फिर टूटने जा रहा हैं भाजपा का पैरामीटर, अध्यक्ष की दौड़ में नेताओं की पत्नियां, निष्ठावान महिला नेत्रिया आउट- Shivpuri News

Bhopal Samachar
अशोक कोचेटा@ शिवपुरी। भारतीय जनता पार्टी मुखर रूप से परिवारवाद की राजनीति के खिलाफ है। हाल ही में भोपाल आए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि जहां तक टिकट का संबंध है भाजपा निष्ठावान कार्यकर्ताओं को टिकट देगी। लेकिन नगर पालिका शिवपुरी के चुनाव में भाजपा की यह मंशा पूरी हो पाए, इसमें पर्याप्त संदेह है। नगर पालिका शिवपुरी का अध्यक्ष पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित है और अध्यक्ष पद का चुनाव निर्वाचित पार्षद करेंगे।

लेकिन पार्षद के चुनाव से पहले ही अध्यक्ष पद के संभावित प्रत्याशियों की चर्चा होने लगी है और खास बात यह है कि भाजपा की ओर से अध्यक्ष पद के जिन दावेदारों के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं, वे सभी नेताओं की पत्नियां या उनके परिवार से जुड़ी हैं तथा उनका राजनीति से कोई सरोकार नहीं है। अध्यक्ष पद की दौड़ में भाजपा की वे महिलाएं कोसों पीछे नजर आ रही हैं। जो पार्टी की निष्ठावान कार्यकर्ता हैं और भाजपा में वर्षो से सक्रिय हैं। फिर भाजपा का टिकट देने का पैरामीटर टूटने जा रहा हैं। पार्टी की निष्ठावान नेत्रियों फिर दौड़ से बाहर होती दिख रही हैं।

यहां तक कि उन महिलाओं के पार्षद पद हेतु टिकट काटे जाने की पैंतरेबाजी भी शुरू हो गई है ताकि अध्यक्ष के चुनाव में उनकी दखलंदाजी किसी भी तरह से न हो सके। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि परिवारवाद की राजनीति से नगर पालिका चुनाव में भाजपा किस तरह से निपटेगी या फिर हर बार की तरह भाजपा का शरणागत रूप इस चुनाव में देखने को मिलेगा।

नगर पालिका अध्यक्ष पद पर कब्जा करने हेतु भाजपा के नेताओं उन वार्डो की तलाश कर रहे हैं। जहां से वह अपनी धर्म पत्नियों और परिवार की महिलाओं को जिता सकें। कई वार्डो में तो इन नेताओं के बीच आपसी घमासान भी देखने को मिल रहा है। यहां तक कि एक वार्ड में दो रिश्तेदार भी आमने-सामने आ चुके हैं और कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है।

नगर पालिका चुनाव में पार्षद पद हेतु 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं और नगर पालिका अध्यक्ष पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुआ है। अध्यक्ष पद के लालच में भाजपा के धनाढ्य और जोड तोड की राजनीति में पारांगत नेता सक्रिय हो गए हैं और उन्होंने अपने पत्नियों के लिए सुविधाजनक वार्डो की तलाश शुरू कर दी है। वह अपने प्रभाव का नकारात्मक रूप से इस्तेमाल भी कर रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं कि किसी ऐसे प्रत्याशी को टिकट न मिल सके जो अध्यक्ष के चुनाव में उनकी राह का कांटा बन सकती है।

पार्टी में सक्रिय महिला नेत्रियां का भी इसी राजनीति से शिकार करने का प्रयास हो रहा है। भाजपा की ओर से नपाध्यक्ष पद हेतु पार्षद पद के चुनाव से पूर्व ही जो नाम चर्चा में है, वे हैं- पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जितेंद्र जैन की धर्मपत्नी श्रीमती ममता जैन, पूर्व नपा उपाध्यक्ष भानू दुबे की धर्मपत्नी श्रीमती नीतू दुबे, भाजपा के युवा नेता तरुण अग्रवाल की पत्नी श्रीमती श्वेता अग्रवाल और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आए शिवपुरी पब्लिक स्कूल के संचालक अशोक ठाकुर की धर्मपत्नी श्रीमती किरण ठाकुर।

इन सब में सामान्य बात यह है कि ये सभी महिलाएं राजनीति में सक्रिय नहीं हैं और अपने पति के प्रभामंडल से जीत की तलाश में हैं। जीतने के बाद स्वतंत्र रूप से वह नगर पालिका अध्यक्ष पद का संचालन कर पाएंगी या नहीं यह बड़ा सवाल है। इनके अलावा पूर्व पार्षद रत्नेश जैन डिंपल भी अपनी धर्मपत्नी श्रीमती रितु जैन को वार्ड क्रमांक 9 से चुनाव मैदान में उतार रहे हैं। इनके अलावा भी कई अन्य भाजपा नेता भी गुपचुप रूप से अपनी पत्नी की संभावना के लिए वार्डो में सर्वे करा रहे हैं।

जो पैसा खर्च करेगा वही जीतेगा अध्यक्ष पद का चुनाव?

अप्रत्यक्ष प्रणाली से अध्यक्ष पद का चुनाव होने से यह सामान्य धारणा है कि अध्यक्ष पद का चुनाव जीतना बिना धनबल के संभव नहीं है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है कि 4 से 5 करोड़ रुपये खर्च करने वाला प्रत्याशी ही अध्यक्ष बनेगा। एक-एक पार्षद को 20 से 25 लाख रुपए दिए जाने की अटकलें हैं।

ऐसी स्थिति में भाजपा का सामान्य कार्यकर्ता कैसे इतनी बड़ी राशि खर्च कर पाएगा। इसी तर्क के आधार पर धनबल सम्पन्न भाजपाई चुनाव की दौड में शामिल हो गए हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा की सामान्य कार्यकर्ता महिला का पीछे छूटना स्वाभाविक है। लेकिन इस चुनौती से भाजपा यदि निपट पाई तो गर्व से कह सकेंगे कि यह पार्टी सिद्धांतों और आदर्शों पर आधारित राजनीतिक दल है और मूल्य आधारित राजनीति भाजपा का प्रमुख आधार स्तम्भ है और उसके लिए जीत से अधिक अपने मूल्यों को बनाए रखना अधिक महत्वपूर्ण है।

महिला मोर्चा अध्यक्ष शिवहरे और जिला उपाध्यक्ष जैन भी महत्वाकांक्षी

भाजपा महिला मोर्चे की जिलाध्यक्ष सीमा शिवहरे और भाजपा जिला उपाध्यक्ष मंजुला जैन भी अध्यक्ष बनने की महत्वाकांक्षा पाले हैं। लेकिन अध्यक्ष बनने से पहले उन्हें टिकट की लड़ाई लड़नी होगी, जो कि आसान नहीं है। सीमा शिवहरे वार्ड क्रमांक 2 या वार्ड क्रमांक 37 से पार्टी का टिकट मांग रही हैं।

जबकि मंजुला जैन वार्ड क्रमांक 6 से टिकट की अभिलाषी हैं। ये दोनों पार्टी में सक्रिय महिला नेत्रियां भी अध्यक्ष बनने की दौड़ में हैं। लेकिन धनबल सम्पन्नता के चलते कितना आगे वह चल पाएंगी यह देखने की बात होगी।