कोलारस। जनपद पंचायत सीईओ दिनेश शाक्य ने 10 फरवरी को कोलारस जनपद पंचायत का पदभार ग्रहण किया था। इसके बाद उन्हें 24 जुलाई को बदरवास जनपद पंचायत का भी अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया। कोलारस और बदरवास की जनपदों के अंतर्गत 132 ग्राम पंचायतें आती हैं।
इन सभी ग्राम पंचायतों में होने वाले निर्माण कार्यों और प्रस्तावित कार्यों के निरीक्षण का दायित्व जनपद पंचायत सीईओ दिनेश शाक्य के कंधों पर है। किंतु 2 जनपद पंचायतों का प्रभार होने के बाद भी सीईओ शाक्य कार्यालयीन समय पर नहीं आते हैं। सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक जनपद पंचायत पर चक्कर काटते हुए देखे जाते हैं। न ही समय पर बैठकें आयोजित हो रही हैं और न ही ग्राम पंचायतों में भाजपा द्वारा संचालित योजनाओं को लेकर कोई रूपरेखा तैयार की जा रही है।
जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायतों में शासन द्वारा ग्राम पंचायत भवनों का निर्माण किया गया है और लाखों रुपये की तकनीकी सामग्री यहां मुहैया कराई गई है। ताकि शासन के निर्देशानुसार ग्राम सभाओं की बैठकों का आयोजन किया जा सके। किंतु जनपद पंचायत सीईओ दिनेश शाक्य के निरीक्षण के अभाव में अधिकतर ग्राम पंचायतों के पंचायत भवनों में तालाबंदी के हालात बने हुए हैं। कई ग्राम पंचायत भवन जर्जर हो गए हैं और अधिकतर पंचायत भवनों में प्रदान की गई कंप्यूटर, एलईडी, लैपटॉप, टेबल, कुर्सियां आदि तकनीकी सामग्री सरपंच और सचिवों के घरों की शोभा बढा रही है।
पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल ने सभी ग्राम पंचायतों में मुख्य रूप से शांतिधामों के निर्माण करने को लेकर आदेश जारी किए हैं। जो हर ग्राम पंचायत में प्राथमिकता से तैयार किए जाने की योजना है। इसके लिए जनपद स्तर से गहन निरीक्षण किया जाना आवश्यक है। किंतु ग्राम पंचायत के इस अति महत्वपूर्ण कार्य में भी सीईओ दिनेश शाक्य अनदेखी कर रहे हैं।
जिन ग्राम पंचायतों में शांतिधाम के नाम पर राशि प्रदाय कर दी गई थी, उनका सही से निरीक्षण न होने से खुले आसमान के नीचे शव का दाह संस्कार ग्राम वासियों को करना पड रहा है। वहीं ग्राम पंचायत में निर्माण कार्यों के नाम पर जो शासकीय राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है उस पर भी अंकुश लगाने में सीईओ दिनेश शाक्य असफल साबित हो रहे हैं।
करोड़ों रुपये से निर्मित सड़कें और पुलियाएं तहस-नहस
कोलारस जनपद के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों में पुलियाओं और सड़कों के लिए आई करोड़ों की राशि का दुरुपयोग कर सरपंच सचिव द्वारा घटिया निर्माण कार्य कराए गए। इस बार हुई अत्यधिक वर्षा ने इस निर्माण कार्य में हुए भ्रष्टाचार की पोल खोल दी। जो जांच का बडा विषय है, किंतु जनपद स्तर से इन बदहाल सड़कों और जर्जर पुलियाओं व रपटों को लेकर विभागीय स्तर से अधिकारियों द्वारा कोई निरीक्षण नहीं किया गया।
इन सभी ग्राम पंचायतों में होने वाले निर्माण कार्यों और प्रस्तावित कार्यों के निरीक्षण का दायित्व जनपद पंचायत सीईओ दिनेश शाक्य के कंधों पर है। किंतु 2 जनपद पंचायतों का प्रभार होने के बाद भी सीईओ शाक्य कार्यालयीन समय पर नहीं आते हैं। सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक जनपद पंचायत पर चक्कर काटते हुए देखे जाते हैं। न ही समय पर बैठकें आयोजित हो रही हैं और न ही ग्राम पंचायतों में भाजपा द्वारा संचालित योजनाओं को लेकर कोई रूपरेखा तैयार की जा रही है।
जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायतों में शासन द्वारा ग्राम पंचायत भवनों का निर्माण किया गया है और लाखों रुपये की तकनीकी सामग्री यहां मुहैया कराई गई है। ताकि शासन के निर्देशानुसार ग्राम सभाओं की बैठकों का आयोजन किया जा सके। किंतु जनपद पंचायत सीईओ दिनेश शाक्य के निरीक्षण के अभाव में अधिकतर ग्राम पंचायतों के पंचायत भवनों में तालाबंदी के हालात बने हुए हैं। कई ग्राम पंचायत भवन जर्जर हो गए हैं और अधिकतर पंचायत भवनों में प्रदान की गई कंप्यूटर, एलईडी, लैपटॉप, टेबल, कुर्सियां आदि तकनीकी सामग्री सरपंच और सचिवों के घरों की शोभा बढा रही है।
पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल ने सभी ग्राम पंचायतों में मुख्य रूप से शांतिधामों के निर्माण करने को लेकर आदेश जारी किए हैं। जो हर ग्राम पंचायत में प्राथमिकता से तैयार किए जाने की योजना है। इसके लिए जनपद स्तर से गहन निरीक्षण किया जाना आवश्यक है। किंतु ग्राम पंचायत के इस अति महत्वपूर्ण कार्य में भी सीईओ दिनेश शाक्य अनदेखी कर रहे हैं।
जिन ग्राम पंचायतों में शांतिधाम के नाम पर राशि प्रदाय कर दी गई थी, उनका सही से निरीक्षण न होने से खुले आसमान के नीचे शव का दाह संस्कार ग्राम वासियों को करना पड रहा है। वहीं ग्राम पंचायत में निर्माण कार्यों के नाम पर जो शासकीय राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है उस पर भी अंकुश लगाने में सीईओ दिनेश शाक्य असफल साबित हो रहे हैं।
करोड़ों रुपये से निर्मित सड़कें और पुलियाएं तहस-नहस
कोलारस जनपद के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों में पुलियाओं और सड़कों के लिए आई करोड़ों की राशि का दुरुपयोग कर सरपंच सचिव द्वारा घटिया निर्माण कार्य कराए गए। इस बार हुई अत्यधिक वर्षा ने इस निर्माण कार्य में हुए भ्रष्टाचार की पोल खोल दी। जो जांच का बडा विषय है, किंतु जनपद स्तर से इन बदहाल सड़कों और जर्जर पुलियाओं व रपटों को लेकर विभागीय स्तर से अधिकारियों द्वारा कोई निरीक्षण नहीं किया गया।
जिस कारण इस भ्रष्टाचार में सम्मलित सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक, उपयंत्री, सहायक यंत्री के खिलाफ कोई भी कार्रवाई सुनिश्चित नहीं की गई। न ही इन बदहाल कार्यों को नए सिरे से कराने की कोई पहल की गई।