शिवपुरी। अपनी आवश्यकताओं एवं व्यवसाय के लिए बतौर उधार ऋण के रूप में 2 लाख रुपये उधार लेकर ऋण को नहीं चुकाने वाले आरोपी को माननीय सुश्री प्रिया शर्मा न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी जिला शिवपुरी के द्वारा अभियुक्त को धारा 138 परक्राम्य लिखत अधि. के अंतर्गत दोषी पाते हुए छ: माह का सश्रम कारावास एवं 2 लाख 52 रुपये प्रतिकर एवं प्रतिकर जमा ना करने पर एक माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा से दंडित किए जाने का निर्णय पारित किया गया। इस प्रकरण में परिवादी की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव के द्वारा की गई।
परिवाद के अनुसार अभियुक्त राजेन्द्र कुमार यादव उर्फ राजू यादव पूर्व पार्षद निवासी वार्ड क्र.17 लुधावली शिवपुरी ने गया प्रसाद यादव निवासी लुधावली से परिचित होने के चलते अपनी पारिवारिक एवं व्यावसायिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए 2 लाख रुपये बतौर उधार ऋण के रूप में दिनांक 28.10.2022 को लिए थे, जिसके एवज में अभियुक्त पूर्व पार्षद राजू यादव ने परिवादी गया प्रसाद को भुगतान हेतु आगामी दिनांक का चेक भुगतान हेतु दिया था, परिवादी गया प्रसाद यादव ने उक्त चेक भुगतान हेतु अपने बैंक में जमा किया तो अपर्याप्त राशि की टीप के साथ चेक बैंक द्वारा फरियादी गयाप्रसाद यादव को वापिस कर दिया गया।
उक्त चेक बाउंस होने की सूचना तथा चेक राशि की मांग हेतु अपने अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव के माध्यम से परिवादी गया प्रसाद यादव ने अभियुक्त पूर्व पार्षद राजू यादव को सूचना पत्र रजिस्टर्ड डाक से भिजवाया था किन्तु अभियुक्त को सूचना पत्र प्राप्त होने के पश्चात भी चेक राशि का अभियुक्त पूर्व पार्षद राजू यादव ने भुगतान नहीं किया। फिर उक्त चेक राशि को प्राप्त करने के लिए परिवादी गया प्रसाद यादव ने अपने अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव के माध्यम से परिवाद पत्र धारा 138 पराक्रम लिखत अधिनियम के तहत माननीय न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया।
करीब 3 वर्ष बाद उक्त प्रकरण में आए साक्ष्य के उपरांत माननीय सुश्री प्रिया शर्मा न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी जिला शिवपुरी ने अभियुक्त राजेन्द्र कुमार यादव उर्फ राजू यादव पूर्व पार्षद को धारा 138 में दोषी पाते हुए छ: माह का सश्रम कारावास एवं 2 लाख 52 हजार रुपये प्रतिकर एवं प्रतिकर जमा ना करने पर एक माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा से दंडित किए जाने का निर्णय पारित किया गया। इस प्रकरण में परिवादी की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव के साथ सहयोगी अधिवक्ता अशफाक खान, अजय शाक्य के द्वारा की गई।