शिवपुरी। ITI दिल्ली से दो जोड़ी कपड़ों में एमटेक और पीएचडी करने वाले प्रोफेसर विपिन बिहारी शर्मा उच्च शिक्षा एवं गौवंश संवर्द्धन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रोफेसर सिकरवार स्मृति सम्मान सामरोह में सम्मानित किया गया। 20 अगस्त को शिवपुरी में आठवा प्रो चंद्रपाल सिकरवार सम्मान समारोह आयोजित किया गया था।
इस सम्मान समारोह में इस बार जिन प्रोफेसर को सम्मान के लिए चयनित किया गया वह श्योपुर पीजी कालेज में पदस्थ फिजिक्स के प्रोफेसर डा विपिन शर्मा हैं। विपिन शर्मा के जीवन परिचय पर प्रकाश डालते हुए जब बताया गया तो कोई सहज ही भरोसा नहीं कर पाया कि दिल्ली जिस व्यक्ति को आज यहां अपने कर्म के बूते सम्मानित किया जा रहा है, वह बेहद सामान्य परिवार से है।
जब इस व्यक्ति ने अपनी पढ़ाई के दम पर आइआइटी दिल्ली से एमटेक और पीएचडी की थी तब इस व्यक्ति पर पहनने के लिए सिर्फ दो जोड़ी कपड़े थे। प्रोफेसर डा शर्मा पिछले 29 सालों से श्योपुर में पदस्थ हैं और बच्चों के कैरियर निर्माण में जी जान से मेहनत करते हुए उन्हें निःशुल्क कोचिंग दे रहे हैं।
इतना ही नहीं प्रोफेसर डा शर्मा ने वर्ष 2018 में अंर्तआत्मा की आवाज पर अपनी वेतन से जोड़े हुए 32 लाख रुपये खर्च कर श्योपुर से 4 किमी दूर एक गौशाला का भी निर्माण किया है। कार्यक्रम में प्रोफेसर डा विपिन बिहारी शर्मा ने अपने वक्तव्य में विनम्रतापूर्वक कहा कि उन्हें आइआइटी. दिल्ली में पढ़ाई के दौरान उन्हें भी उनके एक प्रोफेसर और उनके पिता का मार्गदर्शन मिला जिन्होंने उनके जीवन को बदल कर रख दिया। इसलिए उन्होंने बजाय किसी बड़ी नौकरी में जाकर भौतिक तरक्की करने के बजाय, छोटे कस्बे में रहकर साधारण जीवन जीने और सेवा कार्यों का चयन किया।
जेयू के कुलपति बोले- भरोसा नहीं होता आज भी ऋषि हैं
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जीवाजी विवि के कुलपति प्रो अविनाश तिवारी का कहना था कि शास्त्रों और ग्रंथों से हमें पता चलता है कि भारत में ऋषि परंपरा रही है। किंतु यहां आकर प्रोफेसर चन्द्रपाल सिंह सिकरवार के बारे में सुनकर-जानकर उसी ऋषि परम्परा की अनुभूति हो रही है। उनका कहना था कि प्रोफेसर विपिन बिहारी शर्मा जिन्हें यहां आज यह स्मृति सम्मान दिया गया है, उन्हें देखकर यह लग रहा है कि ऋषि परंपरा को वे आज भी जीवंत बनाए हुए हैं।
ऐसे नैतिक मूल्य प्रेरित करते हैं: कलेक्टर
अध्यक्षता करते हुए कलेक्टर शिवपुरी अक्षय कुमार सिंह ने बेहद भावुकता भरे अंदाज में कहा कि महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने एक बार महात्मा गांधी के संदर्भ में कहा था कि आने वाली पीढ़ियां यह विश्वास नहीं करेंगी कि हाड़-मांस का बना कोई ऐसा इंसान भी पृथ्वी पर था जो नैतिक जीवन मूल्यों से इतना भरा हुआ था। वही बात मैं प्रोफेसर चंद्रपाल सिंह सिकरवार के बारे में कह सकता हूँ कि हमें विश्वास करना कठिन होता है कि शिष्यों के लिए समर्पित कोई ऐसे गुरु शिवपुरी की धरती पर रहे हैं।
विशेष अतिथि एसपी राजेश सिंह चंदेल ने कहा कि वे कई बार प्रोफेसर चन्द्रपाल सिंह सिकरवार के व्यक्तित्व के बारे में, उनके जीवन की साधना के बारे में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग व्यक्तियों से उनसे जुड़े रोमांचक संस्मरण सुनते हैं तो बस सुनते ही रह जाते हैं।