शिवपुरी। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में खाद वितरण को लेकर लगातार किसानों की परेशानी भरी खबरे मिलती रही है। किसानों को समय पर खाद उपलब्ध नहीं हुआ,किसान अपने सारे काम छोड़कर लाइनो मे खडा होकर अपनी फसलों को जिंदा रखने के लिए खाद लेने के लिए खडा है कुल मिलाकर दृश्य ऐसा दिखता था कि मध्यप्रदेश सरकार किसान विरोधी हो गई हो। अब किसानों को इन लाइनों से छुटकारा मिलेगा,और किसानों के घर पर ही खाद उपलब्ध हो ऐसी व्यवस्था बनाने के प्लान पर कलेक्टर शिवपुरी रविन्द्र कुमार चौधरी अपनी टीम के साथ काम कर रहे है।
कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने बुधवार को कलेक्ट्रेट में किसान संवाद कार्यक्रम में कहा कि जिले के किसानों को अब खाद के लिए लंबी लाइनों में नहीं लगाना पड़ेगा। जिला प्रशासन ने इसके लिए नई ई-टोकन व्यवस्था शुरू कर दी है। इस सिस्टम में किसानों को खाद केंद्रों पर जाने की जरूरत नहीं होगी। प्रशासन सीधे उनके घर खाद पहुंचाएगा। इसके लिए रणनीति दो महीने में तैयार होगी।
विदिशा,शाजापुर और जबलपुर की तरह होगा काम
उन्होंने कहा कि किसानों को हर साल खाद के लिए लाइन में खड़ा होना पड़ता है, लेकिन अब यह परेशानी खत्म होगी। विदिशा, शाजापुर और जबलपुर की तरह अब शिवपुरी में भी यह व्यवस्था लागू हो रही है। अभी तक 181 नंबर या कोड स्कैन कर बाद दी जा रही थी। लेकिन प्रदेश स्तर से समीक्षा के बाद कलेक्टर ने ई-टोकन प्रणाली लागू करने का फैसला लिया। बुधवार को किसानों, किसान संघ और खाद केंद्रों के अधिकारियों को भी नई व्यवस्था की जानकारी दे दी गई।
घर-घर खाद पहुंचाने की तैयारी, कलेक्टर बना रहे प्लान
कलेक्टर स्वींद्र कुमार चौधरी ने बैठक में बताया कि वे इस व्यवस्था को अंतिम रूप देने के लिए आरटीओ से बात करेंगे। जो लोग खाद केंद्रों से सीधे किसानों तक खाद पहुंचाना चाहते हैं, उनके लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया को शुरू करने में करीब दो महीने लगेंगे। जिला प्रशासन की कोशिश है कि किसान को खाद उसके घर पर ही मिल जाए। अगर यह व्यवस्था सफल हुई, तो शिवपुरी का यह मॉडल पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन जाएगा, इससे किसानों को लंबी लाइनों में लगने की जरूरत नहीं पड़ेगी और उनकी परेशानी भी कम होगी।
ई-टोकन के लिए किसानों को ऑनलाइन पंजीयन करना होगा
ई-टोकन व्यवस्था के लिए किसानों को ऑनलाइन पंजीयन करना होगा। पंजीयन के दौरान मोबाइल नंबर दर्ज करते ही ओटीपी आएगा। ओटीपी डालने के बाद कुछ जरूरी जानकारी भरनी होगी। इसके बाद किसानों को पूरी प्रक्रिया की जानकारी मिल जाएगी। आधार कार्ड लिंक करते ही सरकार के रिकॉर्ड में यह दिख जाएगा कि किसान के पास कितनी बीघा खेती है, इससे यह भी पता चल जाएगा कि उसे कितनी खाद की जरूरत है। माना जा रहा है कि इसी कारण यह नई पंजीयन प्रक्रिया शुरू की गई है, इससे हर किसान का सही डेटा सरकार के पास रहेगा और खाद की वास्तविक जरूरत का अंदाजा भी आसानी से लगेगा।
खाद वितरण की नई व्यवस्था से यह होगा लाभ
1. हर खाद वितरण का रिकॉर्ड ऑनलाइन बनेगा, जिसे सरकार सीधे निगरानी कर सकेगी।
