शिवपुरी। कोरोना से लडने के लिए इस युद्ध में देश को लोगो को अपनी स्वतंत्रता की आहूति देनी पडी हैं। यहां तक हमारे धर्म में शांदियो को एक संस्कार माना जाता हैं। । कई शांदिया कैंसिल होकर आगे सरक गई,लेकिन ऐसी शादियां जिनका मुर्हत 1 साल भर बाद भी नही बन रहा था।
उन लोगो की मजबूरी बन गई। इस लॉकडाउन के नियमो के बंधन मेें वैवाहिक बंधन में बंधन पडा। धूमधाम से होने वाले शादी समारोह भी नैनो रूप में संपन्न हुए। कोलारस विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी के साले की बेटी की शादी जिसकी तैयारी बडे ही धूमधाम से करने की चल रही थी। लेकिन लॉकडाउन के कानून के हिसाब मतलब नैनो रूप में करनी पडी।
विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी के साले राजकुमार रघुवंशी की बेटी शिल्पा का विवाह इंदार के रहने वाले गुना में पटवारी के रूप में पदस्थ देवेन्द्र रघुवंशी से संपन्न हुई। इस परिमिशन वाली शादी की सभी रस्मै वीरेन्द्र रघुवंशी के निजनिवास माधव नगर कॉलोनी शिवुपरी में संपन्न हुई। इस शादी में कुछ चुंनिदा लोग ही शामिल हुए। किसी ने नही सोचा था जो हाथ मेंहदी से महकेगें उनको सेनिटाईज करना होगा।
वही शहर में अक्षय तृतीया जैसे अबूझ मुर्हत मे उंगली पर गिनने वाली शादी ही संपन्न हो सकी। चुनिंदा लोगों ने प्रशासन ने स्वीकृति लेकर घरों पर ही चंद लोगों की मौजूदगी में शादियां कराईं। आम तौर पर अक्षय तृतीया वाले दिन जिले में सैकडो शादिया नही सैकडो सम्मेलन होते हैं वे सभी रदद हो गए।
जिन घरों में शादियां थीं, वहां शादी की तैयारियों जैसा कुछ भी नजर नहीं आया। दूल्हे बिना ढोल नगाड़े और बैंड-बाजे के पहुंचे और दुल्हन के संग मंडप में तीन घंटे में शादी की रस्में पूरी हो गईं। दूल्हा-दुल्हन ने मास्क लगाकर फेरे लिए। इसके बाद बिना दान-दहेज के दुल्हन की विदाई भी हो गई। मालूम हाे कि पिछले साल अक्षय तृतीया पर दाे हजार शादियां हुई थीं, इस बार इससे भी ज्यादा हाेनी थी लेकिन लाॅकडाउन ने सब बेकार कर दिया।
घर में शादी लायक पांच लड़कियां, इस साल एक लड़की की शादी की
शहर से 12 किमी दूर झुंड गांव में रैनसिंह परिहार की बेटी शनिबती की शादी की स्वीकृति ली थी। रैनसिंह का कहना है कि वह पांच भाईं हैं और पांच लड़कियां शादी लायक हैं। इसलिए बड़ी बेटी की शादी हर हाल में करना थी। शादी के नाम पर सिर्फ घर वाले और बारात में आए चार-पांच लोगों के लिए खाना बना।
आदर्श कॉलोनी में शादी समारोह से एक दिन पहले भात कार्यक्रम में भोजन रखा था। पूर्व विधायक राठौर के मकान के पीछे यहां दो से अधिक लोगों के पहुंचने पर कुछ लोगों ने शिकायत भी दर्ज कराई। हालांकि शादी वाले दिन रविवार को भीड़ नहीं थी। राजीव जैन की तरफ से एसडीएम ऑफिस से शादी की परमीशन ली गई थी।
गोशाला शिवपुरी में रामकली शाक्य के घर राधिका शाक्य की शादी सम्पन्न हुई। श्योपुर जिले के सहसराम गांव से दूल्हा नंदकिशोर शाक्य और घर के चार अन्य लोग बारात लेकर आए थे। नाते-रिश्तेदार से लेकर पड़ौसी नहीं होने से घर में शादी जैसा माहौल नहीं था। दूल्हे को एक घर छोड़कर पड़ौसी के घर में ठहरा दिया।
दूल्हे नंदकिशोर ने बताया कि वे सुबह 6 बजे ही शिवपुरी आ गए थे। क्योंकि श्योपुर से परमीशन नहीं ले पाए थे। रात के अंधेरे में बुलेरो से आना पड़ा। देर शाम दुल्हन की विदा की गई। लॉक डाउन की वजह से बारात बंद है। ऐसे में लड़की की विदा में कोई भी दान दहेज नहीं देना पड़ा।
दूल्हे के परिजन बोले कि शादी की हमें जल्दी नहीं थी। जबकि भाई रवि ने बताया कि दुल्हन राधिका बीमार रहती थी। पंडित ने सलाह दी थी कि इसे पराई कर दो। इसलिए इस बार शादी हर हाल में करना थी।
गोशाला घर में हुई राधिका व नंदकिशोर की शादी
संजय कॉलोनी शिवपुरी में अशोक खत्री ने अपनी बेटी ऊषा की शादी के लिए एसडीएम से स्वीकृति लेकर घर पर ही कार्यक्रम किया। ग्वालियर से दूल्हा विनय खटीक के संग पिता सहित कुल छह लोग दो गाडियाें से शिवपुरी आए। अशोक खत्री के घर के बाहर शादी जैसा कुछ नजारा ही नहीं था। घर के अंदर जरूर मंडप के नीचे सुबह 10.40 बजे शादी की रस्में चल रही थीं। पंडित रामकिान तिवारी मंत्रोच्चारण कर रहे थे।
तीन घंटे के भीतर ही शादी हो गई। कुछ देर आराम के बाद दोपहर 1 बजे दुल्हन की विदा हो गई। अशोक को कुछ भी दहेज नहीं देना पड़ा। बारातियों के लिए भी खाने का इंतजाम नहीं था। अशोक खत्री ने कहा कि उन्होंने डेढ़ साल पहले बेटी की सगाई कर दी थी। यही विवाह का मुहूर्त था, फिर दो साल बाद मुहूर्त था। इसलिए परमीशन लेकर शादी करना पड़ी।
वही खबर आ रही है कि जिले में कई शादियां ऐसी भी हुई हैं जिनकी परमिशन नही ली गई थी। यह सभी शादीं चोरी छुपे हुई हैं। वही कुछ लोगो ने इन शादियों को सराहा कि समाज में ऐसी ही शादीयां चलन में आनी चाहिए जिससे दिखावा नही हो। सिर्फ शादीयों के संस्कार हो,और बचत हो।