शिवपुरी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भले ही कहें कि पार्टी में परिवारवाद नहीं चलेगा और पार्टी में सक्रिय नेता के पुत्र, पत्नी और परिजन को टिकट नहीं मिलेगा। लेकिन भाजपा की परिवारवाद के खिलाफ इस राजनीति की धज्जियां उड़ाने की परिवार के मोह से बंधे नेताओं ने पूरी तैयारी कर ली है।
नेतागण अपने परिजनों को राजनीति में सक्रिय करने के लिए पंचायत चुनाव का सहारा ले रहे हैं। उनका तर्क है कि चूकि पंचायत चुनाव दलीय आधार पर नहीं हो रहे हैं। इसलिए उनके परिजन चुनाव लड़ सकते हैं। भाजपा नेताओं के परिजन सरपंच से लेकर जनपद और जिला पंचायत अध्यक्ष बनने की तैयारी में जुटे हुए हैं।
करैरा उप चुनाव में पराजित लेकिन बाद में सरकार की कृपा से राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त जसवंत जाटव अपनी पत्नी प्रभा को जिला पंचायत सदस्य बनाने की फिराक में हैं। श्रीमति प्रभा जाटव ने वार्ड क्रमांक 8 से फार्म भरा है। उनकी पत्नी के अलावा उनके पुत्र पुष्पेंद्र ने भी जनपद करैरा से सदस्य बनने के लिए वार्ड क्रमांक 16 से नामजदगी का पर्चा डाला है। कोलारस के पूर्व विधायक महेंद्र यादव अपनी विवाहित पुत्री नेहा यादव को वार्ड 21 से जिला पंचायत सदस्य बनाने की तैयारी में हैं।
श्री यादव के पिता स्व. रामसिंह यादव भी जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं। पोहरी के पूर्व विधायक और अब मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम के उपाध्यक्ष राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त प्रहलाद भारती के भाई अवधेश वर्मा की पत्नी रजनी वार्ड क्रमांक 19 से जनपद सदस्य बनने की तैयारी में हैं।
लोक निर्माण राज्यमंत्री सुरेश राठखेड़ा के भतीजे रिंकू ने वेशी पंचायत से सरपंच पद के लिए नामांकन भरा है। पूर्व मंत्री स्व. लक्ष्मीनारायण गुप्ता के पुत्र रमेश गुप्ता वार्ड क्रमांक 18 से जिला पंचायत सदस्य पद के लिए उम्मीदवार हैं। हालांकि उनका तर्क है कि उनके पिता दिवंगत हो चुके हैं।
नेतागण अपने परिजनों को राजनीति में सक्रिय करने के लिए पंचायत चुनाव का सहारा ले रहे हैं। उनका तर्क है कि चूकि पंचायत चुनाव दलीय आधार पर नहीं हो रहे हैं। इसलिए उनके परिजन चुनाव लड़ सकते हैं। भाजपा नेताओं के परिजन सरपंच से लेकर जनपद और जिला पंचायत अध्यक्ष बनने की तैयारी में जुटे हुए हैं।
करैरा उप चुनाव में पराजित लेकिन बाद में सरकार की कृपा से राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त जसवंत जाटव अपनी पत्नी प्रभा को जिला पंचायत सदस्य बनाने की फिराक में हैं। श्रीमति प्रभा जाटव ने वार्ड क्रमांक 8 से फार्म भरा है। उनकी पत्नी के अलावा उनके पुत्र पुष्पेंद्र ने भी जनपद करैरा से सदस्य बनने के लिए वार्ड क्रमांक 16 से नामजदगी का पर्चा डाला है। कोलारस के पूर्व विधायक महेंद्र यादव अपनी विवाहित पुत्री नेहा यादव को वार्ड 21 से जिला पंचायत सदस्य बनाने की तैयारी में हैं।
श्री यादव के पिता स्व. रामसिंह यादव भी जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं। पोहरी के पूर्व विधायक और अब मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम के उपाध्यक्ष राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त प्रहलाद भारती के भाई अवधेश वर्मा की पत्नी रजनी वार्ड क्रमांक 19 से जनपद सदस्य बनने की तैयारी में हैं।
लोक निर्माण राज्यमंत्री सुरेश राठखेड़ा के भतीजे रिंकू ने वेशी पंचायत से सरपंच पद के लिए नामांकन भरा है। पूर्व मंत्री स्व. लक्ष्मीनारायण गुप्ता के पुत्र रमेश गुप्ता वार्ड क्रमांक 18 से जिला पंचायत सदस्य पद के लिए उम्मीदवार हैं। हालांकि उनका तर्क है कि उनके पिता दिवंगत हो चुके हैं।
स्व. पूरन सिंह बेड़िया के सुपुत्र अवधेश बेडिया भी इसी तर्क के आधार पर वार्ड क्रमांक 5 से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रहे हैं। करैरा के पूर्व विधायक शकुंतला खटीक भी अपने बेटे कपिल खटीक को जिला पंचायत सदस्य बनाने की तैयारी में हैं। कपिल वार्ड क्रमांक 11 से चुनाव लड़ रहे हैं। जहां से शकुंतला खटीक पूर्व में जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं।
नपा चुनाव में भी जोर पकड़ेगी परिवारवाद की राजनीति
पंचायती चुनाव के लिए यह तर्क है कि यह चुनाव गैर दलीय आधार पर है इसलिए नेताओं के परिजनों को चुनाव लडऩे में कोई बाधा नहीं है। लेकिन सवाल यह है कि नगरीय निकाय चुनाव तो दलीय आधार पर हो रहे हैं। लेकिन उसके बाद भी भाजपा में सक्रिय नेता अपनी पत्नी या परिवार की महिलाओं तथा पुत्रों एवं परिजनों को चुनाव लड़ाने के लिए प्रयासरत हैं।
नगर पालिका अध्यक्ष का पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुआ है और नेता गण बिना किसी संकोच या लिहाज के तथा पार्टी के गाइडलाइन से बेपरवाह चुनाव लड़ाने की ललक में हैं। ऐसी स्थिति में देखने वाली बात यह है कि शिवपुरी नगर पालिका चुनाव में भाजपा परिवारवाद की राजनीति से किस ताकत से निपटती है अथवा उसे नेताओं की अदम्य महत्वाकांक्षा के आगे समर्पण करना पड़ेगा।
नपा चुनाव में भी जोर पकड़ेगी परिवारवाद की राजनीति
पंचायती चुनाव के लिए यह तर्क है कि यह चुनाव गैर दलीय आधार पर है इसलिए नेताओं के परिजनों को चुनाव लडऩे में कोई बाधा नहीं है। लेकिन सवाल यह है कि नगरीय निकाय चुनाव तो दलीय आधार पर हो रहे हैं। लेकिन उसके बाद भी भाजपा में सक्रिय नेता अपनी पत्नी या परिवार की महिलाओं तथा पुत्रों एवं परिजनों को चुनाव लड़ाने के लिए प्रयासरत हैं।
नगर पालिका अध्यक्ष का पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुआ है और नेता गण बिना किसी संकोच या लिहाज के तथा पार्टी के गाइडलाइन से बेपरवाह चुनाव लड़ाने की ललक में हैं। ऐसी स्थिति में देखने वाली बात यह है कि शिवपुरी नगर पालिका चुनाव में भाजपा परिवारवाद की राजनीति से किस ताकत से निपटती है अथवा उसे नेताओं की अदम्य महत्वाकांक्षा के आगे समर्पण करना पड़ेगा।