जैन संतों के ऐतिहासिक और अभूतपूर्व चार्तुमास के बाद नम आंखों से हुई विदाई, कहा शिवपुरी को नहीं भूल पाएंगे- Shivpuri News

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शिवपुरी।
आचार्य विजय धर्म सूरि जी की समाधि भूमि शिवपुरी में उनकी कुल परम्परा के आचार्य कुल चंद्र सूरि जी का ऐतिहासिक और अभूतपूर्व चार्तुमास सम्पन्न होने के बाद भावूक माहौल में जैन संतों का पदविहार हुआ। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में जैन और अजैन बंधु आचार्य कुलचंद्र सूरि जी, पंन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जी, संत कुल रक्षित विजय जी और संत कुुल धर्म विजय जी को नम आंखों से विदाई देने के लिए बीटीपी परिसर में सुबह साढ़े 5 बजे एकत्रित हुए।

चार्तुमास कमेटी के संयोजक तेजमल सांखला, श्वेताम्बर जैन समाज के अध्यक्ष दशरथमल सांखला, सचिव विजय पारख, स्थानकवासी समाज के अध्यक्ष राजेश कोचेटा, अशोक कोचेटा, अजय सांखला, प्रदीप काष्टया, लाभचंद्र जैन आदि ने आचार्य कुलचंद्र सूरि जी से 2024 के चार्तुमास के लिए पधारने की आग्रहपूर्वक विनती की। इस पर आचार्य कुलचंद्र सूरि जी ने कहा कि आपकी विनती और भावनाएं मेरी झोली में हैं तथा समय आने पर इस पर उचित निर्णय लिया जाएगा।

आचार्य कुलचंद्र सूरि जी ने इस अवसर पर उपस्थित धर्मावलंबियों को मांगलिक पाठ दिया तथा अपनी भावनाएं स्पष्ट करते हुए कहा कि समस्त शिवपुरी की जनता ने चार्तुमास अवधि में हमें निस्वार्थ और भरपूर प्रेम दिया है। शिवपुरी वासियों न हमारे हृदय में जो अमिट स्थान प्राप्त किया है, उसे हम कभी भूल नहीं पाएंगे। 4 माह के चार्तुमास की स्मृतियां, यादें हमेशा हमारे लिए ताजा रहेंगी। आचार्य श्री ने बताया कि उनका 2023 का चार्तुमास अहमदाबाद में है और 2024 के चार्तुमास हेतु आपने विनती की है। जिस पर अभी से स्वीकृति दिया जाना संभव नहीं है। लेकिन हम आपकी भावनाओं को अवश्य ध्यान में रखेंगे।

चार्तुमास के दौरान आचार्य विजयधर्म सूरि जी की समाधि का हुआ कायाकल्प

100 वर्षों से आचार्य विजय धर्म सूरि जी की समाधि भूमि जीर्ण शीर्ण अवस्था में थी और यह समाधि भूमि इंतजार कर रही थी कि कोई महापुरूष आए और इस पवित्र स्थल का कायाकल्प करे। 100 वर्ष के पश्चात यह संयोग बना।

आचार्य विजय धर्म सूरि जी की कुल परम्परा के आचार्य कुलचंद्र सूरि जी का शिवपुरी में चार्तुमास हुआ और यह चार्तुमास भी उन्होंने अपने कुल गुरू विजय धर्म सूरि जी की समाधि भूमि को संवारने के लिए किया था। आचार्य कुलचंद्र सूरि जी को शिवपुरी चार्तुमास करने का प्रथम निमंत्रण श्रावक प्रवीण लिगा ने दिया था। उन्होंने आचार्य श्री से कहा था कि आपके कुल गुरू की समाधि भूमि आपका इंतजार कर रही है।

यह कार्य असंभव लग रहा था। लेकिन यह संभव कर दिखाया आचार्य कुलचंद्र सूरि जी ने जिन्होंने समाज के सहयोग से समाधि भूमि को एक तीर्थ स्थल का रूप दिया। जिसमें आर्ट गैलरी के अलावा 20वें तीर्थंकर मुनि सुब्रत स्वामी जी का भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा भी की गई है। यहीं नहीं आचार्य कुलचंद्र सूरि जी ने आचार्य विजय धर्म सूरि जी का 11 दिवसीय शताब्दी महोत्सव भी भव्य रूप से आयोजित करने में सफलता प्राप्त की।
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