Shivpuri News: हार्ट पेशेंट के लिए खतरे वाला मौसम, 24 घंटे में 7 डिग्री लुढ़का पारा

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शिवपुरी का मौसम इस समय शिमला जैसा हो गया है। जेट स्ट्रीम हवा चलने के कारण शीतलहर ने अपने प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया है,ठंडी हवाएं चलने के कारण शिवपुरी का न्यूनतम पारा 7 डिग्री लुढक गया है। इस मौसम में सबसे अधिक खतरा हार्ट पेशेंट के लिए होता है उन्हें अत्याधिक सावधानी बरतते ही आवश्यकता है।

शुक्रवार को शिवपुरी में मौसम का सबसे ठंडा दिन दर्ज किया गया। मात्र एक दिन के भीतर न्यूनतम तापमान में 7 डिग्री सेल्सियस की भारी कमी आई है:

क्या है 'जेट स्ट्रीम' का असर
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, उत्तर भारत में इस समय तेज रफ्तार से ऊपरी वायुमंडल में 'वेस्टर्न जेट स्ट्रीम' हवाएं चल रही हैं। इन ठंडी और तेज हवाओं के कारण मैदानी इलाकों में अचानक सर्दी बढ़ गई है। शिवपुरी की भौगोलिक स्थिति के कारण यहाँ इन हवाओं का सीधा असर देखने को मिल रहा है।

कोहरे की चादर में लिपटी तहसीलें
जिले की नरवर और करैरा तहसील में सीजन का सबसे घना कोहरा देखा गया। दृश्यता (Visibility) इतनी कम थी कि जनजीवन की रफ्तार धीमी हो गई। नरवर किले की 500 फीट की ऊंचाई से देखने पर कोहरा बिल्कुल बादलों की तरह दिखाई दे रहा था, जो पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा।

शिवपुरी के बाद प्रदेश में सबसे कम तापमान इंदौर के गिरवर क्षेत्र में 4.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। हालांकि, शिवपुरी 4 डिग्री के साथ पूरे प्रदेश में पहले स्थान पर रहा।

कोल्ड इमरजेंसी' मे हार्ट पेशेंट को अधिक खतरा
हृदय और मस्तिष्क पर दबाव: कड़ाके की ठंड में नसें सिकुड़ जाती हैं (Vasoconstriction), जिससे ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ जाता है। डॉक्टरों के अनुसार, ऐसे मौसम में हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा काफी बढ़ जाता है, खासकर बुजुर्गों में।

हाइपोथर्मिया का खतरा: शरीर का तापमान सामान्य से कम होने पर व्यक्ति को सोचने-समझने में दिक्कत और अत्यधिक कमजोरी महसूस हो सकती है।
बच्चों में निमोनिया: छोटे बच्चों को ठंडी हवाओं के संपर्क में आने से निमोनिया और श्वसन संबंधी समस्याएं (Asthma) तेजी से घेर रही हैं।

पारा 4 डिग्री तक गिरना किसानों के लिए चिंता का विषय है
पाले (Frost) का खतरा: जब तापमान 4 डिग्री या उससे नीचे जाता है, तो पौधों की पत्तियों पर ओस की बूंदें जमने लगती हैं। इसे 'पाले मारना' कहते हैं, जिससे टमाटर, मिर्च, चना और सरसों जैसी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो सकती हैं। पशुधन पर असर: पशुओं में भी ठंड के कारण दूध उत्पादन में कमी और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।