SHIVPURI NEWS - लापता टाइगर MT-1 का नहीं हुआ शिकार, शिवपुरी समाचार को मिले अपडेट,पढिए पूरी खबर

Bhopal Samachar

ललित मुदगल शिवपुरी। शिवपुरी की मीडिया ने आज बाघ दिवस पर उम्मीद तोडती हुई खबरों का प्रकाशन किया है,खबरो के प्रकाशन करने के तथ्य थे। खबर है कि शिवपुरी के माधव टाइगर रिजर्व से लापता टाइगर एमटी 1 का शिकार हो चुका है। इसलिए वह पिछले 1 साल से लोकेशन में नहीं आ रहा है और इस खबर को बल इसलिए भी मिल रहा है कि एसटीएफ ने जो शिकारी पकड़े है उनके पास तीन टाईगरो की हड्डियां मिली है,इस कारण इस बात की आशंका जताई जा रही है कि शिवपुरी का लापता टाईगर एमटी-1 का शिकार हो चुका है।

लेकिन शिवपुरी समाचार की खोज भरी खबर में इस दुखद खबर में उम्मीद भरी खबर यह निकाली है कि जिन 3 टाइगर के हंडिया मिलने की खबर है वह नर टाइगरों की है और शिवपुरी से गायब एमटी-1 टाइगर मादा टाइगर है,इसलिए सीसीएफ उत्तम शर्मा सबूत की बात कर रहे है।

इस खबर पर जाने से पहले आप शिवपुरी के माधव टाइगर रिजर्व के 5 टाइगरों का परिचय प्राप्त करें,इससे पूर्व यह खबर किसी भी मीडिया ने प्रकाशित नहीं की है।

शिवपुरी के टाइगर रिजर्व से गायब टाइगर एमटी-1 बांधवगढ़ से लाई गई बाघिन है।

टाईगर रिजर्व का टाइगर एमटी-2 सतपुड़ा टाइगर रिजर्व,होशंगाबाद से लाया गया है। इस टाइगर ने मौलाना आजाद नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में काफी दहशत फैलाई थी। उसके डर के कारण हॉस्टल खाली हो गए थे। उसे पकड़ना मुश्किल हो गया था। इस टाइगर को मेनिट वाला गुंडा भी कहा जाता है। यह टाइगर जंगल का राजा नहीं बल्कि जंगल का डॉन है। छापामारी में माहिर है। अचानक हमला करता है और अपने शिकार को बचने का मौका तक नहीं देता। दहशत फैलाने के लिए अंधेरी रात में कुछ इस तरह से निकलता है कि, यदि कोई इंसान इसे देख ले तो दहशत के मारे कई दिनों तक कांपता रहेगा। मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान भोपाल में जितने भी लोगों ने रात के समय इसे देखा, कई रातों तक चैन से सो नहीं पाए।

शिवपुरी में एमटी-3 टाइगर मादा टाइगर है यह बाघिन पन्ना से लाई गई थी। शिवपुरी आने से पूर्व इसको सरकारी पति पसंद नही आया था इसलिए यह पन्ना के जंगलों में फरार हो गई थी,लेकिन बाद में उसका रेस्क्यू कर लिया गया और इस पन्ना वाली लेडी टाईगर को शिवपुरी के माधव टाइगर रिजर्व मे छोड दिया गया। शिवपुरी में टाइगर प्रोजेक्ट को सफलता के श्रेय इस एमटी-3 बाघिन को दिया जाएगा क्या कि पन्ना वाली लेडी टाइगर ने ही 2 बच्चों को माधव टाइगर रिजर्व की जमीन पर जन्म दिया है।

शिवपुरी की एमटी-4 टाइगर भी बाघिन है इस लेडी टाइगर को पन्ना से रेस्क्यू कर शिवपुरी लाई गई थी। इस लेडी टाइगर को सेलिंग क्लब वाले क्षेत्र मे  छोडा गया था। माधव टाइगर रिजर्व प्रबंधन की यह सबसे प्यारी बाघिन है क्यों कि पर्यटकों सबसे ज्यादा यही बाघिन रिझा रह है यह लगातार ऐसे क्षेत्र में भ्रमण करती है जिससे इसके दर्शन पर्यटक को सके इसलिए इस बाघिन को माधव टाइगर रिजर्व ने घर की सबसे प्यारी बेटी जैसा नाम गुड्डी दिया है।

शिवपुरी माधव टाइगर रिजर्व का एमटी-5 टाइगर है इस टाइगर के आने से पूर्व ही इसके चर्चे मीडिया ने प्रकाशित करना शुरू कर दिए थे। इस 6 साल के टाइगर का नाम तांडव है और यह यह भी बांधवगढ़ से लाया गया है। इस टाइगर ने बांधवगढ़ में कई फाइट की थी यह अपनी टेरिटरी मे किसी दूसरे बाघ को घुसने नही देता था इसलिए इस टाइगर का नाम तांडव रखा गया था। यह टाइगर शिवपुरी की दक्षिण रेंज में छोडा गया है और अक्सर पर्यटको के इसके दीदार हो जाते है।

