Shivpuri News- मजदूर के बेटे का कमाल खेती से लाभ का धंधा नहीं करोड़पति बनने का है

Bhopal Samachar
शिवपुरी। सरकार हमेशा कहती है कि खेती को लाभ का धंधा बनाना है,क्योंकि देश का 50 प्रतिशत से अधिक आबादी खेती पर ही निर्भर है तमाम योजनाओं के बाद भी खेती लाभ का धंधा नहीं बन पा रहा है,लेकिन शिवपुरी के एक मजदूर के बेटे ने वह कर दिखाया कि खेती लाभ का धंधा नहीं करोड़पति बनने का है। शिवपुरी के मजदूर का बेटा अब स्वयं तो इस आधुनिक खेती पर काम कर रहा है साथ भी दूसरो को भी प्रेरित कर रहा हैं।

शिवपुरी के सागर बाथम की महज चंद साल में ही किस्मत बदल गई है। पांच साल में ही स्टीविया के पौधे व सूखी पत्तियां बेचकर 1,50 करोड़ से अधिक का कारोबार कर चुके हैं। खास बात यह है कि सागर बाथम की खुद की जमीन तक नहीं है। इंदौर में एक साल रहकर स्टीविया की खेती सीखी फिर शिवपुरी आकर ठेके पर मीठी तुलसी का उत्पादन लेना शुरू कर दिया। शिवपुरी के बाद अब छतरपुर व राजस्थान में भी ठेके पर जमीन लेकर स्टीविया की खेती कर रहे हैं।

लुधावली शिवपुरी निवासी सागर बाथम बताते हैं कि बदरवास में राधेश्याम गोयल की सलाह पर साल 2017 में इंदौर पहुंचे और उनके परिचित के यहां स्टीविया की खेती के तौर तरीके व मार्केटिंग सीखी। फिर शिवपुरी आकर साल 2018 में बड़ाैदी स्थित धीरा रावत की 9 बीघा जमीन बटाई पर लेकर स्टीविया की खेती की शुरूआत कर दी।

पहले साल 6 लाख दूसरे साल 8 लाख रु की स्टीविया बिक गई। किसान का खेत बिकने के बाद मेडिकल कॉलेज से आगे शुक्ला फार्म हाउस की 14 बीघा जमीन पर साल 2020 से स्टीविया की खेती करने लगे। यहां साल 2020 व 2021 में 60 लाख रु के पौधे व सूखी पत्तियां बेच दीं। लेकिन अतिवृष्टि के चलते नुकसान हो गया। फिर से स्टीविया के बीज डालकर खेती तैयारी चल रही है।

देश में शुगर मरीज अधिक इसलिए स्टीविया की मांग भी ज्यादा

देश में शुगर के मरीजों की संख्या अधिक है, इस कारण स्टीविया की मांग भी ज्यादा है। सागर बाथम सीधे कंपनियों को स्टीविया की पत्तियां सुखाकर बेचते हैं। कंपनी से ऑर्डर नहीं आता है तो सीधे नीमच मंडी भिजवा देते हैं। हर तरह से स्टीविया की खेती फायदे का सौदा साबित हो रही है।

पिता पल्लेदारी करते थे, खुद भी दुकान पर काम कर चुके

सागर बाथम के पिता महेंद्र बाथम मंडी में पल्लेदारी करते थेए लेकिन सागर के संग अब स्टीविया की खेती में हाथ बटा रहे हैं। सागर बताते हैं कि वह 10वीं पास हैं, इससे पहले खुद भी दुकान पर काम करते थे। उनके दो छोटे भाई हैं जिनमें दूसरे नंबर का कल्याण बाथम उनका खेती में हाथ बटा रहा है। जबकि छोटा भाई खुद की गाड़ियां संचालित करता है।

ग्रुप बनाकर खेती करने लगे, दूसरों को भी फायदा मिल रहा

सागर बाथम बताते हैं कि दो साल से ग्रुप बनाकर खेती करने लगे हैं। राजस्थान में साल 2021 से 25 बीघा में स्टीविया की खेती की शुरुआत कर दी। यहां 20 लाख के बीज और 35 लाख रु की पत्तियां बेचकर कुल 55 लाख रु का मुनाफा कमाया है। 18 दिन पहले 14 लाख रु का बीज फिर से बिक गया है।

अब जुलाई 2022 से छतरपुर में भी 160 बीघा में स्टीविया की पैदावार लेना शुरू कर दी है। प्लांट बिकना शुरू हो गए हैंए अभी तक 10 लाख रुण् के पौधे बिक चुके हैं। छतरपुर से डेढ़ से दो करोड़ का कारोबार का अनुमान है। अब डबरा में 150 बीघा में खेती की तैयारी चल रही है।
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