करैरा। शिवपुरी जिले के करैरा वन मंडल के अंतर्गत उकायला परिक्षेत्र में स्थित नया खेरा बीट की नर्सरी कक्ष क्रमांक आरएफ 438 में वर्ष 2023-24 में 50 हेक्टेयर में 25 हजार पौधे रोपकर नर्सरी बनाई गई थी, परंतु यह नर्सरी सिर्फ कागजों में ही लगाई गई, धरातल पर दस प्रतिशत पौधे भी मौजूद नहीं हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि नर्सरी में पौधारोपण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन न तो पौधों की देखरेख की गई और न ही पानी की व्यवस्था। जो पेड़ नर्सरी में दिख रहे हैं, वे पुराने हैं, और नए पौधों का कोई अता-पता नहीं है।
नर्सरी को केवल दिखावे के लिए सड़क की ओर से कवर किया गया है, ताकि दूर से देखने वालों को यह भव्य नर्सरी लगे, लेकिन अंदर की सच्चाई यह
है कि यहां धरातल पर पौधरोपण किया ही नहीं गया है, यानि कि वन विभाग के कर्ताधर्ताओं ने कागजों में ही 25 हजार पौधे रोप डाले हैं।
बाउंड्री बाल के नाम पर भी भ्रष्टाचार
बात अगर नर्सरी की सुरक्षा के लिए खड़ी की गई बाउंड्री बाल की करें तो नियमानुसार 5 फीट ऊंची और डेढ़ फीट चौड़ी बाउंड्री बनाए जाने का प्रावधान था, लेकिन मौके पर इस नर्सरी की बाउंड्री की स्थिति दयनीय है। कहीं कहीं बाउंड्री की ऊंचाई मात्र 2 फीट है, तो कहीं यह इतनी संकरी है कि उसका कोई औचित्य ही नहीं रह जाता। कई स्थानों पर बाउंड्री है ही नहीं, जिसके चलते नर्सरी में पशुओं और बाहरी लोगों का आवागमन बेरोकटोक है और पौधों को नुकसान पहुंचने की संभावना बढ़ जाती है।
करैरा के रेंजर लक्ष्मण सिंह मीणा ने कहा कि, वैसे तो समय-समय पर पौधों की गिनती होती रहती है। अगर नर्सरी में पौधरोपण नहीं हुआ है तो हम इसे दिखवा लेते हैं। उचित समय पर गिनती होगी तो हम भी देखेंगे एवं रही बाउंड्री की बात तो 2 वर्ष पहले की बात है उस समय जैसा भी हुआ था, लेकिन फिर भी जहां कमी होगी वहां हम सुधारेंगे।
है कि यहां धरातल पर पौधरोपण किया ही नहीं गया है, यानि कि वन विभाग के कर्ताधर्ताओं ने कागजों में ही 25 हजार पौधे रोप डाले हैं।
बाउंड्री बाल के नाम पर भी भ्रष्टाचार
बात अगर नर्सरी की सुरक्षा के लिए खड़ी की गई बाउंड्री बाल की करें तो नियमानुसार 5 फीट ऊंची और डेढ़ फीट चौड़ी बाउंड्री बनाए जाने का प्रावधान था, लेकिन मौके पर इस नर्सरी की बाउंड्री की स्थिति दयनीय है। कहीं कहीं बाउंड्री की ऊंचाई मात्र 2 फीट है, तो कहीं यह इतनी संकरी है कि उसका कोई औचित्य ही नहीं रह जाता। कई स्थानों पर बाउंड्री है ही नहीं, जिसके चलते नर्सरी में पशुओं और बाहरी लोगों का आवागमन बेरोकटोक है और पौधों को नुकसान पहुंचने की संभावना बढ़ जाती है।
करैरा के रेंजर लक्ष्मण सिंह मीणा ने कहा कि, वैसे तो समय-समय पर पौधों की गिनती होती रहती है। अगर नर्सरी में पौधरोपण नहीं हुआ है तो हम इसे दिखवा लेते हैं। उचित समय पर गिनती होगी तो हम भी देखेंगे एवं रही बाउंड्री की बात तो 2 वर्ष पहले की बात है उस समय जैसा भी हुआ था, लेकिन फिर भी जहां कमी होगी वहां हम सुधारेंगे।