है कि पानी में भीगने के कारण एक और उसकी क्वालिटी खराब हो गई है, क्योंकि दाना काला पड़ जाएगा। वहीं दूसरी ओर भीगने के बाद जब दाने को धूप में सुखाया जाएगा तो उसका वजन कम हो जाएगा। ऐसे में क्वालिटी खराब होने के कारण उन्हें बाजार में फसल का पूरा भाव नहीं मिलेगा। दाने का वजन कम होने से उन्हें तोल का नुकसान होगा। इससे पूर्व बोबीनी के समय भी बारिश अधिक होने के कारण प्रत्येक बीघा में मक्का का उत्पादन सामान्य से कम हुआ है।
जानकारी के अनुसार, करैरा क्षेत्र के समोहा, देहरेटा अब्बल, टोरिया, सड़, टोडा पमार, भांसडा, बेरखेड़ा, झंडा, मछावली और दावरभाट सहित कई गांवों में सुबह से ही बारिश जारी है। तेज हवा के साथ हो रही इस बारिश से खेतों में खड़ी धान की फसल बिछने लगी है।
समोहा गांव के किसान सुमित लोधी ने बताया कि बारिश और हवा के कारण कई किसानों की धान की फसल गिर गई है। उन्होंने आशंका जताई कि यदि बारिश जल्द नहीं रुकी तो खेतों में पानी भरने से फसलें सड़ सकती हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
किसानों का कहना है कि यदि अगले एक-दो दिन में मौसम सामान्य नहीं होता है, तो फसल की कटाई में काफी देरी होगी। इससे न केवल पैदावार पर असर पड़ेगा, बल्कि कटाई की लागत भी बढ़ सकती है।
खतौरा में मक्का पर संकट
कोलारस अनुभाग अंतर्गत कई गांवों में शुक्रवार-शनिवार की दरम्यानी रात तेज बारिश हजारों किसानों की किस्मत पर कहर बनकर गिरी। बारिश के कारण उनके खेत-खलिहानों में सूख रही मक्का की फसल पानी में भीग गई। हालात यह बने कि आधी रात होने के कारण किसान कुछ नहीं कर सके, वह सिर्फ फसल को भीगते हुए देखते रहे।उल्लेखनीय है कि इन दिनों किसानों ने अपने खेतों में उगाई मक्का की फसल कटवा ली है और हार्वेस्टिंग के उपरांत उन्हें खेत-खलिहानों में सुखा रहे हैं। इसी क्रम में शुक्रवार-शनिवार की दरम्यानी रात ग्राम मड़वासा, पीरौंठ, तरावली, रामगढ़, मैघोनाबड़ा, बरौदिया आदि गांव में तेज बारिश हुई। बारिश के कारण खेतों और खलियानों में सूखने के लिए बिखरी पड़ी मक्का पानी-पानी हो गई। किसानों का कहना है कि इन सभी गांवों में करीब 15 से 20 हजार बीघा जमीन पर मक्का की फसल बोई गई थी।
यह पूरी फसल किसानों के खेत, खलिहान और घर की छतों, आंगनों में सूखने की बिखरी पड़ी थी। पूरी फसल पानी में भीग गई, जिससे किसानों का लाखों रुपये का नुकसान हो गया। किसानों का कहना है कि कहीं कम तो कहीं ज्यादा ऐसे में प्रत्येक बीघा का औसत 8 क्विंटल के आसपास है। इस हिसाब से लगभग सवा लाख क्विंटल से भी अधिक फसल पानी में भीग गई है।
किसानों का कहना है कि पानी में भीगने के कारण एक और उसकी क्वालिटी खराब हो गई है, क्योंकि दाना काला पड़ जाएगा। वहीं दूसरी ओर भीगने के बाद जब दाने को धूप में सुखाया जाएगा तो उसका वजन कम हो जाएगा। ऐसे में क्वालिटी खराब होने के कारण उन्हें बाजार में फसल का पूरा भाव नहीं मिलेगा। दाने का वजन कम होने से उन्हें तोल का नुकसान होगा। इससे पूर्व बोबीनी के समय भी बारिश अधिक होने के कारण प्रत्येक बीघा में मक्का का उत्पादन सामान्य से कम हुआ है।