कूनो नेशनल पार्क,100 साल पहले सिंधिया राजवंश लाया था यह अफ्रीकन टाइगर- Shivpuri News

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शिवपुरी
। शिवपुरी जिले की पोहरी की सीमा से लगा हुआ श्योपुर जिले में आने वाला नेशनल पार्क मे चीता प्रोजेक्ट के तहत विदेशी चीता 17 सितंबर को आ जाएगा और इन चीतो को देश के प्रधानमंत्री के हाथ से जंगल में छोडा जाऐगा। इससे पूर्व कूनो नेशनल पार्क ने गिरी से बब्बर शेर के लिए संघर्ष किया,मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था।

इस प्रोजेक्ट पर पूरे विश्व की निगाहे है क्यो की यह दुनिया का का पहला अंतर महाद्वीपीय चीता स्थानांतरण होगा अर्थात एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक चीते को पहली बार पहुंचाया जाऐंगा। इस योजना पर 250 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान हैं।

100 साल पूर्व थे यहां शेर,सिंधिया राजवंश लाया था,ये हैं इस जंगल का इतिहास

बताया गया है कि सौ साल पहले महाराजा सिंधिया के प्रयासों से दक्षिण अफ्रीका से लाकर यहां बसाए गए थे। इससे पूर्व 455 साल पहले (वर्ष 1666 में) चंद्रवंशी राजा बलभद्र सिंह ने यहां अपनी राजधानी बसाई। यहां कूनो नदी के किनारे आलीशान किला है, जो अभी भी बेहतर स्थिति में है। इस भूमि ने कई लड़ाई देखी हैं। यहां पालपुर गढ़ी और आमेठ का किला भी है। ये स्थान डकैतों के लिए भी जाना जाता है।

कूनो अभयारण्य 1981 में अस्तित्व में आया था। कूनो अभ्यारण्य से पूर्व इस क्षेत्र को पालपुर का जंगल कहा जाता था। यह जंगल काफी घना हैं और इस जंगल की जीवनदायिनी नदी कूनो 12 माह बहती हैं।

कूनो नदी एक ऐसी नदी हैं जो घनी आबादी में नही बहती हैं यह अपनी पूरी यात्रा जंगल में ही तय करती हैं इसका पानी पीने के लिए बेहतर हैं इस नदी के पानी में प्रदूषण की मात्रा न के बराबर है। 1950 के दशक में यह पालपुर रियासत का क्षेत्र था फिर यह ग्वालियर स्टेट की शिकारगाह बन गई थी।

1981 में इस क्षेत्र को जंगली जानवरों के लिए अभ्यारण्य घोषित कर दिया जब इसका क्षेत्रफल मात्र 345 वर्ग किलोमीटर था। 2003 में कूनो अभयारण्य हो नेशनल पार्क का दर्जा मिल गया। गुजरात के गिरी के शेरों को यहां लाने का प्रोजेक्ट बनाया गया। इसमें शिवपुरी जिले के कुछ गांव शामिल किए गए टोटल 24 गांवों को विस्थापित किया गया।

शेर नहीं चीता बनेगा अब कूनो की शान
फिलहाल विश्व प्रसिद्ध गिरी के शेरो का आगमन तो कूनो में नही हो सका है लेकिन अफ्रीकी चीतों के आने के द्वार अवश्य खुल गए हैं। चीतों की सुरक्षा के लिए कूनो अभ्यारण में इलेक्ट्रिक और सामान्य दोनों प्रकार की तार फेंसिंग से बाडा को सुरक्षित बनाया जा रहा हैं। अभ्यारण में चीता के भोजन के लिए शाकाहारी एवं मांसाहारी पशुओं की गिनती भी हो चुकी हैं।

कूनो अभयारण्य के चारों और चीतों की सुरक्षा के लिए पांच वर्ग किलोमीटर लंबाई में तार फेंसिंग लगाने का काम किया गया हैं। यह फेंसिंग इलेक्ट्रॉनिक और सामान्य दोनों प्रकार की रहेगी। इलेक्ट्रिक फेंसिंग के कारण कोई भी जानवर फेंसिंग को पार नही कर सकेगा। क्यों कि उससे संपर्क होते ही करंट लगेगा। 1981 में स्थापित हुए कूनो अभ्यारण का फैलाव 450 किलोमीटर से बढ़ाकर 750 वर्ग किलोमीटर में हो चुका हैं इसमें बफर एरिया 550 किलोमीटर हैं।

यह है जानवर कूनो में

चीतल 27253,सांभर 27809 नीलगाय 5621,चिंकारा 7585,वाइल्ड पिग 3768,हिरण 469,लंगूर 9117,ब्लैकबक 2174 की संख्या में हैं।
कूनो में 8 चीता आएंगे
अभ्यारण्य के अधिकारियों के अनुसार फिलहाल 8 चीता का आना तय हो गया हैं। इसमें 4 नर और 4 मादा चीता आ रहे है। फिलहाल यह चीता अफ्रीकी देश नबीमिया से आ रहे 12 चीता दक्षिण अफ्रीका से आएंगे इसकी अंतिम प्रक्रिया चल रही है।

पार्क में चीता आने से बड सकता हैं शिवपुरी में पर्यटन

कूनो पार्क में चीता के आने से शिवपुरी जिले में भी पर्यटन बड सकता हैं,वर्तमान में शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में भी शेरों के लाने के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा हैं। शिवपुरी जिले में भी कई दर्शनीय स्थल हैं कुल मिलाकर खजुराहो,चंदेरी,शिवपुरी,कूनो और रणथम्बोर तक एक पर्यटन की एक श्रृंखला बन सकती हैं।
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