शिवपुरी में हर माह 1.16 करोड़ का एक्सपोर्ट क्वालिटी का भूसा और आत्महत्या करने को मजबूर गौ माता

Bhopal Samachar

शिवपुरी। भाजपा के रामराज्य वाले सुशासन में हमारी गाय माता एक माह में एक करोड़ 16 लाख रुपए प्रतिमाह का भूसा खा रही है,फिर भी वह आत्महत्या करने को मजबूर है,प्रतिदिन खबरे मिलती है कि सड़क पर बैठी गायो को वाहन रौंद गया और गायों की मौत। इस पूरे प्रकरण मे सबसे खास बात है यह है कि सरकारी अनुदान से जीवित गौमाताए क्वालिटी वाला भूसा खा रही है,खरीदी में जो बिल प्राप्त हुए है वह भारत का सबसे अच्छी गुणवत्ता वाला एक्सपोर्ट क्वालिटी का भूसा खा रही है जिसकी कीमत 20 रुपए प्रति केजी है। बाकी बाजार में 10 रूपए किलो का भूसे का भाव है।

शिवपुरी जिले में शासकीय पंजीकृत गौशालाओं की संख्या 96 है,बताया जा रहा है कि इनमे से 59 गौशालाओं का अनुदान प्राप्त है यह सरकारी खर्चे पर संचालित है। इसन 59 अनुदान प्राप्त गौशालाओ पर प्रतिमाह एक करोड 16 लाख 86 हजार 160 रूपये की भारी भरकम रकम गौशालाओं को संचालित करने वाली समितियों को पंचायतों और समूहों के माध्यम से प्रदाय की जा रही है।  

एक्सपोर्ट क्वालिटी का भूसा खाने वाली गौमाता आत्महत्या करने सडक पर
शिवपुरी जिले में संचालित गौशालाओं में कई गौशालाए ऐसी है जिनकी क्षमता 150 से 1000 पशु की क्षमता है। इससे पूर्व एक गाय पर 20 रुपए का अनुदान मिलता था,जिसे बढ़ाकर 40 रुपए कर दिया है वही 5 रूपए चौकीदार को अतिरिक्त सहित टोटल 45 रुपए का अनुदान मिल रहा है। शिवपुरी जिले में लगभग सवा करोड़ रुपए की राशि गौवंश पर प्रतिमाह खर्च किया जा रहा है।

गौर करने योग्य है कि अनुदान प्राप्त करने के लिए समितियों द्वारा पेश किए गए बिल-व्हाऊचर में दर्शाया गया है कि प्रति गाय 45 रुपए के मान से राशि दी जाती है। लेकिन व्हाउचर में 3600 क्विंटल भूसा 72 हजार रुपए का खरीदना दर्शाया गया है। असलियत यह है कि बाजार में 10 किलो भूसा आसानी से मिल जाता है, जबकि व्हाउचर्स में 20 रुपए किलो की दर से खरीद दिखायी गई है। यह दर गेहूं के मूल्य के बराबर बताई गई है।

गौशाला संचालन का मूल उद्देश्य से भटककर भ्रष्टाचार तक जा पहुंचा
गौशाला संचालन का मूल उद्देश्य था कि बूढ़ी,बीमार ओर आवारा गायों की सेवा हो सके,हमारी गाय माता भूखी ना मरे सड़कों पर हादसो का शिकार ना हो सके। इसके लिए सरकारी नाम दिया गया जिसे आम भाषा में गोवंश का संरक्षण और संवर्धन कहते है। गौशालाओं का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य गोवंश की रक्षा करना और उनकी संख्या को बढ़ाना है। यह उन गायों, बैलों और बछड़ों को सुरक्षित स्थान देती हैं, जिन्हें उनके मालिक छोड़ देते हैं या जो बीमार और घायल होते हैं। गौशालाएं पशुओं को भोजन, पानी, चिकित्सा देखभाल और स्वच्छ वातावरण प्रदान करके उनके कल्याण को सुनिश्चित करती हैं,लेकिन गौशाला संचालन के जिम्मेदारों का गोवंश और संरक्षण से भटककर भ्रष्टाचार तक पहुंच गया।

दुर्दशा से पल पल मर रही है गाय
शिवपुरी जिले की अनुदान प्राप्त गौशालाओ में कई गौशाला में गाय भूखी मर रही है। कीचड़ और दलदल भरे वातावरण में रहने के कारण कीडे उन्हे पल पल मार रहे है। ना खाने की व्यवस्था है और नाही पानी की,बस संख्या बढ़ाने के लिए गौशाला में बंद कर दी है। कई बार जिले की गौशालाओं के इस प्रकार की वीडियो वायरल हुई है।

सडक पर आत्महत्या करने को मजबूर गोवंश
सरकार के द्वारा इतना पैसा खर्च करने के बाद भी शिवपुरी जिले की सड़कों से प्रतिदिन वाहनों के कुचली जा रहा है गोवंश,एकाध गाय के एक्सीडेंट की खबरें प्रकाशन में नहीं आती है इसलिए एक एक कर शिवपुरी जिले की सडको में गोवंश दुर्घटना का शिकार हुआ प्रकाशन में नहीं आता है लेकिन जब बड़ी संख्या मे गोवंश की मौत सड़क दुर्घटना मे होती है वह मामला मीडिया तक आता है और प्रकाशित होता है। कितनी मौत साल भर मे गोवंश की सड़क दुर्घटना मे हुई है यह अधिकृत आंकड़े किसी के पास नहीं है।

ब्लॉकवार गौशालाओं की स्थिति:
कुल पंजीकृत गौशालाएं: 96,संचालित: 59 (इनमें से 25 पंचायतों द्वारा और 34 समूहों द्वारा संचालित हैं) बंद: 37 है। इगर इस मान को ब्लॉक के हिसाब से लिखे तो इस प्रकार होगा कि  शिवपुरी में 08,कोलारस में 08,खनियाधाना में 13,पिछोर में 11,करैरा में 08,बदरवास में 08,नरवर और पोहरी में एक एक गौशाला अनुदान प्राप्त वाली संचालित है।