शिवपुरी। श्रीमंत राजमाता विजयाराजे सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालय परिसर मे शासन की ओर से प्रस्तावित क्रिटिकल केयर हेल्थ ब्लॉक बिल्डिंग निर्माणाधीन है। इसी क्रम में आज उक्त बिल्डिंग का मध्यप्रदेश भवन विकास निगम की टीम एवं चिकित्सा महाविद्यालय की ओर से अधिष्ठाता डॉक्टर डी. परमहंस, अधीक्षक डॉक्टर आशुतोष चौऋषि प्रभारी अधिकारी (क्रिटिकल केयर हेल्थ ब्लॉक) ने निरीक्षण किया और कार्य को सुचारू संचालन हेतु निर्देशित किया समय पर कार्य पूर्ण हो उसके समस्त प्रयास किए जाएं। इस दौरान अस्पताल प्रबंधक डॉक्टर विकास त्यागी सहित अन्य डॉक्टर मौजूद रहे।
निरीक्षण के दौरान अधिष्ठाता डॉक्टर डी. परमहंस ने वहां काम करने वाली एजेंसी के महाप्रबंधक को उन्होंने निर्माण काम में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए, समय सीमा का विशेष ध्यान रखने को कहा और यह भी कहा कि अगर काम में लापरवाही बरती तो बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके साथ ही संबंधित अधिकारी समय-समय पर निर्माण काम का निरीक्षण करने को कहा साथ ही निर्माणाधीन भवन में नेशनल बिल्डिंग कोड के नियम तथा एन.ए.बी.एच. के नियमानुसार बिस्तर से बिस्तर की दूरी निर्धारित रखने, कमरों की लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई मानकानुसार रखने हेतु निर्देशित किया गया जिससे भविष्य मे ओ.टी. ऑइसोलेशन वार्ड एवं अन्य जगहों पर लगने वाले बायो मेडिकल उपकरण एवं अन्य उपकरणों को लगाने एवं उपयोग कराने में कठिनाई न हो।
इसी के साथ अधिष्ठाता डॉक्टर डी. परमहंस ने यह भी कहा कि आगामी समय में निर्माणाधीन भवन के ऊपर 02 तल का निर्माण प्रस्तावित किया जाना है क्योंकि चिकित्सालय की बैड संख्या आगामी समय में बढ़ते हुए 605 बिस्तर किये जाने है इस प्रकार भवन के तल विस्तार की संभावना एवं विस्तृत डी पी.आर. के साथ जानकारी प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया।
अधिष्ठाता ने ओ.टी. मे चिकित्सकों एवं स्टाफ हेतु अलग-अलग महिला एवं पुरुष के लिए चेंजिंग रूम निर्माण, प्रसव कक्ष के साथ शौचालय निर्माण तथा खिड़कियों, रैम्प आदि खुली जगहो पर ग्रिल लगाने एवं सीढ़ियों तथा लिफ्ट, कॉरिडोर, मुख्य द्वार पर सुरक्षा की दृष्टि से चैनल गेट अथवा धातु का मजबूत गेट लगाने की बात कही।
सर्व सुविधा युक्त 50 बेड क्रिटिकल केयर यूनिट में 2 ओटी,2 लेबर रूम, डायलिसिस यूनिट स्थापित होने से गंभीर मरीजों के इलाज में सुविधा होगी। इसमें हृदय रोग, सांस, हेड इंजरी, चोट, सर्जरी सहित अन्य बीमारियों के गंभीर मरीजों का इलाज और अधिक बेहतर हो सकेगा।