शिवपुरी। पंचायत चुनाव के फार्म भरे जा चुके है। उम्मीदवार चुनाव में विजय श्री का वरण करने के लिए सभी चाले चल रहे हैं। जिले की एक पंचायत में सरपंच पद के उम्मीदवार को मरा बताकर फार्म निरस्त करवाने का प्रयास किया गया,लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो समर्थक आपस में उलझ गए और छोटे राजा ने अरुण प्रताप मे फर्सा मार दिया जिससे वह घायल होकर अस्पताल में भर्ती है।
आठ साल पहले पति मर गया, दूसरे के साथ रहने लगी
जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत पिपरोदा उबारी की सरपंच पद की सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। ऐसे में गांव से दाखा पत्नी स्व. उत्तम आदिवासी व कपूरी पत्नी शोभाराम आदिवासी ने सरपंच पद के प्रत्याशी के रूप में अपनी दावेदारी दर्ज कराई है। इसी क्रम में कपूरी आदिवासी की समर्थक संपत पत्नी पूरम आदिवासी ने रिटर्निंग आफिसर को शपथ पत्र देते हुए शिकायत दर्ज कराई कि जिस महिला ने दाखा पत्नी उत्तम आदिवासी के रूप में अपना नाम निर्देशन पत्र दाखिल किया है वह महिला दाखा पत्नी राकेश आदिवासी है।
दाखा पत्नी उत्तम आदिवासी तो दस साल पहले मर चुकी है। उक्त शिकायत के आधार पर जब मामले की जांच शुरू हुई तो दाखा आदिवासी ने रिटर्निंग आफिसर के सामने प्रस्तुत होकर अपने बयान दर्ज कराए कि मैं दाखा पत्नी उत्तम आदिवासी हूं। मेरे पति उत्तम आदिवासी की करीब आठ साल पहले मौत हो गई थी। महिला के अनुसार इसके बाद वह खनियाधाना के ग्राम मसूरी निवासी राकेश आदिवासी के साथ रहने लगी।
कुछ समय वह मसूरी में रहती है तो कुछ समय पिपरौदा उबारी में। दाखा ने अपने दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए बताया कि वह दस्तावेजों में आज भी उत्तम आदिवासी की पत्नी है। उसका राशन कार्ड भी पिपरौदा उबारी का है। वह आज भी जिंदा है मरी नहीं है। वहीं दूसरी ओर शिकायतकर्ता महिला दाखा आदिवासी का मृत्यु प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत नहीं कर पाई। इस आधार पर दाखा को चुनाव लड़ने के लिए वैध प्रत्याशी माना गया।
दाखा के प्रस्तावक को मारा फर्सा
इस पूरे मामले में राजनीति इस हद तक पहुंच गई कि दाखा को मृत बताने के लिए दाखा की प्रतिद्वंदी कपूरी आदिवासी के समर्थक रघुराज सिंह उर्फ छोटे राजा ने दाखा आदिवासी के प्रस्तावक अरुण प्रताप सिंह पुत्र इंद्रपाल सिंह परमार उम्र 22 साल निवासी पिपरोदा उबारी को फर्सा मारकर उसकी हत्या तक करने का प्रयास किया। अरूण प्रताप के भाई बीपी परमार का आरोप है कि रघुराज सिंह ने संपत आदिवासी के माध्यम से दाखा के मरने की जो झूठी शिकायत दर्ज कराई थी।
उक्त शिकायत को सही साबित करने के लिए वह दाखा का मृत्यु प्रमाण पत्र तो प्रस्तुत नहीं कर पाए। ऐसे में उन्होंने ग्राम ढेंकुआ से दाखा की मां और पिपरौदा उबारी से दाखा के ससुर दिल्लू का उठवा कर अपने घर बुला लिया। दोनों पर दबाव डाला गया कि वह रिटर्निंग आफिसर के सामने यह बयान दें कि दाखा की मृत्यु दस साल पहले हो चुकी है।
बकौली बीपी परमार जब उसे छोटे भाई अरूण प्रताप सिंह ने रघुराज व उसके स्वजनों से कहा कि चुनाव हम और आप लड़ रहे हैं तो आदिवासियों को पकड़ना, उठाना, झूठी शिकायत क्यों कर रहे हो, चुनाव दबंगी से और ईमानदारी से लड़ो। यह बात रघुराज को रास नहीं आई और उसने अरूण प्रताप को फर्सा मार दिया। अरूण को इलाज के लिए जिला अस्पताल भर्ती कराया गया है।