बाल यौन शोषण में 99 प्रतिशत आरोपी परिचित,45 प्रतिशत लड़के भी यौन हिंसा का शिकार- Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। बच्चे घर में अपनों के साथ सुरक्षित सुरक्षित होते है, आमतौर पर हम सब यही मानते है। किंतु राष्ट्रीय स्तर पर संकलित अपराध के आंकड़ों ने इसे गलत सावित कर दिया है। बाल यौन शोषण के मामलों में 99 प्रतिशत अपराधी जान.पहचान वाले लोग थे। जिन्हें पीड़ित बालक जनता था। यह खौफनाक सच जानने के बाद हम भरोसा करें तो किस पर करें। यह बात पुलिस कंट्रोल रूम में मास्टर ट्रेनर अमरजीत सिंह ने कही।

उन्होंने कहा बच्चों की सुरक्षा के लिए यह जरूरी है कि बच्चे और परिजनों की सजगता और जागरूकता बहुत जरूरी है। हमें बच्चे के आसपास रहने वाले हर व्यक्ति की गतिविधियों पर नजर रखनी होगी। बच्चे के व्यवहार में बदलाव दिखे तो तुरंत उसकी बातों को सुने। एक सर्वे में यह सामने आया है कि लड़कियों के अलावा 45 प्रतिशत लड़कों को भी यौन हिंसा का सामना करना पड़ा है।

बुधवार को महिला बाल विकास एवं ममता संस्था के समन्वय से बाल संरक्षण से जुड़े विभिन्न पदाधिकारियों को बच्चों से जुड़े कानूनों पर प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण में बाल कल्याण समिति अध्यक्ष. सदस्य, किशोर न्याय बोर्ड सदस्य, बाल संरक्षण इकाई सभी थानों के बाल कल्याण पुलिस अधिकारी, विशेष किशोर पुलिस इकाई, श्रम विभाग, वन स्टॉप सेंटर, वात्सल्य बाल ग्रह एवं चाइल्ड लाइन के पदाधिकारी मौजूद रहे।

कार्यक्रम के पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल ने कहा कि बच्चों से जुड़े मामलों में बेहद संवेदनशील होकर काम करने की जरूरत होती है। बच्चों से जुड़े कानूनी प्रावधानों की सही जानकारी सभी को होगी तो बेहतर तरीके से कार्य हो सकेगा। इस दौरान जिला कार्यक्रम अधिकारी देवेंद्र सुंदरियाल ने कहा कि बाल देखभाल कानूनों में हुए बदलावों को देखते हुए यह प्रशिक्षण बेहद महत्वपूर्ण है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला विधिक सहायता अधिकारी डॉ वीरेंद्र चढ़ार, जिला श्रम अधिकारी आशीष तिवारी भी मौजूद रहे।

बच्चे का अश्लील फोटो शेयर करना गंभीर जुर्म

नशा करने वाले बच्चों को नशा मुक्त कराने के साथ हमें उन बच्चों नशे में धकेलने वालों के खिलाफ भी किशोर न्याय की धारा 77 के तहत कार्यवाही का प्रावधान है। यदि कोई व्यक्ति किसी बच्चे की अश्लील फोटो सोशल मीडिया में शेयर करता है तो पोक्सो के तहत उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।

यौन अपराध पीड़ित बालक की पहचान पूरी तरह गोपनीय रहेगी। यदि आरोपी कोई ऐसा व्यक्ति है, जिसकी पहचान से पीड़ित की पहचान उजागर हो सकती है, वहीं आरोपी की पहचान भी गोपनीय रखी जायेगी।
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