जानलेवा भ्रष्टाचार के बाद सुर्खियो में आया अब शौचालय घोटाला: मामला 2 मासूमो की मौत का

Bhopal Samachar
शिवपुरी। प्रदेश में शिवपुरी जिला ही शायद इकलौता ऐसा जिला होगा जिसमें सरकारी योजनाओं में व्यापक भ्रष्टाचार ने सारी सीमाएं तोड़ दी हैं। सीवेज प्रोजेक्ट और सिंध जलावर्धन योजना में लगभग 200 करोड़ रूपए का भ्रष्टाचार जगजाहिर है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत योजना के तहत बनवाए गए शौचालय निर्माण में हुए घोटाले ने तो दो मासूमों की जान ले ली है।

भ्रष्टाचार करने के लिए ताबड़तोड़ शौचालय बनवाकर शिवपुरी जिले को ओडीएफ मुक्त घोषित कर दिया गया, लेकिन सच्चाई कुछ अलग है। बनवाए गए शौचालय इतने घटिया स्तर के हैं जिनमें हितग्राही शौच नहीं जाते हैं तथा शौचालय में जाने के लिए उन्हें प्रशासन भी प्रेरित नहीं कर पाया है।

कलेक्टर ने दो मासूम बच्चों की मौत और शौचालय निर्माण में हुए भ्रष्टाचार को लेकर जांच समिति गठित कर दी है और उनका कहना है कि जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर संंबंधित लोगों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।

खास बात यह है कि जिस गांव में शौचालय ढहने से मासूम बच्चों की मौत हुई है वह गांव पोहरी के कांग्रेस विधायक सुरेश राठखेड़ा का है। बच्चों की मौत और शौचालय ढहने से आदिवासी परिवार दहशत में है। जिस शौचालय ढहने के कारण बच्चों की मौत हुई है उससे आशंकित अदिवासी परिवार ने अब शौचालय को ढहाना शुरू कर दिया है।

यह देखकर अन्य आदिवासी परिवार भी अब अपना शौचालय तोडऩे की बात कह रहे हैं। उनमें भी अब दहशत का वातावरण है। भ्रष्टाचार कर फटाफट शौचालय तो बना दिए और इस पंचायत को ओडीएफ भी घोषित कर दिया गया, लेकिन इस हादसे से स्वच्छता अभियान की पोल अवश्य खुल गई। बताया जाता है कि इन शौचालयों का निर्माण 2013 में हुआ था।

ओडीएफ घोषित करने की  जल्दी में फटाफट शौचालय बना लिए गए, लेकिन गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया। जिसके कारण गांव वाले इनका उपयोग भी नहीं कर पाए। भ्रष्टाचार और कमीशन के फेर में घटिया काम किया गया। कागजों में खानापूर्ति कर पूरा पैसा निकाल लिया गया। जिसके चलते 7 वर्षीय राजा आदिवासी और 6 वर्षीय प्रिंस आदिवासी की मौत हो गई है।

गांव वाले शौचालयों में नहीं खुले में जाते हैं शौच

कागजों में यह गांव खुले में शौच मुक्त हो चुका है, लेकिन कोटवार रामसिंह ने बताया कि गांव वाले खुले में शौच करने जाते हैं, क्योंकि जो शौचालय बनाए गए हैं वह आधे अधूरे हैं और उसका निर्माण कार्य भी अच्छा नहीं हुआ है। जिसके कारण गांव वाले इसका उपयोग नहीं करते हंै। गांव के अधिकांश शौचालयों की स्थिति खराब है। हालांकि गांव वालों ने दोबारा शौचालय बनाने की मांग की है, लेकिन यह कहकर मना कर दिया गया कि एक बार बन गए अब दोबारा नहीं बनेंगे।

वर्तमान पंचायत सचिव के कार्यकाल में नहीं बने शौचालय  

पंचायत का सहायक सचिव शशिकांत धाकड़ विधायक सुरेश राठखेड़ा के रिश्तेदार हैं। उनका कहना है कि जो शौचालय ढहा है वह उनके कार्यकाल का नहीं है। उन्होंने तो इसी वर्ष चार्ज संभाला है। उन्होंने कहा कि मर्यादा अभियान में कुछ साल पहले बनाए गए शौचालयों का निर्माण घटिया हुआ है जिसके कारण ही  शौचालय के ढहने से दो बच्चों की मौत हुई है।

विधायक राठखेड़ा ने कहा भाजपा के शासनकाल में हुआ जमकर भ्रष्टाचार

विधायक सुरेश राठखेड़ा ने अपनी सरकार का बचाव करते हुए कहा कि उनके गृहगांव में बने शौचालय का निर्माण भाजपा शासनकाल में हुआ। उनका आरोप है कि प्रदेश में 15 साल भाजपा की सरकार रही और इस दौरान क्षेत्र के विधायक भी भाजपा के रहे और उस सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार ने सारी सीमाएं तोड़ दी।

अब उनकी सरकार आई है और अब शौचालय निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की जांच होगी और जांच मे जो भी अधिकारी और कर्मचारी दोषी होगा उसे दंडित किया जाएगा। मृतक बच्चों के परिजनों को आर्थिक सहायता भी दिलाई जाएगी। 
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