2. किसानों का समय बचेगा क्योंकि उन्हें लाइन में नहीं लगना पड़ेगा।
3. डिजिटल सिस्टम से कालाबाजारी पर रोक लग सकेगी।
4. सरकार को रियल टाइम में पता चलेगा कि कितनी खाद चाहिए और कितनी भेजनी है।
5. यह व्यवस्था किसानों को डिजिटल रूप से मजबूत बनाएगी और काम आसान करेगी।
कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने बुधवार को कलेक्ट्रेट में किसान संवाद कार्यक्रम में कहा कि जिले के किसानों को अब खाद के लिए लंबी लाइनों में नहीं लगाना पड़ेगा। जिला प्रशासन ने इसके लिए नई ई-टोकन व्यवस्था शुरू कर दी है। इस सिस्टम में किसानों को खाद केंद्रों पर जाने की जरूरत नहीं होगी। प्रशासन सीधे उनके घर खाद पहुंचाएगा। इसके लिए रणनीति दो महीने में तैयार होगी।
विदिशा,शाजापुर और जबलपुर की तरह होगा काम
उन्होंने कहा कि किसानों को हर साल खाद के लिए लाइन में खड़ा होना पड़ता है, लेकिन अब यह परेशानी खत्म होगी। विदिशा, शाजापुर और जबलपुर की तरह अब शिवपुरी में भी यह व्यवस्था लागू हो रही है। अभी तक 181 नंबर या कोड स्कैन कर बाद दी जा रही थी। लेकिन प्रदेश स्तर से समीक्षा के बाद कलेक्टर ने ई-टोकन प्रणाली लागू करने का फैसला लिया। बुधवार को किसानों, किसान संघ और खाद केंद्रों के अधिकारियों को भी नई व्यवस्था की जानकारी दे दी गई।
घर-घर खाद पहुंचाने की तैयारी, कलेक्टर बना रहे प्लान
कलेक्टर स्वींद्र कुमार चौधरी ने बैठक में बताया कि वे इस व्यवस्था को अंतिम रूप देने के लिए आरटीओ से बात करेंगे। जो लोग खाद केंद्रों से सीधे किसानों तक खाद पहुंचाना चाहते हैं, उनके लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया को शुरू करने में करीब दो महीने लगेंगे। जिला प्रशासन की कोशिश है कि किसान को खाद उसके घर पर ही मिल जाए। अगर यह व्यवस्था सफल हुई, तो शिवपुरी का यह मॉडल पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन जाएगा, इससे किसानों को लंबी लाइनों में लगने की जरूरत नहीं पड़ेगी और उनकी परेशानी भी कम होगी।
ई-टोकन के लिए किसानों को ऑनलाइन पंजीयन करना होगा
ई-टोकन व्यवस्था के लिए किसानों को ऑनलाइन पंजीयन करना होगा। पंजीयन के दौरान मोबाइल नंबर दर्ज करते ही ओटीपी आएगा। ओटीपी डालने के बाद कुछ जरूरी जानकारी भरनी होगी। इसके बाद किसानों को पूरी प्रक्रिया की जानकारी मिल जाएगी। आधार कार्ड लिंक करते ही सरकार के रिकॉर्ड में यह दिख जाएगा कि किसान के पास कितनी बीघा खेती है, इससे यह भी पता चल जाएगा कि उसे कितनी खाद की जरूरत है। माना जा रहा है कि इसी कारण यह नई पंजीयन प्रक्रिया शुरू की गई है, इससे हर किसान का सही डेटा सरकार के पास रहेगा और खाद की वास्तविक जरूरत का अंदाजा भी आसानी से लगेगा।
खाद वितरण की नई व्यवस्था से यह होगा लाभ
1. हर खाद वितरण का रिकॉर्ड ऑनलाइन बनेगा, जिसे सरकार सीधे निगरानी कर सकेगी।
2. किसानों का समय बचेगा क्योंकि उन्हें लाइन में नहीं लगना पड़ेगा।
3. डिजिटल सिस्टम से कालाबाजारी पर रोक लग सकेगी।
4. सरकार को रियल टाइम में पता चलेगा कि कितनी खाद चाहिए और कितनी भेजनी है।
5. यह व्यवस्था किसानों को डिजिटल रूप से मजबूत बनाएगी और काम आसान करेगी।