लेकिन लापता है बाधगढ वाली लेडी टाइगर
माधव टाइगर रिजर्व में शुरुआत में लाए गए 3 टाईगरो में से 2 टाइगर की कॉलर आईडी खराब हो गई। बताया जा रहा था कि बांधवगढ़ से लाई गई लेडी टाइगर एमटी -1 और सतपुड़ा से लाए गए टाइगर एमटी-2 की कॉलर आईडी खराब हो गई। इसलिए वह लोकेशन से गायब हो गए थे। प्रबंधन ने इनकी तलाश के लिए ड्रोन कैमरे की मदद ली वही रणथममेर से हाथी का जोडा भी मगवाया लेकिन इनकी लोकेशन नहीं मिल सकी।

लापता टाइगर के शिकार को इसलिए मिला बल
 सामान्य वन मंडल की एसटीएफ ने 4 जून 2025 को अलग-अलग स्थानों से तीन शिकारियों को गिरफ्तार करने सहित उनके पास से विभिन्न वन्य प्राणियों की 225 नग हड्डी मिलने का दावा किया था। इसके अलावा एसटीएफ का यह भी दावा है कि वैज्ञानिक परीक्षण में उक्त हड्डियों में टाइगर की हड्डियां होना भी पाया गया है। इसी के साथ एसटीएफ ने यह भी स्वीकार किया कि उनके द्वारा गिरफ्तार किए गए शिकारियों ने पूछताछ में तीन बाघों का शिकार किया जाना स्वीकार किया है। इसी क्रम में सोमवार को बाघों के शिकार के मामले में मुख्य आरोपित को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया है।

एसटीएफ ने बाघों के शिकार के संबंध में कोई सूचना नहीं दी
एसटीएफ के इन सभी दावों के बीच जब शिवपुरी समाचार डॉट कॉम ने सिंह परियोजना के निदेशक उत्तम शर्मा से बात की तो उनका बेहद साफ शब्दों में कहना है कि एसटीएफ ने उनसे बाघों के शिकार के संबंध में किसी भी प्रकार की कोई बात नहीं की है। इसके अलावा अब तक एसटीएफ ने बाघों के शिकार के संबंध में एक भी सबूत उन्हें उपलब्ध नहीं करवाया है। ऐसे में अब यह कहा जाना गलत नहीं होगा कि बाघों के शिकार के मामले में एसटीएफ और बाघ परियोजना के निदेशक आमने सामने आ गए हैं।

वर्तमान में 3 बाघ रडार से गायब
अगर एसटीएफ के दावे को सही मानें तो शिकारियों ने तीन बाघों का शिकार करना स्वीकार किया है। वहीं दूसरी ओर माधव टाइगर रिजर्व से एमटी-1 सहित एमटी-2 व एमटी-3 लापता है। सिंह परियोजना के निदेशक उत्तम शर्मा उक्त तीनों बाघों की लोकेशन के संबंध में किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दे पा रहे हैं। इसके अलावा न ही जंगल में लगे कैमरों में उनकी कोई फुटेज दिखा पा रहे हैं। ऐसे में एसटीएफ का दावा कुछ हद तक मजबूत नजर आ रहा है कि शिकारियों ने तीन बाघों का शिकार कर लिया है। हालांकि एसटीएफ ने यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं किया है कि जिन बाघों का शिकार शिकारियों ने किया है वह कहां से किया है।

लेकिन सूत्रों का कहना है कि जिन तीन बाघों के शिकार की घटना का उल्लेख एसटीएफ ने किया है जब्त हड्डियों की फॉरेसिंग रिपोर्ट मे यह बाघ की पाई है लेकिन यह हड्डियां नर बाघ की है,लेकिन शिवपुरी के टाइगर रिजर्व के एमटी-1 के शिकार की खबर को बल मिल रहा है तो इन पकड़े गए शिकारियों ने शिवपुरी के एमटी-1 का शिकार नही किया है क्यो की वह मादा बाघ है।

विधायक को लगाना पड़ा विधानसभा में ध्यानाकर्षण
खास बात यह है कि बाघों के संबंध में टाइगर रिजर्व प्रबंधन आमजन तो दूर विभागीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों तक को कोई जानकारी नहीं दे रहा है। सिंह परियोजना के निदेशक से जब शुरुआती दौर में मीडिया ने भी यह जानना चाहा कि टाइगर किस क्षेत्र में रह रहे हैं तो हमेशा उनकी सुरक्षा का हवाला देते हुए उनकी लोकेशन सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया गया। एमटी-1 के लापता होने की सूचना के बाद विधायक देवेंद्र जैन ने जब टाइगरों के बारे में जानना चाहा तो उन्हें भी जवाब नहीं दिया गया। अंतत: उन्हें टाइगरों की लाइव लोकेशन, फोटो आदि जानने के लिए विधानसभा में प्रश्न लगाना पड़ा है।