शिवपुरी। शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा के खरई जालिम गांव से एक तस्वीर सामने आ रही है,इस गांव मे मुक्तिधाम नही होने के कारण अर्थी को 4 लोगों का कंधा भी नसीब नही होता है। मानसून काल में शव को अर्थी नही एक कंधा नसीब होता है,बीते रोज कुछ ऐसी ही तस्वीरे सामने आई है कि गांव में मुक्तिधाम नही होने के कारण ग्रामीणों को दूसरे गांव में अंतिम संस्कार के लिए जाना पडता है और बीच में पार्वती नदी होने के कारण उसमें से चलकर जाना होता है। जब नदी में पानी होता है तो लाश को कंधे पर रखकर ले जाना होता है।
जानकारी के अनुसार खरई जालिम में निवास करने वाले विवेक प्रजापति उम्र 15 साल पुत्र रामकुमार प्रजापति की बीमारी के कारण मंगलवार को मौत हो गई। खरई जालिम गांव में मुक्तिधाम नही होने के कारण पास के गांव फुलीपुरा के मुक्तिधाम में मृतकों का अंतिम संस्कार करना होता है। इन दोनो गांव के बीच से पार्वती नदी है और पार्वती को पार करने के लिए कोई पुल नही है।
पार्वती नदी में इस समय 4 फीट पानी है। ग्रामीणों ने शव को कंधे पर उठाकर नदी पार की। इसके बाद ही अंतिम संस्कार हो सका। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में श्मशान के लिए कोई जगह तय नहीं है। आसपास की जमीन निजी है। इसी वजह से फुलीपुरा और खरई जालिम के बीच पार्वती नदी किनारे ही वर्षों से अंत्येष्टि की जा रही है। जिस दिन नदी में जलस्तर अधिक रहता है तो अंत्येष्टि के लिए शव को रखकर इंतजार करना पड़ता है।
ग्रामीणों को कहना है कि अगर पंचायत स्तर से प्रयास करते तो इस गांव को मुक्तिधाम मिल जाता,लेकिन ऐसा नही है। जब नदी में पानी अधिक रहता तो घंटो इंतजार करना पडता है और कभी कभी किसी घर में किसी युवा की मौत होने पर और अंतिम क्रिया कर्म में देरी होने पर उस घर की हालत खराब हो जाती है जब तक घर मे लाश रखी होती है उस घर में मातम का माहौल अधिक रहता है। जिला पंचायत का साल भर का करोडो का बजट है लेकिन इस बजट में से इस गांव में मुक्तिधाम नही होना पारदर्शिता और लापरवाही का एक नमूना है।
जानकारी के अनुसार खरई जालिम में निवास करने वाले विवेक प्रजापति उम्र 15 साल पुत्र रामकुमार प्रजापति की बीमारी के कारण मंगलवार को मौत हो गई। खरई जालिम गांव में मुक्तिधाम नही होने के कारण पास के गांव फुलीपुरा के मुक्तिधाम में मृतकों का अंतिम संस्कार करना होता है। इन दोनो गांव के बीच से पार्वती नदी है और पार्वती को पार करने के लिए कोई पुल नही है।
पार्वती नदी में इस समय 4 फीट पानी है। ग्रामीणों ने शव को कंधे पर उठाकर नदी पार की। इसके बाद ही अंतिम संस्कार हो सका। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में श्मशान के लिए कोई जगह तय नहीं है। आसपास की जमीन निजी है। इसी वजह से फुलीपुरा और खरई जालिम के बीच पार्वती नदी किनारे ही वर्षों से अंत्येष्टि की जा रही है। जिस दिन नदी में जलस्तर अधिक रहता है तो अंत्येष्टि के लिए शव को रखकर इंतजार करना पड़ता है।
ग्रामीणों को कहना है कि अगर पंचायत स्तर से प्रयास करते तो इस गांव को मुक्तिधाम मिल जाता,लेकिन ऐसा नही है। जब नदी में पानी अधिक रहता तो घंटो इंतजार करना पडता है और कभी कभी किसी घर में किसी युवा की मौत होने पर और अंतिम क्रिया कर्म में देरी होने पर उस घर की हालत खराब हो जाती है जब तक घर मे लाश रखी होती है उस घर में मातम का माहौल अधिक रहता है। जिला पंचायत का साल भर का करोडो का बजट है लेकिन इस बजट में से इस गांव में मुक्तिधाम नही होना पारदर्शिता और लापरवाही का एक नमूना है।