भोपाल। शिवपुरी-श्योपुर जिले की सीमा पर स्थित कूनो नेशनल पार्क में वर्तमान समय में बधाई गीत गाए जा रहे है,क्यो की मादा ज्वाला चीता,नानी बन चुकी है और मादा आशा चीता अब दादी का दर्जा प्राप्त कर चुकी है। भारतीय धरती पर जन्म लेने वाली मुखी अब पांच बच्चो की माँ बन चुकी है। अब तीसरी पीढ़ी का चीता कूनो नेशनल पार्क में इस प्रोजेक्ट की सफलता के बधाई गीत गा रहा है और इसकी गूंज पूरे देश सहित अफ्रीकी देशों में भी है।
मुखी को नहीं मिला मॉ का प्यार
नामीबिया से आई चीता ज्वाला ने 29 मार्च 2023 को चार शावकों को जन्म दिया लेकिन केवल दो महीने बाद ही भीषण गर्मी और प्राकृतिक चुनौतियों के कारण तीन शावकों की मृत्यु हो गई। इस मुश्किल समय में पार्क प्रबंधन ने मुखी की जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया। उसे इंसानी बच्चे की तरह पाला, बोतल से दूध पिलाया और पूरी तरह से विशेष देखभाल में रखा। पार्क प्रबंधन के इन प्रयासों से मुखी की जान तो बच गई, लेकिन आठ महीने बाद जब उसे मां के पास ले जाया गया, तब भी मां ज्वाला ने उसे स्वीकार नहीं किया। इसके बावजूद, पार्क प्रबंधन ने उसे ज्वाला के पास के बाड़े में रखा ताकि मां का मातृत्व जाग सके, पर ऐसा नहीं हुआ।
ज्वाला ने त्याग दिया था,बिना मॉ के शिकार करना सीखी
मुखी बिना मां के सहारे ही पली-बढ़ी। उसने दूर से ज्वाला को देखकर शिकार करना सीखा। तीन महीने पहले ढाई साल की उम्र में जब मुखी जवानी दहलीज पर पहुंची, पार्क प्रबंधन ने अलर्ट होकर उसकी शिकार क्षमताएं विकसित करने के लिए उसे खुले जंगल में छोड़ दिया। वहां उसका मिलन आशा के 19 महीने के शावक से हुआ। दोनों के बीच मैटिंग हुई, इसके बाद मुखी ने पांच स्वस्थ शावकों को जन्म दिया है, जो पूरी तरह से भारतीय माता-पिता की संतान हैं।
अब देश में चीतों की संख्या 32 हो चुकी हैं
बता दें कि कूनो नेशनल पार्क में कुल चीतों की संख्या 24 थी, इनके जन्म के बाद अब 29 चीते हो गए हैं। वहीं देश में चीतों की संख्या 32 हो चुकी है, क्योंकि 3 चीते गांधी सागर अभयारण्य में हैं। मादा चीता मुखी अब तक शिकार नहीं जानती है, लेकिन पार्क प्रबंधन ने बताया कि उसकी मां भी अनट्रेंड थी, पर उसने खुले जंगल में जाने के बाद शिकार सीख लिया। ऐसे ही मुखी भी सीख लेगी। कूनो में 5 नवजात शावकों को मिलाकर 29 चीते, इनमें से 21 भारतीय है और कूनो में 11 भारतीय वयस्क चीते, इनमें 7 नामीबियाई मां से जन्मे
पहली बार नवंबर में शावकों का जन्म
कूनो नेशनल पार्क में मुखी के 5 शावकों का जन्म नवंबर माह में हुआ है, जो सर्दियों की शुरुआत है। ऐसा पहली दफा है, क्योंकि ज्यादातर जनवरी के बाद ही शावकों का जन्म होता रहा है। पार्क से जुड़े लोग बता रहे हैं, कि इसका लाभ चीतों को होगा क्योंकि सर्दी के मौसम में आसानी एडजस्ट कर सकेंगे।
जिन मां के कम बच्चे, उनकी मौत नहीं हुई
पार्क में जो मादा चीता मां बनी हैं, उनमें 4 या उससे अधिक शावकों को जन्म देने वाली ज्यादातर मां के शावकों की मौत हुई है। सिर्फ इससे कम शावक पैदा करने वाले बच्चे ही बच सके हैं। आशा के तीन इनमें 4 जीवित हैं। वीरा ने 4 फरवरी 2025 को दो और वीरा के दो शावक इसके उदाहरण हैं, जो पूरी तरह से स्वस्थ हैं। शेष सभी मां के एक दो बच्चों की मौत हो चुकी है। ऐसे में मुखी के बच्चों को बचाना भी पार्क प्रबंधन के लिए चुनौती होगी।
जानिए, प्रोजेक्ट चीता के तथ्य
भारत में 1952 से विलुप्त चीतों की आबादी को फिर से बहाल करने 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से लाए गए 8 अफ्रीकी चीतों (5 मादा, 3 नर) को पीएम नरेंद्र मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा। 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते आए। अब कुल 20 चीते हो गए। ज्वाला ने 29 मार्च को 4 शाक्कों को जन्म दिया आशा ने 3 जनवरी 2024 को 3 नर शाक्कों को जन्म दिया ज्वाला ने 16 जनवरी 2024 में फिर 4 शावकों को जन्म दिया दामिनी ने 10 मार्च 2024 को छह चीतों को जन्म दिया। शाक्कों को जन्म दिया। निर्वा 27 अप्रैल 2025 को 5 शाक्क को जन्म दिया। अब मुखी ने 5 शाक्कों को जन्म दिया है।
