उनकी 31 उपवास की तपस्या के उपलक्ष्य में अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। कल 20 अगस्त को साध्वी हीं नंदिता श्रीजी की भव्य शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से निकाली जाएगी। इसके पश्चात समाधि मंदिर में पारणोत्सव एवं सकल श्री संघ की नवकारसी का आयोजन किया गया है। पंन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जी ने बताया कि तप करने से कर्मों की निर्जरा होती है।
लेकिन सिर्फ तप करना महत्वपूर्ण नहीं है। बल्कि तप के साथ.साथ अपने मनोभाव और मनोस्थिति को भी तप के अनुरूप बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 31 उपवास की तपस्या करने के बाद भी साध्वी हीं श्री जी के चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती है और चेहरे पर मुस्कान तथा हृदय में प्रसन्नता यहीं धार्मिक व्यक्ति की पहचान है।
चार्तुमास कमेटी के संयोजक तेजमल सांखला और उप संयोजक प्रवीण लिगा तथा मुकेश भांडावत ने जानकारी देते हुए बताया कि शिवपुरी में आचार्य श्री के चार्तुमास के कारण जैन धर्मावलंबियों में तपस्या की होड़ लग गई है। सबसे पहले सलोनी भांडावत ने 9 उपवास की तपस्या पूर्ण की। इसके बाद 8 उपवास की तपस्या श्रीमती रूचि सांखला और कुण् सिया सांखला ने की है।
सिद्धी तप का लाभ भी 8 बहनों ने उठाया है। सिद्धी तप में पहले दिन एक उपवास, दूसरे दिन पारण तीसरे दिन से दो उपवास, चौथे दिन पारणा, पांचवे दिन से तीन उपवास। इस तरह से लगातार 8 उपवास तक लड़ी चलाई जाती है। इस तरह से 36 उपवास की तपस्या श्रीमती मधु मुनानी, श्रीमति निधि सांखला, शिप्रा मुनानी, रजनी नायटा, निधि गोखरू, गरिमा नायटा और दीपिका सकलेचा ने की है।
अऋप तप भी एक दर्जन से अधिक श्रावक श्राविकाओं ने किया है। इनमें लगातार तीन दिन तक उपवास किया जाता है। इसका लाभ उठाने वालों में प्रमुख हैं. श्रीमती प्रीति कोचेटा, विपिन सांखला, पुष्पा गुगलिया आदि.आदि। चार्तुमास के दौरान समतिकरण तप भी श्रावक और श्राविकाओं द्वारा किया जा रहा है। जिसमें 13 उपवास किए जाते हैं।
साध्वी जी की तपस्या के उपलक्ष्य में हुए शासन माता के गीत
साध्वी हीं श्री नंदिता श्री जी महाराज साहब की 31 उपवास की तपस्या के उपलक्ष्य में 18 और 19 अगस्त को शासन माता के गीतों का कार्यक्रम आयोजित किया गया। तपस्या के खुशी में जैन मंदिर में आज श्री वर्धमान शक्रस्तव व अभिषेक का भव्य कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। जिसमें आचार्य कुलचंद्र सूरि जी, संन्यास प्रवर कुलदर्शन सूरि जीए मुनि श्री कुलरक्षित सूरि जी और कुलधर्म सूरि जी के अलावा साध्वी श्री शासन रत्ना श्री जी और अक्षय नंदिता श्रीजी भी विशेष रूप से उपस्थित थीं।
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