करैरा। शिवपुरी जिले के करैरा अनुविभाग के अन्तर्गत आमोलपठा क्षेत्र में ऐसी कई आँगनबाड़ी केन्द्रों पर पदस्थ कार्यकर्ता है जो अपने निवास पर न रहते हुए। करैरा में अपने बच्चों का भविष्य सुधारने में लगीं हुई है, जबकि दूसरों के बच्चों का भविष्य अंधकार में बना रही है।
जबकि देखा जाए तो आँगनबाड़ी केन्द्रों पर कार्यकर्ता सप्ताह के प्रत्येक मंगलवार के दिन आँगनबाड़ी केन्द्र पर पहुंचती है। बाकी करैरा में ही निवास रहकर कागजों की खानापूर्ती करतीं रहती हैं। और सहायकाओं के सिर पर मडरा रहा आँगनबाड़ी केन्द्र जिस पर परियोजना अधिकारी से लेकर सुपरबाईजर तक कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
ऐसा ही एक मामला आमोलपठा क्षेत्र के मजरा भिडक्यूयन की मडैया का है।
जहां कार्यकर्ता रानी लोधी द्वारा अपनी सहायिका को हटाने की धमकी एवं दादागिरी दिखाते हुए नियमित आँगनबाड़ी केन्द्र को खोलने का दबाव बना रहीं हैं।
जबकि सहायिका दस बर्षों से आँगनबाड़ी केन्द्र को नियमित खोल रही है। और कार्यकर्ता करैरा में निवास कर अपने बच्चों को पड़ा रही है। कहीं सहायिका को मीटिंग का बहाना बना देतीं और कहीं सुपरबाईजर के साथ किसी और आँगनबाड़ी केन्द्र का निरिक्षण करने का बहाना बना देतीं हैं। बल्कि इतना ही नहीं रानी लोधी का यह भी कहना है कि मैं महिला बाल विकास विभाग कार्यालय में लिखा पढ़ी का कार्य करती हू।
वहीं कार्यकर्ता रानी लोधी द्वारा अपनी निजी जमीन को दान पुन्य में देकर आँगनबाड़ी केन्द्र संचालित है। जहां सहायिका को केन्द्र की साफ-सफाई सहित उनके घर के दरवाजे की भी सफाई करनी पडती है। और आँगनबाड़ी केन्द्र में बना शौचालय जिसमें कार्यकर्ता के परिवार वाले ही उपयोग कर रहे हैं।
स्वसहता समूह की मनमानी चरम पर कार्यकर्ता व समूह की मिलीभगत
इधर ग्रामीणों का कहना है कि स्वसहता समूह भी गडबडी कर रहा है। बच्चों को कभी- कभार खाना दिया जा रहा है, बल्कि नास्ता तो बच्चों को आज तक नसीब ही नहीं हुआ। खाना भी मीनू अनुसार नहीं मिल रहा है। क्योंकि जो स्वासहता समूह संचालित कर रहा है बो एक राजनैतिक प्रवृत्ति के ब्यक्ति हैं अपने आपको विधायक रमेश प्रसाद खटीक के खास बताते हैं। और मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकते में अधिकारियों के ट्रांसफर कराने की दम रखता हूँ।
कार्यकर्ता रानी लोधी द्वारा करैरा में रहकर अपने परिवार के लोगों से मोबाइल से फोटो खिंचवा कर बच्चों की फर्जी उपस्थिति दर्ज कर लेतीं हैं। और स्वसहता समूह में भी खाना एवं नास्ता की फर्जी उपस्थित पत्रक भरकर महिला बाल विकास विभाग में जमा कर देतीं हैं ग्रामीणों का कहना है कि इस कार्यकर्ता पर कठोर कार्यवाही कर पद से हटाया जाए। अब देखते हैं कि परियोजना अधिकारी क्या करते हैं। या फिर ठंडे बस्ते में पड जायेगे।
जबकि देखा जाए तो आँगनबाड़ी केन्द्रों पर कार्यकर्ता सप्ताह के प्रत्येक मंगलवार के दिन आँगनबाड़ी केन्द्र पर पहुंचती है। बाकी करैरा में ही निवास रहकर कागजों की खानापूर्ती करतीं रहती हैं। और सहायकाओं के सिर पर मडरा रहा आँगनबाड़ी केन्द्र जिस पर परियोजना अधिकारी से लेकर सुपरबाईजर तक कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
ऐसा ही एक मामला आमोलपठा क्षेत्र के मजरा भिडक्यूयन की मडैया का है।
जहां कार्यकर्ता रानी लोधी द्वारा अपनी सहायिका को हटाने की धमकी एवं दादागिरी दिखाते हुए नियमित आँगनबाड़ी केन्द्र को खोलने का दबाव बना रहीं हैं।
जबकि सहायिका दस बर्षों से आँगनबाड़ी केन्द्र को नियमित खोल रही है। और कार्यकर्ता करैरा में निवास कर अपने बच्चों को पड़ा रही है। कहीं सहायिका को मीटिंग का बहाना बना देतीं और कहीं सुपरबाईजर के साथ किसी और आँगनबाड़ी केन्द्र का निरिक्षण करने का बहाना बना देतीं हैं। बल्कि इतना ही नहीं रानी लोधी का यह भी कहना है कि मैं महिला बाल विकास विभाग कार्यालय में लिखा पढ़ी का कार्य करती हू।
वहीं कार्यकर्ता रानी लोधी द्वारा अपनी निजी जमीन को दान पुन्य में देकर आँगनबाड़ी केन्द्र संचालित है। जहां सहायिका को केन्द्र की साफ-सफाई सहित उनके घर के दरवाजे की भी सफाई करनी पडती है। और आँगनबाड़ी केन्द्र में बना शौचालय जिसमें कार्यकर्ता के परिवार वाले ही उपयोग कर रहे हैं।
स्वसहता समूह की मनमानी चरम पर कार्यकर्ता व समूह की मिलीभगत
इधर ग्रामीणों का कहना है कि स्वसहता समूह भी गडबडी कर रहा है। बच्चों को कभी- कभार खाना दिया जा रहा है, बल्कि नास्ता तो बच्चों को आज तक नसीब ही नहीं हुआ। खाना भी मीनू अनुसार नहीं मिल रहा है। क्योंकि जो स्वासहता समूह संचालित कर रहा है बो एक राजनैतिक प्रवृत्ति के ब्यक्ति हैं अपने आपको विधायक रमेश प्रसाद खटीक के खास बताते हैं। और मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकते में अधिकारियों के ट्रांसफर कराने की दम रखता हूँ।
कार्यकर्ता रानी लोधी द्वारा करैरा में रहकर अपने परिवार के लोगों से मोबाइल से फोटो खिंचवा कर बच्चों की फर्जी उपस्थिति दर्ज कर लेतीं हैं। और स्वसहता समूह में भी खाना एवं नास्ता की फर्जी उपस्थित पत्रक भरकर महिला बाल विकास विभाग में जमा कर देतीं हैं ग्रामीणों का कहना है कि इस कार्यकर्ता पर कठोर कार्यवाही कर पद से हटाया जाए। अब देखते हैं कि परियोजना अधिकारी क्या करते हैं। या फिर ठंडे बस्ते में पड जायेगे।