शिवपुरी। मानसून की अति सक्रियता से जहां बारिश का आंकड़ा बड़ा है। वहीं शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में भी बिल से बाहर निकले सांपों ने कई किसानों को डस लिया। इनमें से कई लोगों की मौत हुई है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के पास आधिकारिक रूप से एक की मौत की पुष्टि है। बताया जा रहा है कि शिवपुरी जिले के अधिकांश ग्रामीण इलाकों में रात के समय बिजली नहीं रहती और अंधेरा होने के कारण इस तरह की सर्पदंश की घटनाएं होती है। वही रात के समय किसान खेतो में काम करते है, तब भी वह सर्पदंश की घटनाओं का शिकार बन जाते है।
स्वास्थ्य महकमे के मुताबिक बीते तीन माह में 54 लोगों को सांप ने काटा है। जिसमें एक की सांप के जहर से मौत हो जाने की पुष्टि महकमे ने की है। बारिश के मौसम में सर्पदंश के मामले कोई नई बात नहीं है। अधिकतर सर्पदंश की घटनाएं खेत खलियानों से लेकर कच्चे मकानों में घटती हैं। प्रशासन के जिमेदार इस सच को जानते हैं, बावजूद इसके सर्पदंश से बचाव और उपचार के लिए कोई उल्लेखनीय व्यवस्था प्रशासन द्वारा नहीं की गई है। हद तो यह है कि मानव जीवन के लिए सीधा खतरा बने सांपों और उनके काटने के बाद क्या करना चाहिए।
इस साधारण प्रश्न के जवाब के लिए कोई जागरूकता अभियान प्रशासन ने किसी भी माध्यम से आम नागरिकों के बीच नहीं चलाया। सर्पदंश के बढ़ते मामलों को लेकर विधानसभा में भी प्रश्न उठाया गया है। उम्मीद है कि प्रशासन ग्रामीण क्षेत्रों में अपने जमीनी कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर सर्प दंश से मानव जीवन को बचाने की पहरेगा। ग्रामीणों की मांग है कि यदि बारिश में बिजली न काटी जाए तो सर्प देश के मामलों में भारी कमी आ जाएगी।
कागजों में एक, वास्तविकता में गई कई की जान
विगत तीन माह से जिले भर में सांपो के काटने की कई घटनाएं घटी हैं। स्वास्थ्य महकमा स्वीकार कर रहा है कि सर्पदंश से एक व्यक्ति की मौत हुई है, जबकि जिले में सांपो से होने वाली मौतों का आंकड़ा व्यावहारिक तौर पर एक दर्जन से अधिक है। हाल ही में एक मां बेटी को सोते समय सांप ने काट लिया था। जिससे महिला की मौत हो गई थी। यह मौत अभी स्वास्थ्य महकमे ने कागज रिकॉर्ड में दर्ज नहीं की है। यह तो एक उदाहरण भर है। जिले भर में एक दर्जन से अधिक मौतें सांप के काटने से हो चुकी है।
बारिश के मौसम में सांपो के काटने से होने वाली मौतों के पीछे एक बड़ी वजह यह भी सामने आई है कि आज भी ग्रामीण सांप के काटने के बाद पीड़ित को बंध लगवाने और झाड़ फूंक कराकर सही हो जाने का मिथक पाल लेते हैं। चिकित्सीय सलाह यह है कि सांप के काटने के बाद जितनी जल्दी हो सके। उतनी जल्दी पीड़ित को अस्पताल ले जाया जाना चाहिए। यह भी देखना चाहिए कि जिस सांप ने काटा है उस सांप की नस्ल प्रजाति क्या है। उल्लेखनीय है कि अधिकतर सर्प जहरीले नहीं होते हैं, मौत के पीछे डर भी एक बड़ी वजह बन जाता है। कई लोगों की मौत तो झाड़ फूंक के फेर में हो जाती है और लोग तब अस्पताल लेकर पहुंचते है, जब उस व्यक्ति में जान नहीं होती।
एंटी स्लैक बेनम इंजेक्शन नहीं है पर्याप्त व्यवस्था
जिलेभर में बारिश के रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं। भूजल स्तर बढ़ गया है। यही वजह है कि सांप बिलों से बाहर आकर मानव जीवन के लिए खतरा बन गए हैं। बारिश में बढ़े सर्प दंश के खतरे एवं लगातार घट रही सांप के काटने की घटनाओं के बावजूद मानव जीवन को बचाने की कोई कारगर पहल प्रशासन ने नहीं की है। दूर दराज क्षेत्रों को तो छोड़िए, विकास खण्ड स्तर पर भी एंटी लैक बेनम इंजेक्शन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। प्रशासन को चाहिए कि समय रहते सर्पदंश से पीड़ित व्यक्तियों के प्राणों की रक्षा एवं जागरूकता के उपाय प्राथमिकता से करें।
