शिवपुरी। शिवपुरी जिले में इस वर्ष सामान्य से अधिक वर्षा होने के कारण कई क्षेत्रों में खरीफ फसलों को क्षति पहुँची है। इस स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग एवं कृषि विज्ञान केंद्र शिवपुरी द्वारा किसानों को वैकल्पिक एवं आकस्मिक कृषि कार्य योजना के तहत आवश्यक परामर्श दिया गया है।
किसान भाई जिन क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा से खरीफ फसलें प्रभावित हुई हैं, वहां मौसम खुलते ही तिल, उड़द, मूँग एवं अजवाइन जैसी अल्पकालीन फसलों की बुवाई की जा सकती है। इन फसलों के पश्चात रबी सीजन में गेहूं, चना, मसूर जैसी प्रमुख फसलों की बुवाई भी सफलतापूर्वक की जा सकती है। धान की रोपाई करने वाले किसान भी मौसम अनुकूल होने पर रोपाई कार्य शीघ्र पूर्ण करें। वहीं उद्यानिकी क्षेत्र में टमाटर, शिमला मिर्च, मिर्च एवं गेंदा जैसे फूलों की खेती के लिए भी उपयुक्त समय है।
जिन खेतों में फसलें पहले से लगी हुई हैं, वहां जलभराव की स्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए खेतों से पानी की निकासी की व्यवस्था कों। इसके साथ ही मौसम साफ होते ही मूँगफली में निराई-गुड़ाई तथा सोयाबीन और मक्का में खरपतवार नियंत्रण हेतु उपयुक्त रसायनों का प्रयोग करने की सलाह दी गई है। अधिक वर्षा से खाली पड़े खेतों में आगामी रबी मौसम के लिए तैयारियां अभी से प्रारंभ की जानी चाहिए। इन खेतों में गहरी जुताई कर तोरिया-गेहूं फसल चक्र या सरसों की बुवाई के लिए तैयारी करना उपयुक्त रहेगा।
किसान भाई जिन क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा से खरीफ फसलें प्रभावित हुई हैं, वहां मौसम खुलते ही तिल, उड़द, मूँग एवं अजवाइन जैसी अल्पकालीन फसलों की बुवाई की जा सकती है। इन फसलों के पश्चात रबी सीजन में गेहूं, चना, मसूर जैसी प्रमुख फसलों की बुवाई भी सफलतापूर्वक की जा सकती है। धान की रोपाई करने वाले किसान भी मौसम अनुकूल होने पर रोपाई कार्य शीघ्र पूर्ण करें। वहीं उद्यानिकी क्षेत्र में टमाटर, शिमला मिर्च, मिर्च एवं गेंदा जैसे फूलों की खेती के लिए भी उपयुक्त समय है।
जिन खेतों में फसलें पहले से लगी हुई हैं, वहां जलभराव की स्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए खेतों से पानी की निकासी की व्यवस्था कों। इसके साथ ही मौसम साफ होते ही मूँगफली में निराई-गुड़ाई तथा सोयाबीन और मक्का में खरपतवार नियंत्रण हेतु उपयुक्त रसायनों का प्रयोग करने की सलाह दी गई है। अधिक वर्षा से खाली पड़े खेतों में आगामी रबी मौसम के लिए तैयारियां अभी से प्रारंभ की जानी चाहिए। इन खेतों में गहरी जुताई कर तोरिया-गेहूं फसल चक्र या सरसों की बुवाई के लिए तैयारी करना उपयुक्त रहेगा।