शिवपुरी। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान में शिवपुरी के शिक्षकों, जिन्हें बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) बनाया गया है, उनके मतदाता सूची में निवास स्थान बदल देने की खबर मिल रही हैं। अधिकारियों ने अपनी पिछली भूल को छिपाने के लिए कई शिक्षकों के निवास स्थान को उनकी जानकारी और सहमति के बिना मतदाता सूची में बदल दिया है। इस मामले मे कर्मचारी नेता राजेन्द्र पिपलौदा का कहना है वह जल्द की ज्ञापन सौपेंगें,वही इस मामले में शिवपुरी एसडीएम ने बताया यह इसलिए किया कि धोखाधडी ना हो,लेकिन बीएलओ से ओटीपी लेकर उनकी बिना अनुमति से उनके निवास स्थान बदल दिए गए यह धोखाधडी अवश्य हो चुकी है।
ऐसा शिक्षक अपने वार्ड में निकाय चुनाव में मतदान नहीं कर सकता
प्रशासन ने बीएलओ ड्यूटी में लगे शिक्षकों के नए मतदाता परिचय पत्र जारी किए हैं, जिनमें उनके निवास स्थान ही बदल दिए गए हैं। नए मतदाता परिचय पत्र के हिसाब से अब बीएलओ ड्यूटी में लगे उक्त शिक्षक का निवास स्थान कहां का है जहां वह बीएलओ ड्यूटी कर रहा है, जबकि उसके परिवार का निवास स्थान वहां है, जहां वह वास्तविक रूप से निवास करता है। ऐसे हालातों में आने वाले समय में इन शिक्षकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि मतदाता परिचय पत्र में उनका पता दूसरा होगा, जबकि आधार कार्ड, पासपोर्ट आदि में पत्ता दूसरा।
इस मतदाता परिचय पत्र से वह विधानसभा और लोकसभा चुनाव में तो मतदान कर सकेगा, लेकिन जब उसे नगरीय निकाय के चुनाव में अपने वार्ड का पार्षद चुनने के लिए मतदान करना होगा तो वह मतदान नहीं कर सकेगा, क्योंकि उसका बोट तो उस जगह पर होगा, जहां पर वह बीएलओ की ड्यूटी कर रहा है।
ओटीपी मांगी और बदल दिया पता
प्रशासनिक अधिकारियों के दबाव के चलते सीधे तौर पर तो कोई भी बीएलओ इस तथ्य पर आन रिकार्ड तो कुछ कहने को तैयार नहीं हैं, लेकिन उनमें आक्रोश की स्थिति बनी हुई है। शिक्षकों का कहना है कि वह गांव में पदस्थ हैं, उन्हें उठाकर शहर में बीएलओ बना दिया गया, यहां तक भी ठीक था, लेकिन निर्वाचन आयोग द्वारा बनाए गए उस्नी क्षेत्र का कर्मचारी होने के नियम के चलते करीब दो से तीन माह पूर्व एसडीएम कार्यालय स्तर से बीएलओ ड्यूटी वाले शिक्षकों से ओटीपी ली गई और उन्हें उस वार्ड या पोलिंग क्षेत्र का मतदाता बना दिया गया, जहां वह निवास ही नहीं करते। उनके अनुसार आधार से लेकर अन्य दस्तावेजों में उनका वास्तविक पता अन्यत्र है।
ग्रामीण क्षेत्र मे कई स्कूल शिक्षक विहीन हुए
इस परीक्षा सिर पर, पढ़ाई चौपट पूरे मामले में ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में सैकड़ों शिक्षकों को बीएलओ बनाए जाने से स्कूलों में पढ़ाई पूरी तरह
चौपट है, क्योंकि अधिकांश स्कूल शिक्षक के बीएलओ बन जाने से एक शिक्षकीय या शिक्षक विहीन रह गए हैं। सवाल यह भी है कि, शहरी क्षेत्र में भी शिक्षकों सहित राजस्व व अन्य विभागों का भारी भरकम अमला पदस्थ होने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्र से कई किमी दूर शहर में शिक्षकों को बीएलओ क्यों और किस नियम से बनाया गया।
यह है पूरा मामला
दरअसल, बीएलओ ड्यूटी को लेकर निर्वाचन आयोग के साथ-साथ न्यायालय ने निर्देश दिए थे कि एसआईआर सर्वे के लिए उस कर्मचारी को उसी पोलिंग क्षेत्र में बीएलओ बनाया जाए, जहां का वह मतदाता है। जबकि प्रशासन की लापरवाही के चलते शिवपुरी क्षेत्र में बीएलओ की ड्यूटी लगाने के बाद नियम याद आया। इसी नियम को अमल में लाने के लिए एसडीएम कार्यालय द्वारा बीएलओ की ड्यूटी के अनुसार शिक्षकों के मतदाता पहचान व निवास ही मतदाता सूची में बदल दिए गए हैं।
इनका कहना हैं
पहले तो ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में नियम विरूद्ध शिक्षकों को बीएलओ बनाना ही गलत है, उसके बाद, नए नियमों के पालन के फेर में कई बीएलओ ड्यूटी शिक्षकों का नाम ही वास्तविक निवास स्थान से बदलकर ड्यूटी वाले क्षेत्र की मतदाता सूची में करवा दिया गया है, जो पूर्णतः गलत है। मुझे कई शिक्षकों ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई है, हम इसे लेकर जल्द ही ज्ञापन सौंपेंगे।
राजेंद्र पिपलौदा, कर्मचारी नेता।
हमने यह मतदाता परिचय पत्र इसलिए बनाए है ताकि लोगों को भ्रम की स्थिति न बने। जब शिक्षक बीएलओ ड्यूटी के दौरान एसआईआर सर्वे करने जाए तो लोगों को वह अपना मतदाता परिचय पत्र बता सके, लोगों के साथ कोई धोखाधड़ी न कर सके। रही बात नगरीय निकाय चुनावों की तो उस समय संबंधित शिक्षक दावा-आपत्ति लगा कर परिवर्तन करवा सकता है। शहर में इतने शिक्षक नहीं होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से शिक्षक बुलाकर शहर में ड्यूटी पर लगाए गए हैं।
आनंद राजावत, एसडीएम शिवपुरी।