शहर की अवैध कॉलोनी की NOC जारी करने वाले अधिकारी कर्मचारी बच निकले, वही कॉलोनाइजरों को नोटिस पर नोटिस- Shivpuri News

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शिवपुरी।
शहर में हर साल दर्जनों अवैध कालोनियां कटती जा रहीं हैं और प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है। 2016 तक शहर में जितनी अवैध कॉलोनियां बनाई गई उतनी अवैध कालोनियों पिछले छह सालों में ही काट दी गईं। नगर पालिका के नए सर्वे में 170 से अधिक अवैध कालोनियां सामने आई हैं जो वर्ष 2016 के बाद काटी गई। हैं। नगर पालिका ने इनमें से 122 को नोटिस जारी कर दिए हैं। प्रथम नोटिस की 15 दिन की मियाद भी पूरी हो चली है और अधिकांश अवैध कॉलोनाइजरों ने नोटिस का जवाब तक नहीं दिया है। अब इन्हें दूसरा नोटिस थमाने की तैयारी है।

दूसरी ओर 2016 तक अस्तित्व में आई कालोनियों को अब वैध करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। पहले चरण में 23 कालोनियों को वैध करने के लिए सूचना भी प्रकाशित कर दी गई है। नगर पालिका द्वारा जिन 122 कालोनाइजरों को नोटिस थमाए गए हैं उनमें कई बड़े भूमाफिया और कई राजनीतिक रसूख वाले लोग भी शामिल हैं। प्रशासन द्वारा नोटिस देने की यह प्रक्रिया पिछले पांच सालों से चली आ रही है। वर्ष 2012 के सर्वे में जो 181 कॉलोनियां चिह्नित की गई थीं, उन्हें नोटिस पर नोटिस दिए गए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अब नए नियम के तहत इन्हें वैध किया जा सकता है। ऐसे में सभी भूमाफिया बच निकले।

पहले चरण में शिवपुरी शहर में कृष्ण पुरम कॉलोनी, मधुवन नगर, हनुमान कालोनी मनियर, हनुमान कालोनी अमृत विहार, हनुमान कॉलोनी पोहरी रोड, ज्ञान प्रभात मनियर, सिद्ध विहार नाई की बगिया, चंद्रा कालोनी नवाब साहब, चंद्रा कॉलोनी छावनी, नवाब साहब रोड उत्तरी भाग, नवाब साहब रोड दक्षिणी भाग, श्रीराम कालोनी, शिव कालोनी कलेक्टर कोठी के पास, गौतम बिहार, सावरकर कालोनी गेट-1 व गेट-2, हाजी सन्नू मार्केट, शांति नगर कालोनी, चित्रा नगर सुख सागर होटल के पीछे, शांति नगर, शिव शक्ति नगर अवध हास्पिटल के पास आदि को वैध करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है ।

पटवारी और अधिकारियों पर कार्रवाई का नियम, लेकिन कालम निल

वर्ष 2016 के पहले बनी अवैध कालोनियों की जो सूची है उसमें एक कॉलम है 'जिम्मेदार शासकीय अधिकारी पर कार्रवाई एवं एफआइआर' । यह कालम पूरी तरह से निल है क्योंकि नगर पालिका एक्ट में यह प्रावधान है कि इसके लिए दोषी अधिकारी व कर्मचारियों पर भी कार्रवाई हो नगर पालिका अधिनियम की धारा 339 (जी) में यह प्रावधान है कि अवैध कालोनी की जानकारी होते हुए भी इसकी अनदेखी करना वाले सभी कर्मचारी, अधिकारी अधिनियम की धारा 339 (सी) के तहत तीन वर्ष के कारावास से दंडित होंगे। कुछ समय पूर्व ही राजस्व विभाग ने अवैध कालोनियों की जानकारी छिपाने वाले पटवारियों को निलंबित किया था, लेकिन उन्हें फिर से बहाल कर दिया गया। इससे स्पष्ट है कि प्रशासन की अवैध कालोनियों पर कार्रवाई करने की मंशा नहीं है, सिर्फ जनप्रतिनिधियों के दबाव में कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं।

यह है वैध करने का नियम

प्रदेश सरकार द्वारा दिसंबर 2016 को जारी अधिसूचना के तहत अवैध कालोनियों को वैध बनाने की पहल की है। अवैध कालोनियों में मकान बनाकर रहने वाले निम्न आय वर्ग के परिवारों से 20% विकास शुल्क वसूला जाएगा और शेष 80% नगर पालिका द्वारा वहन किया जाएगा। इसी तरह सामान्य वर्ग के परिवारों से विकास शुल्क की 50% राशि व 50% नगर पालिका खर्च करेगी।

इनका कहना है
वर्ष 2016 के बाद अस्तित्व में आई कालोनियों को लेकर नोटिस जारी किए हैं। इन पर नियमानुसार आगे की कार्रवाई भी की जाएगी। जो कालोनियां 2016 तक अस्तित्व में आई हैं उन्हें वैध किया जा सकता है। पहले चरण में 23 कालोनियों को वैध करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
डा. केशव सिंह सगर, सीएमओ
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