मुखी को नहीं मिला मॉ का प्यार
नामीबिया से आई चीता ज्वाला ने 29 मार्च 2023 को चार शावकों को जन्म दिया लेकिन केवल दो महीने बाद ही भीषण गर्मी और प्राकृतिक चुनौतियों के कारण तीन शावकों की मृत्यु हो गई। इस मुश्किल समय में पार्क प्रबंधन ने मुखी की जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया। उसे इंसानी बच्चे की तरह पाला, बोतल से दूध पिलाया और पूरी तरह से विशेष देखभाल में रखा। पार्क प्रबंधन के इन प्रयासों से मुखी की जान तो बच गई, लेकिन आठ महीने बाद जब उसे मां के पास ले जाया गया, तब भी मां ज्वाला ने उसे स्वीकार नहीं किया। इसके बावजूद, पार्क प्रबंधन ने उसे ज्वाला के पास के बाड़े में रखा ताकि मां का मातृत्व जाग सके, पर ऐसा नहीं हुआ।
ज्वाला ने त्याग दिया था,बिना मॉ के शिकार करना सीखी
मुखी बिना मां के सहारे ही पली-बढ़ी। उसने दूर से ज्वाला को देखकर शिकार करना सीखा। तीन महीने पहले ढाई साल की उम्र में जब मुखी जवानी दहलीज पर पहुंची, पार्क प्रबंधन ने अलर्ट होकर उसकी शिकार क्षमताएं विकसित करने के लिए उसे खुले जंगल में छोड़ दिया। वहां उसका मिलन आशा के 19 महीने के शावक से हुआ। दोनों के बीच मैटिंग हुई, इसके बाद मुखी ने पांच स्वस्थ शावकों को जन्म दिया है, जो पूरी तरह से भारतीय माता-पिता की संतान हैं।
अब देश में चीतों की संख्या 32 हो चुकी हैं
बता दें कि कूनो नेशनल पार्क में कुल चीतों की संख्या 24 थी, इनके जन्म के बाद अब 29 चीते हो गए हैं। वहीं देश में चीतों की संख्या 32 हो चुकी है, क्योंकि 3 चीते गांधी सागर अभयारण्य में हैं। मादा चीता मुखी अब तक शिकार नहीं जानती है, लेकिन पार्क प्रबंधन ने बताया कि उसकी मां भी अनट्रेंड थी, पर उसने खुले जंगल में जाने के बाद शिकार सीख लिया। ऐसे ही मुखी भी सीख लेगी। कूनो में 5 नवजात शावकों को मिलाकर 29 चीते, इनमें से 21 भारतीय है और कूनो में 11 भारतीय वयस्क चीते, इनमें 7 नामीबियाई मां से जन्मे
पहली बार नवंबर में शावकों का जन्म
कूनो नेशनल पार्क में मुखी के 5 शावकों का जन्म नवंबर माह में हुआ है, जो सर्दियों की शुरुआत है। ऐसा पहली दफा है, क्योंकि ज्यादातर जनवरी के बाद ही शावकों का जन्म होता रहा है। पार्क से जुड़े लोग बता रहे हैं, कि इसका लाभ चीतों को होगा क्योंकि सर्दी के मौसम में आसानी एडजस्ट कर सकेंगे।
जिन मां के कम बच्चे, उनकी मौत नहीं हुई
पार्क में जो मादा चीता मां बनी हैं, उनमें 4 या उससे अधिक शावकों को जन्म देने वाली ज्यादातर मां के शावकों की मौत हुई है। सिर्फ इससे कम शावक पैदा करने वाले बच्चे ही बच सके हैं। आशा के तीन इनमें 4 जीवित हैं। वीरा ने 4 फरवरी 2025 को दो और वीरा के दो शावक इसके उदाहरण हैं, जो पूरी तरह से स्वस्थ हैं। शेष सभी मां के एक दो बच्चों की मौत हो चुकी है। ऐसे में मुखी के बच्चों को बचाना भी पार्क प्रबंधन के लिए चुनौती होगी।
जानिए, प्रोजेक्ट चीता के तथ्य
भारत में 1952 से विलुप्त चीतों की आबादी को फिर से बहाल करने 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से लाए गए 8 अफ्रीकी चीतों (5 मादा, 3 नर) को पीएम नरेंद्र मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा। 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते आए। अब कुल 20 चीते हो गए। ज्वाला ने 29 मार्च को 4 शाक्कों को जन्म दिया आशा ने 3 जनवरी 2024 को 3 नर शाक्कों को जन्म दिया ज्वाला ने 16 जनवरी 2024 में फिर 4 शावकों को जन्म दिया दामिनी ने 10 मार्च 2024 को छह चीतों को जन्म दिया। शाक्कों को जन्म दिया। निर्वा 27 अप्रैल 2025 को 5 शाक्क को जन्म दिया। अब मुखी ने 5 शाक्कों को जन्म दिया है।