बैराड। शिवपुरी जिले के बैराड़ अस्पताल में पदस्थ डॉक्टरों की अप डाउन बीमारी के कारण स्वास्थ्य सेवाएं वेंटिलेटर पर पहुंच गई है। बैराड के अस्पताल में कागजों में 5 डॉक्टर पदस्थ है लेकिन धरातल पर एक मात्र डॉक्टर ही मिलता है। बैराड़ अस्पताल में न डॉक्टर, न दवा है, फर्श पर इलाज कराने को मजबूर है मरीज। इस कारण मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है,इससे सीधा लाभ झोला छाप डॉक्टरो को मिल रहा है,बैराड़ के डॉक्टरों की मनमानी के कारण ऐसा लगता है कि इन शासकीय कर्मचारियों ने झोलाछाप डॉक्टरों को कोई ऑफर दे रखा हो।
जानकारी के अनुसार, संजय रावत, मनीष शर्मा सहित अन्य लोगों का कहना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ पांच डॉक्टरों में से केवल स्थानीय डॉक्टर डॉ. शुभम गुप्ता ही नियमित रूप से अस्पताल में मौजूद रहते हैं। जबकि प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. द्वारिका वर्मा सहित अन्य डॉक्टर राजू सिंह, नवल किशोर अग्रवाल एवं डॉ. देवेश धाकड़ भी नियमित रूप से अस्पताल में उपस्थित नहीं रहते हैं। जिससे अस्पताल की अव्यवस्थाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। डॉक्टरों की नियमित उपस्थिति नहीं होने के चलते मरीजों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। मजबूरी में मरीज झोलाछाप डॉक्टरों और निजी क्लीनिकों पर इलाज कराने को विवश हो रहे हैं। इससे आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है।
मुख्यालय पर निवास न करने से बैराड़ अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमराई
बैराड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अस्पताल प्रभारी सहित तीन अन्य डॉक्टर मुख्यालय पर निवास नहीं कर रहे हैं। जिससे अस्पताल की व्यवस्थाएं लगातार बिगड़ती जा रही हैं। जिसके कारण मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। अस्पताल में गंदगी, दवाइयों की कमी और अन्य अव्यवस्थाएं आम हो गई हैं। मजबूरी में मरीजों को निजी चिकित्सकों के पास जाना पड़ रहा है। यह स्थिति क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए गंभीर समस्या बनती जा रही है।
प्रभारी चिकित्सा अधिकारी का मुख्यालय पर आवास
जानकारी के अनुसार, संजय रावत, मनीष शर्मा सहित अन्य लोगों का कहना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ पांच डॉक्टरों में से केवल स्थानीय डॉक्टर डॉ. शुभम गुप्ता ही नियमित रूप से अस्पताल में मौजूद रहते हैं। जबकि प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. द्वारिका वर्मा सहित अन्य डॉक्टर राजू सिंह, नवल किशोर अग्रवाल एवं डॉ. देवेश धाकड़ भी नियमित रूप से अस्पताल में उपस्थित नहीं रहते हैं। जिससे अस्पताल की अव्यवस्थाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। डॉक्टरों की नियमित उपस्थिति नहीं होने के चलते मरीजों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। मजबूरी में मरीज झोलाछाप डॉक्टरों और निजी क्लीनिकों पर इलाज कराने को विवश हो रहे हैं। इससे आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है।
मुख्यालय पर निवास न करने से बैराड़ अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमराई
बैराड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अस्पताल प्रभारी सहित तीन अन्य डॉक्टर मुख्यालय पर निवास नहीं कर रहे हैं। जिससे अस्पताल की व्यवस्थाएं लगातार बिगड़ती जा रही हैं। जिसके कारण मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। अस्पताल में गंदगी, दवाइयों की कमी और अन्य अव्यवस्थाएं आम हो गई हैं। मजबूरी में मरीजों को निजी चिकित्सकों के पास जाना पड़ रहा है। यह स्थिति क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए गंभीर समस्या बनती जा रही है।
प्रभारी चिकित्सा अधिकारी का मुख्यालय पर आवास
नहीं होने का असर अस्पताल की व्यवस्थाओं पर भी साफ नजर आता है। अस्पताल परिसर में गंदगी बनी रहती है। पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं है। बैड की कमी से मरीजों को फर्श पर इलाज कराना पड़ता है। डिलीवरी सुविधाओं में भी कई बार समस्याएं सामने आती हैं। इसके साथ ही दवाइयों की नियमित उपलब्ध न होने से मरीजों को बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ती हैं।
क्वार्टर नहीं है पत्र लिखा है
मैं अभी अस्पताल से शिवपुरी लौट रहा हूं। सभी डॉक्टर ड्यूटी पर समय पर आते हैं। क्वार्टर नहीं होने के चलते सभी वहां निवास नहीं कर पा रहे हैं। ड्यूटी का बापस चले जाते हैं। सीएमएचओ को क्वार्टर के लिए पत्र भी लिखा है।
डॉ. द्वारिका वर्मा, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी
डॉक्टर को नियमित आना चाहिए, नहीं तो कार्रवाई होगी
आपके द्वारा जो जानकारी दी जा रही है उसे दिखवा लेता हूं। डॉक्टर को नियमित आना चाहिए। नहीं आते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। -डॉ. दीक्षांत गुदेनिया,बीएमओ पोहरी
क्वार्टर नहीं है पत्र लिखा है
मैं अभी अस्पताल से शिवपुरी लौट रहा हूं। सभी डॉक्टर ड्यूटी पर समय पर आते हैं। क्वार्टर नहीं होने के चलते सभी वहां निवास नहीं कर पा रहे हैं। ड्यूटी का बापस चले जाते हैं। सीएमएचओ को क्वार्टर के लिए पत्र भी लिखा है।
डॉ. द्वारिका वर्मा, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी
डॉक्टर को नियमित आना चाहिए, नहीं तो कार्रवाई होगी
आपके द्वारा जो जानकारी दी जा रही है उसे दिखवा लेता हूं। डॉक्टर को नियमित आना चाहिए। नहीं आते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। -डॉ. दीक्षांत गुदेनिया,बीएमओ पोहरी