स्वास्थ्य महकमे के मुताबिक बीते तीन माह में 54 लोगों को सांप ने काटा है। जिसमें एक की सांप के जहर से मौत हो जाने की पुष्टि महकमे ने की है। बारिश के मौसम में सर्पदंश के मामले कोई नई बात नहीं है। अधिकतर सर्पदंश की घटनाएं खेत खलियानों से लेकर कच्चे मकानों में घटती हैं। प्रशासन के जिमेदार इस सच को जानते हैं, बावजूद इसके सर्पदंश से बचाव और उपचार के लिए कोई उल्लेखनीय व्यवस्था प्रशासन द्वारा नहीं की गई है। हद तो यह है कि मानव जीवन के लिए सीधा खतरा बने सांपों और उनके काटने के बाद क्या करना चाहिए।
इस साधारण प्रश्न के जवाब के लिए कोई जागरूकता अभियान प्रशासन ने किसी भी माध्यम से आम नागरिकों के बीच नहीं चलाया। सर्पदंश के बढ़ते मामलों को लेकर विधानसभा में भी प्रश्न उठाया गया है। उम्मीद है कि प्रशासन ग्रामीण क्षेत्रों में अपने जमीनी कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर सर्प दंश से मानव जीवन को बचाने की पहरेगा। ग्रामीणों की मांग है कि यदि बारिश में बिजली न काटी जाए तो सर्प देश के मामलों में भारी कमी आ जाएगी।
कागजों में एक, वास्तविकता में गई कई की जान
विगत तीन माह से जिले भर में सांपो के काटने की कई घटनाएं घटी हैं। स्वास्थ्य महकमा स्वीकार कर रहा है कि सर्पदंश से एक व्यक्ति की मौत हुई है, जबकि जिले में सांपो से होने वाली मौतों का आंकड़ा व्यावहारिक तौर पर एक दर्जन से अधिक है। हाल ही में एक मां बेटी को सोते समय सांप ने काट लिया था। जिससे महिला की मौत हो गई थी। यह मौत अभी स्वास्थ्य महकमे ने कागज रिकॉर्ड में दर्ज नहीं की है। यह तो एक उदाहरण भर है। जिले भर में एक दर्जन से अधिक मौतें सांप के काटने से हो चुकी है।
बारिश के मौसम में सांपो के काटने से होने वाली मौतों के पीछे एक बड़ी वजह यह भी सामने आई है कि आज भी ग्रामीण सांप के काटने के बाद पीड़ित को बंध लगवाने और झाड़ फूंक कराकर सही हो जाने का मिथक पाल लेते हैं। चिकित्सीय सलाह यह है कि सांप के काटने के बाद जितनी जल्दी हो सके। उतनी जल्दी पीड़ित को अस्पताल ले जाया जाना चाहिए। यह भी देखना चाहिए कि जिस सांप ने काटा है उस सांप की नस्ल प्रजाति क्या है। उल्लेखनीय है कि अधिकतर सर्प जहरीले नहीं होते हैं, मौत के पीछे डर भी एक बड़ी वजह बन जाता है। कई लोगों की मौत तो झाड़ फूंक के फेर में हो जाती है और लोग तब अस्पताल लेकर पहुंचते है, जब उस व्यक्ति में जान नहीं होती।
एंटी स्लैक बेनम इंजेक्शन नहीं है पर्याप्त व्यवस्था
जिलेभर में बारिश के रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं। भूजल स्तर बढ़ गया है। यही वजह है कि सांप बिलों से बाहर आकर मानव जीवन के लिए खतरा बन गए हैं। बारिश में बढ़े सर्प दंश के खतरे एवं लगातार घट रही सांप के काटने की घटनाओं के बावजूद मानव जीवन को बचाने की कोई कारगर पहल प्रशासन ने नहीं की है। दूर दराज क्षेत्रों को तो छोड़िए, विकास खण्ड स्तर पर भी एंटी लैक बेनम इंजेक्शन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। प्रशासन को चाहिए कि समय रहते सर्पदंश से पीड़ित व्यक्तियों के प्राणों की रक्षा एवं जागरूकता के उपाय प्राथमिकता से करें।
यह बोले जिमेदार
बारिश के मौसम में सावधान रहें। अंधेरे में जाने और काम करने से बचें। यदि सांप काटता है तो पीड़ित को तत्काल नजदीकी अस्पताल ले जाएं। किसी झाड़ फूंक के चक्कर में न पड़े। सरकारी अस्पतालों में सर्प दंश के इलाज के पर्याप्त इंतजाम हैं। कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सर्पदंश से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए पर्याप्त इंजेक्शन नहीं तो हम वहां पर व्यवस्था कर रहे है।
डॉ संजय ऋषिश्वर, सीएमएचओ, शिवपुरी
बारिश के मौसम में सावधान रहें। अंधेरे में जाने और काम करने से बचें। यदि सांप काटता है तो पीड़ित को तत्काल नजदीकी अस्पताल ले जाएं। किसी झाड़ फूंक के चक्कर में न पड़े। सरकारी अस्पतालों में सर्प दंश के इलाज के पर्याप्त इंतजाम हैं। कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सर्पदंश से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए पर्याप्त इंजेक्शन नहीं तो हम वहां पर व्यवस्था कर रहे है।
डॉ संजय ऋषिश्वर, सीएमएचओ, शिवपुरी