नींद में प्रशासन-जलकुंभी के कारण चांदपाठा झील रामसर साइट डिनोटिफाइड होने का बड़ा खतरा- Shivpuri News

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शिवपुरी।
माधव नेशनल पार्क में स्थित चांदपाठा झील को अभी रामसर में शामिल हुए छह माह भी नहीं गुजरे कि उसके डिनोटिफाइड होने का खतरा मंडराने लगा। क्योंकि झील के 75 फीसदी एरिया के पानी पर जलकुंभी ने कब्जा कर लिया, तथा वो तेजी से फैलती जा रही है। वहीं दूसरी ओर जाधव सागर तालाब में फैली जलकुंभी को हटवाने का काम सिंधिया छत्री ट्रस्ट ने शुरू कर दिया। अब माधव नेशनल पार्क प्रबंधन को भी इस दिशा में जल्द कोई कदम उठाना होगा।

गौरतलब है कि भोपाल में बड़ा तालाब के बाद शिवपुरी की चांदपाठा झील को रामसर साइट में शामिल करके उसे न केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली, बल्कि यह मध्यप्रदेश में दो दशक बाद दूसरी रामसर साइट बनी। जुलाई में यह झील रामसर साइट में शामिल हुई,और उसके बाद से इसमें जलकुंभी ने तेजी से पैर पसारना शुरू कर दिया। पहले तो जलकुंभी एक सीमित दायरे में थी, लेकिन अब यह झील के 75 फीसदी एरिया में फैल चुकी है। जलकुंभी के फेर में मगरमच्छों ने झील के किनारों से बाहर निकलना बंद कर दिया,तथा वो अब किनारों पर दिखना बंद हो गए।

गंदे पानी पर रोक के बाद ही खत्म होगी जलकुंभी

तेजी से फैल रही जलकुंभी पर चिंता व्यक्त करते हुए माधव नेशनल पार्क के सीसीएफ उत्तम शर्मा का कहना है कि जब तक बाहर से आने वाले गंदे पानी पर रोक नहीं लगेगी, तब तक यह जलकुंभी खत्म नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही इस दिशा में कोई पहल नहीं की तो रामसर में शामिल हुई चांदपाठा झील डिनोटिफाइड हो जाएगी।
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