शिवपुरी। माधव टाइगर रिजर्व, शिवपुरी में शनिवार को एक नर बाघ तांडव MT-5 को नए सैटेलाइट कॉलर से लैस किया गया। बाघ को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से स्थानांतरित किया गया था। पुराने कॉलर में आई तकनीकी खराबी के कारण बाघ की निगरानी में समस्या आ रही थी।
वन विभाग की विशेषज्ञ टीम ने बाघ को निश्चित कर नया सैटेलाइट कॉलर लगाया। यह कार्रवाई माधव टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक उत्तम कुमार शर्मा के निर्देशन में की गई।
इस अभियान में उप संचालक प्रियांशी सिंह और वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. जितेन्द्र कुमार जाटव मौजूद रहे। कूनो वन्य प्राणी विभाग के चिकित्सक, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की टीम और दक्षिण परिक्षेत्र के अधिकारी भी शामिल थे।
माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलने के बाद वर्तमान में यहां 7 बाघ हैं। बाघों की मौजूदगी से पर्यटकों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष पार्क में पर्यटकों का आना बढ़ा है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिल रहा है।
यह होती है सैटेलाइट कॉलर
बाघों की निगरानी के लिए उपयोग किया जाने वाला सैटेलाइट कॉलर एक विशेष प्रकार का ट्रैकिंग डिवाइस है। यह बाघ के गले में पहनाई जाती है और GPS तकनीक के माध्यम से वास्तविक समय में उनकी गतिविधियों को ट्रैक करती है।
इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य बाघों की दैनिक गतिविधियों की निगरानी, उनके व्यवहार का अध्ययन और पर्यावरण संबंधी आवश्यकताओं को समझना है। साथ ही यह वन्यजीव संरक्षण प्रयासों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
सैटेलाइट कॉलर में दो प्रमुख प्रणालियों का उपयोग किया जाता है। पहली है ARGOS, जो एक उन्नत अनुसंधान और वैश्विक अवलोकन उपग्रह प्रणाली है, और दूसरी है GPS यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम उपग्रह नेटवर्क। इस तकनीक के माध्यम से वन विभाग बाघों के स्वास्थ्य का आकलन कर सकता है, उनके आवास क्षेत्रों की पहचान कर सकता है और मानव-बाघ संघर्ष को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही वन्यजीवों के लिए संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान भी की जा सकती है।