शिवपुरी। शिवपुरी जिले की पुलिस का ऑपरेशन रेस्क्यू सफल होने की खबर मिल रही है। शिवपुरी एसपी अमन सिंह राठौड़ के प्रयास से शिवपुरी जिले के 1400 किलोमीटर दूर फसे शिवपुरी जिले के आदिवासी मजदूरों का मुक्त करा लिया हैं। यह मजदूर करीब ढाई महीने पहले गन्ना कटाई के लिए महाराष्ट्र गए थे, लेकिन ठेकेदार के पैसे लेकर भाग जाने के कारण वहां फंस गए थे। मामला संज्ञान मे आते ही 48 घंटे के भीतर इन मजदूरों को वापस उनके गांव लाया गया।
यह था पूरा मामला,पेट की आग से लडने पहुंचे थे महाराष्ट्र
जानकारी के अनुसार, ग्राम सेवड़ा (थाना सुभाषपुरा) के करीब 24 लोग एक बिचौलिए नीतेश आदिवासी और महाराष्ट्र के एक ठेकेदार के साथ सोलापुर गए थे। कुछ समय बाद 5 लोग वापस लौट आए, जबकि नीतेश और उसका परिवार बिना बताए गांव भाग आया। नीतेश पर आरोप है कि वह मजदूरों की मजदूरी के पैसे भी साथ ले आया। इस कारण वहां मौजूद ठेकेदार ने शेष 15 मजदूरों को पैसे की भरपाई होने तक रोक लिया और उन्हें वापस नहीं आने दिया।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई 24 दिसंबर को जब पीड़ित परिवारों ने एसपी कार्यालय में गुहार लगाई, तो एसपी अमन सिंह राठौड़ ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने तत्काल सोलापुर एसपी अतुल कुलकर्णी से संपर्क साधा। मोबाइल लोकेशन के आधार पर मजदूरों की स्थिति सोलापुर के पिराची सिरौली (थाना पंढरपुर) में पाई गई।
1400 किमी का सफर और सुरक्षित वापसी शिवपुरी और सोलापुर पुलिस के आपसी समन्वय से स्थानीय पुलिस टीम मौके पर पहुंची। मजदूरों की आर्थिक स्थिति और दूरी (1400 किमी) को देखते हुए पुलिस ने विशेष क्रूजर वाहन की व्यवस्था की। सूचना मिलने के 48 घंटे के भीतर सभी 15 मजदूरों (जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं) को सकुशल शिवपुरी लाकर उनके गांव सेंवढ़ा पहुंचाया गया।
यह खबर शिवपुरी जिले के पलायन की कहानी को चिन्हित करती है। इससे पूर्व बदरवास क्षेत्र के आदिवासी मजदूरों को भी मुक्त कराया गया था। आदिवासियों के उत्थान के लिए सैकड़ों योजना मप्र के विभागों में संचालित है,लेकिन इन योजनाओं का दम फूल रहा है इस कारण ही मजदूरी करने के लिए शिवपुरी के आदिवासी परिवार 1400 किलोमीटर दूर जा रहे है। अगर शिवपुरी में पर्याप्त रोजगार उपलब्ध होता तो शायद शिवपुरी का आम मजदूर मजदूरी करने इतनी दूर नही जाता।
यह था पूरा मामला,पेट की आग से लडने पहुंचे थे महाराष्ट्र
जानकारी के अनुसार, ग्राम सेवड़ा (थाना सुभाषपुरा) के करीब 24 लोग एक बिचौलिए नीतेश आदिवासी और महाराष्ट्र के एक ठेकेदार के साथ सोलापुर गए थे। कुछ समय बाद 5 लोग वापस लौट आए, जबकि नीतेश और उसका परिवार बिना बताए गांव भाग आया। नीतेश पर आरोप है कि वह मजदूरों की मजदूरी के पैसे भी साथ ले आया। इस कारण वहां मौजूद ठेकेदार ने शेष 15 मजदूरों को पैसे की भरपाई होने तक रोक लिया और उन्हें वापस नहीं आने दिया।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई 24 दिसंबर को जब पीड़ित परिवारों ने एसपी कार्यालय में गुहार लगाई, तो एसपी अमन सिंह राठौड़ ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने तत्काल सोलापुर एसपी अतुल कुलकर्णी से संपर्क साधा। मोबाइल लोकेशन के आधार पर मजदूरों की स्थिति सोलापुर के पिराची सिरौली (थाना पंढरपुर) में पाई गई।
1400 किमी का सफर और सुरक्षित वापसी शिवपुरी और सोलापुर पुलिस के आपसी समन्वय से स्थानीय पुलिस टीम मौके पर पहुंची। मजदूरों की आर्थिक स्थिति और दूरी (1400 किमी) को देखते हुए पुलिस ने विशेष क्रूजर वाहन की व्यवस्था की। सूचना मिलने के 48 घंटे के भीतर सभी 15 मजदूरों (जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं) को सकुशल शिवपुरी लाकर उनके गांव सेंवढ़ा पहुंचाया गया।
यह खबर शिवपुरी जिले के पलायन की कहानी को चिन्हित करती है। इससे पूर्व बदरवास क्षेत्र के आदिवासी मजदूरों को भी मुक्त कराया गया था। आदिवासियों के उत्थान के लिए सैकड़ों योजना मप्र के विभागों में संचालित है,लेकिन इन योजनाओं का दम फूल रहा है इस कारण ही मजदूरी करने के लिए शिवपुरी के आदिवासी परिवार 1400 किलोमीटर दूर जा रहे है। अगर शिवपुरी में पर्याप्त रोजगार उपलब्ध होता तो शायद शिवपुरी का आम मजदूर मजदूरी करने इतनी दूर नही जाता।