सचिन झा शिवपुरी। पटवारी के गलती के कारण एक बुर्जुग की मानसिक स्थिति खराब हो चुकी है,उसकी ब्रेन की नस दब चुकी है और वह ऑपरेशन स्थिति तक पहुंच चुका है,कारण सिर्फ एक है कि पटवारी ने उसे कागजों में मृत घोषित कर दिया। मृत घोषित होने के कारण उसकी जमीन उसी के नाम वाले व्यक्ति के बेटों के नाम तहसील से फौती नामांतरण हो गया। बुर्जुग के परिजनों को जिंदा घोषित करने के लिए और अपनी जमीन को वापिसी कराने के लिए सरकारी दफ्तरों को पिछले 7 साल से अफसरों की चौखट को प्रणाम कर रहे है लेकिन उनको सफलता नहीं मिली।
करैरा तहसील के सिरसौद गांव में रामचरण लोधी नाम के दो किसान हैं। दोनों के पिता का नाम गजुआ लोधी है यानी पिता का नाम भी समान है। एक रामचरण की मौत हुई। पटवारी ने जिंदा रामचरण की 4 बीघा से अधिक जमीन मृत रामचरण के तीन बेटों राकेश, नीरज और बल्लू लोधी के नाम दर्ज कर दी। ऐसा पटवारी द्वारा दी गई गलत रिपोर्ट के कारण हुआ। अब जिंदा रामचरण सर्वे नंबर 3281, 3290 और 3295 की 0.8400 हेक्टेयर जमीन को वापस लेने के लिए भटक रहे हैं।
यूं तो वे अपने खेत पर ही बने मकान में रहते हैं लेकिन उनकी जमीन उनके नाम पर नहीं है। मृत रामचरण लोधी का निवास पिछोर रोड, सिरसौद में है। दोनों व्यक्तियों के नाम और पिता का नाम समान होने के कारण पटवारी ने रिपोर्ट भेजने में गफलत कर दी। पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर 6 सितंबर 2017 को करैरा तहसील से नामांतरण का आदेश जारी हुआ और राजस्व रिकॉर्ड में फौती नामांतरण कर दिया गया।
यह बोला कागजों में मरा हुआ बुजुर्ग रामचरण
मैं रामचरण लोधी उम्र 65 साल हूं। बुजुर्ग जरूर हो गया हूं लेकिन अभी जिंदा हूं। मेरी पौड़ी यही है कि मेरी यह बात कोई मान ही नहीं रहा कि मैं अभी भी जीवित हूं। सात साल पहले पटवारी ने कागजों में मुझे मार दिया। मुझे मृत बताकर मेरी जमीन दूसरे रामचरण के बेटों के नाम दर्ज कर दी। तब से अब तक मैं पटवारी, तहसीलदार से लेकर एसडीएम तक सबको कई बार बता चुका हूं कि मरने वाला रामचरण मैं नहीं, दूसरा था लेकिन कोई माने तो। मेरी एक बेटी है, उसे अपनी ही जमीन नहीं दे पा रहा। मुझे लकवा हो गया है। डरता हूं कि सच में मैं मर गया तो मेरी जमीन हमेशा के लिए चली जाएगी। सरकार से यही गुजारिश है कि मुझे फिर से जिंदा कर और मेरी जमीन फिर से मेरे नाम दर्ज कर दे।
जिंदा रामचरण की इकलौती बेटी, मृतक रामचरण के तीन बेटे
सिरसौद निवासी जिंदा रामचरण लोधी की इकलौती बेटी विमला हैं, जो अपने पति अच्छेलाल लोधी के साथ सिरसौद में ही रहती हैं। वहीं मृतक रामचरण के तीन बेटे राकेश, नीरज और बल्लू लोधी हैं। जिंदा रामचरण की जमीन मृतक रामचरण के तीनों बेटों के नाम दर्ज कर दी गई है।
जो रामचरण कागजों में मृत, उसे किसान सम्मान निधि मिल रही
जिंदा रामचरण लोधी को किसान सम्मान निधि मिल रही है। 10 फरवरी 2025 को ही खाते में 2 हजार रुपए आए हैं लेकिन गलत फौती नामांतरण होने से जमीन दूसरों के नाम हो गई। राकेश, नीरज व बल्लू के पिता रामचरण लोधी का 26 सितंबर 2016 को निधन हुआ था।
यह बोला बुर्जुग का नाती
रामचरण लोधी के नाती कमल लोधी ने बताया कि नानाजी के इलाज के ट्रैक्टर तक बेचना पड़ा है। अब वह सही से बोल नही सकते,चल फिर नही सकते है। जब जमीन दूसरो के नाम हुई थी तो उन्हें हमने बताया नही था लेकिन 1 साल पूर्व उन्हें पता चल गया तो वह टेंशन ले गए और खाना पीना बंद कर दिया। ग्वालियर में उनका इलाज चल रहा है अब उनके दिमाग में सिर्फ एक ही बात चल रही है कि पटवारी ने मेरी जमीन दूसरे के नाम कर दी।
ग्वालियर के डॉक्टरों का कहना है कि टेंशन के कारण इनका ब्लड सर्कुलेशन बढ़ गया और ब्रेन की नस मे एक् क्लॉट आ गया है। पूर्ण रूप से सही होने के लिए इस केस का आपरेट करना होगा।
दुरुस्त करने की फाइल चल रही
सिरसौद हल्का पटवारी मुझसे पहले नीरज लोधी थे। उनके समय में ही आदेश पारित हुआ। अमल मेरे समय में हुआ है। हालांकि इस गलत नामांतरण को दुरुस्त करने के लिए फाइल एसडीएम कार्यालय में चल रही है। पुष्पेंद्र गुप्ता, पटवारी, हल्का सिरसौद