शिवपुरी। भटनावर गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा की तीसरे दिन कथा वाचक पंडित विक्रम महाराज धाम वृंदावन ने श्रद्धालुओं को व्यास गद्दी से बोलते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत से होता है मानव को कर्तव्यबोध तथा परीक्षित ने भगवान से प्रश्न किया था कि मरने वाले प्राणी को क्या करना चाहिए, महाराज ने सभी जीवो को अपने-अपने कर्तव्यों के बारे में बताया तथा सृष्टि का क्रम भी विस्तार से बताया।
तथा ईश्वर भक्ति का महत्व बताया उन्होंने भक्ति प्रहलाद और धर्म की प्रेरणादायक कथाएं सुनाएं जिसमें संघर्ष, आस्था और भक्ति की गहराई झलकती है कथा वाचक ने कहा कि भक्ति मार्ग पर चलना जितना सरल दिखता है उतना है नहीं केवल वही इस मार्ग पर टिक पाता है जिसमें सच्ची श्रद्धा और धैर्य होता है।
उन्होंने भक्त प्रहलाद का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें पहाड़ से गिराया गया, समुद्र में फेंका गया, विष दिया गया, और काल कोठरी में बंद किया गया, लेकिन उनकी भक्ति में कोई कमी नहीं आई इसलिए भगवान ने नरसिंह अवतार लेकर अपने भक्त की रक्षा की उन्होंने बताया कि प्रहलाद को कम उम्र में ही ब्रम्ह् ज्ञान प्राप्त हो गया था।
जैसे अभिमन्यु ने चक्रव्यूह वेधन की विद्या मां के गर्भ में सिखी वैसी ही प्रहलाद ने अपनी माता के माध्यम से संस्कारवान बने कथा में ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए पंडित कोठारी ने बताया कि धर्म की मां सुनीति ने इस भगवान की शरण में जाने की प्रणाली बालक धर्म में घर छोड़कर मधुबन में कठोर तपस्या की और भगवान विष्णु को प्रसन्न कर ध्रुव लोक प्राप्त किया । आज भी आकाश में चमकता ध्रुव तारा उनकी भक्ति और तपस्या का प्रतीक है। कथा में कपिल देव धति संवाद का भी वर्णन किया
पंडित गोविंद प्रसाद दीक्षित जी ने अष्टोत्तर करने वाले सभी वेदपाठी पंडितों को स्वयं के द्वारा रचित जप करने वालोंको पुस्तक भेंट कर सभी 120 पंडितों का स्वागत किया। कथा समापन पर हुए भजनों की धुन पर श्रद्धालु खूब झूमते रहे कथा के दौरान बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी मौजूद रहे। अंत में आरती हुई,।
तथा ईश्वर भक्ति का महत्व बताया उन्होंने भक्ति प्रहलाद और धर्म की प्रेरणादायक कथाएं सुनाएं जिसमें संघर्ष, आस्था और भक्ति की गहराई झलकती है कथा वाचक ने कहा कि भक्ति मार्ग पर चलना जितना सरल दिखता है उतना है नहीं केवल वही इस मार्ग पर टिक पाता है जिसमें सच्ची श्रद्धा और धैर्य होता है।
उन्होंने भक्त प्रहलाद का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें पहाड़ से गिराया गया, समुद्र में फेंका गया, विष दिया गया, और काल कोठरी में बंद किया गया, लेकिन उनकी भक्ति में कोई कमी नहीं आई इसलिए भगवान ने नरसिंह अवतार लेकर अपने भक्त की रक्षा की उन्होंने बताया कि प्रहलाद को कम उम्र में ही ब्रम्ह् ज्ञान प्राप्त हो गया था।
जैसे अभिमन्यु ने चक्रव्यूह वेधन की विद्या मां के गर्भ में सिखी वैसी ही प्रहलाद ने अपनी माता के माध्यम से संस्कारवान बने कथा में ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए पंडित कोठारी ने बताया कि धर्म की मां सुनीति ने इस भगवान की शरण में जाने की प्रणाली बालक धर्म में घर छोड़कर मधुबन में कठोर तपस्या की और भगवान विष्णु को प्रसन्न कर ध्रुव लोक प्राप्त किया । आज भी आकाश में चमकता ध्रुव तारा उनकी भक्ति और तपस्या का प्रतीक है। कथा में कपिल देव धति संवाद का भी वर्णन किया
पंडित गोविंद प्रसाद दीक्षित जी ने अष्टोत्तर करने वाले सभी वेदपाठी पंडितों को स्वयं के द्वारा रचित जप करने वालोंको पुस्तक भेंट कर सभी 120 पंडितों का स्वागत किया। कथा समापन पर हुए भजनों की धुन पर श्रद्धालु खूब झूमते रहे कथा के दौरान बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी मौजूद रहे। अंत में आरती हुई,।