बामौरकलां। बामौर कलां ग्राम पंचायत में शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर बीते छह माह से खाद्यान्न वितरण नहीं होने के चलते ग्रामीणों में भारी आक्रोश है, लेकिन इस संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं गांव की महिलाएं, जिनके कंधों पर घर का संचालन और परिवार का पेट भरने की ज़िम्मेदारी है। जब सरकार की योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हों और जमीनी हकीकत में महिलाएं राशन के लिए दर-दर भटक रही हों, तब आक्रोश फूटना स्वाभाविक है। बामौर कलां की दर्जनों महिलाओं ने शासकीय उचित मूल्य की दुकान पर जमकर विरोध दर्ज कराया। उनका आरोप है कि सेल्समैन और प्रबंधक की मिलीभगत से राशन वितरण रोका जा रहा है या राशन गायब कर दिया गया है। हमको दो-दो महीने से एक दाना नहीं मिला। ना आटा, ना चावल। अब तो बच्चे भी पूछते हैं - 'माई, राशन कब मिलेगा?"
रमेश बंशकार की पत्नी का कहना है कि - राशन नहीं मिलने पर जब हम सेल्समैन के पास गए तो उसने हमें कहा तुम जाकर इसकी कहीं भी शिकायत कर लो हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। अब राशन नहीं मिला तो हम पहले बस स्टैंड पर चक्का जाम करेंगे और फिर तहसील और कलेक्टर दफ्तर के सामने धरना देंगे। हमारी मजबूरी अब आंदोलन बन जाएगी।
इस पूरे मामले पर जनपद सदस्य करण सिंह ने खुलकर प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि वे स्वयं गांव में जाकर हालात देख चुके हैं और ग्रामीणों की पीड़ा को नजदीक से समझा है। गांव में लगभग 700 से 800 परिवार हैं, जिन्हें 2 से लेकर 6 माह तक राशन नहीं मिला। ये सीधी-सीधी गरीब जनता के साथ धोखाधड़ी है।" मैंने एसडीएम और कलेक्टर तहसीलदार सभी को फोन लगाए और उनसे निवेदन किया है कि वह जाकर स्थिति को देखे समझे और उनकी समस्याओं का निराकरण करें अगर अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचते हैं तो एक उग्र आंदोलन किया जाएगा ।
अब प्रशासन को नींद से जगाना जरूरी हो गया है। हम जनता के साथ हैं और यदि जल्द कार्यवाही नहीं हुई तो आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी। तत्काल हो राशन वितरण और दोषियों पर कार्रवाई,दोषी सेल्समैन और प्रबंधक को तत्काल हटाया जाए,खाद्यान्न वितरण की जांच के लिए जनपद स्तर पर महिला निगरानी समिति बनाई जाए,ग्रामीणों को तुरंत लंबित राशन वितरित किया जाए,जवाबदेही तय कर प्रशासन को चेताया जाए।