शिवपुरी। आयुर्वेद को एलोपैथी के समान ऑपरेशन की अनुमति देना हमें बर्दाश्त नहीं हैं। सरकार यह मिक्सोपैथी की नीति लागू कर क्या करना चाहती हैं। यह समझ से परे हैं। आयुर्वेद को आयुर्वेद रहने दें और एलोपैथी को एलोपैथी। यदि आयुर्वेद चिकित्सकों को भी शल्य क्रिया का दर्जा मिल गया तो यह परंपरा गलत होगी इसलिए हम इसका विरोध कर रहे हैं।
यह बात आईएमए के चिकित्सकों ने सरकार के आयुर्वेद चिकित्सकों को शल्य चिकित्सा की मान्यता देने के फैसले के विरोध प्रर्दशन में कही। जिला चिकित्सालय के बहार खडे होकर आईएमए के अध्यक्ष डॉ निसार अहमद ने कहा कि आयुर्वेद को सर्जरी की अनुमति देना आमजन के स्वास्थ्य से सोचा समझा खिलवाड़ है ।
आज सरकार को भले ही समझ नहीं आ रहा है पर इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे । आज विश्व कोविड महामारी से जूझ रहा है और सरकार मिक्सोपैथी का कानून पास कर आयुर्वेदिक डॉक्टर को ऑपरेशन की अनुमति देकर इस देश को किस दिशा में ले जाना चाहती है । इस प्रकार देश की संस्था भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद के दिशा निर्देशों का सरासर उल्लंघन हो रहा है । इस देश के आईएमए के सभी सदस्य इसका विरोध कर रहे हैं ।
मंगलवार को हमने शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया हैं। अब 11 दिसंबर शुक्रवार को हम सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक इमरजेंसी के अलावा सांकेतिक रूप से बंद रखेंगे । अगर इस कानून में बदलाव नहीं किया तो देश की सभी स्वास्थ्य सेवाएं चौपट हो जाएंगी । इस प्रदर्शन के दौरान जिलाध्यक्ष डॉ . निसार अहमद , सचिव डॉ राजेंद्र गुप्ता ,पूर्व अध्यक्ष डॉ सुशील वर्मा, डॉ.पीडी गुप्ता, डॉ .पीके खरे, डॉ .योगेंद्र रघुवंशी , डॉ . आलोक श्रीवास्तव सहित कई आईएमए के चिकित्सक और पदाधिकारी शामिल थे।
