अपने झंडे का बचाने के लिए अहीर महिलाओं का हुआ लठ्ठ कलेक्टर ,300 साल पुरानी है परंपरा

Bhopal Samachar

शिवपुरी। इस साल शिवपुरी के अहीर समाज की 300 साल की परंपरा पर कोरोना के कारण लगा ब्रेक खत्म हुआ है। होली की तीज पर राज पुरा रोड आज फिर होली का हुडदंग नजर आया।यादव समाज की अहीर मोहल्ला में आयोजित होने वाले झण्डा(बरसाना की तर्ज पर लट्ठमार होली) को देखने हजारो लोगो की भीड थी। 

अहीर महिलाओं ने अपने झंडे को बचाने के लिए लठ्ठ को कलेक्टर बना दिया और पुरुषों की टीम महिलाओं से झंडा अपने पाले में नही ले जा सकी,क्योंकि की लठ्ठ कलेक्टर था। पुरुषों की टीम से जो पुरुष झंडे के पास आ रहा था उसे लठ्ठ साहेब कलेक्टर बन कर दंड दे रहे थे।  


यादव समाज के लोग फाग (होली के लोकगीत) गाकर ग्वालनों को छेड़ रहे थे तो ग्वालनें भी इस छेड़छाड़ के बीच उन पर लट्ठों की बारिश कर होली खेल रही थीं। दरअसल यादव समाज द्वारा होली की तीज पर हर साल यह आयोजन किया जाता है, लेकिन पिछले तीन साल से कोरोना संक्रमण के चलते यह आयोजन नहीं किया जा रहा था। 

इस साल जैसे ही कोरोना का खतरा कम हुआ तो यादव समाज ने पौराणिक परंपरा का निर्वहन करते हुए राजपुरा रोड पर रविवार की शाम होली मिलन समारोह के साथ लट्ठमार होली का आयोजन किया।

राजपुरा रोड पर जुटा पूरा शहर
शहर भर में बरसाने की तर्ज पर रंग, अबीर, गुलाल उड़ाकर लट्ठमार होली सिर्फ यादव समाज के लोगों द्वारा राजपुरा रोड पर ही मनाई जाती है। यह होली पूरे शहर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है, इसलिए यहां रहने वाले लोगों के सगे संबंधियों सहित दोस्त, यार और मिलने वाले लट्ठमार होली देखने के लिए होली की तीज पर यहां पहुंचते हैं। 

तीन साल बाद रविवार को हुए इस आयोजन की खबर जैसे ही लोगों को लगी तो वह होली का हुड़दंग देखने के लिए यहां पहुंच गए और करीब दो से तीन घंटे तक इस होली का लुत्फ उठाया।


भंग के रंग में रंगे युवा
समाज द्वारा होली मिलन समारोह पर भांग की ठंडाई का वितरण किया जाता है। इस बार भी यह प्रसाद वितरित किया गया तो युवाओं ने छक कर भांग पी और इसके बाद लट्ठमार होली में शामिल होकर खूब होली भी खेली। महिलाओं ने इस दौरान होली के बहाने रंग बरसाने वाले इन युवाओं और बुजुर्गों पर खूब लट्ठ बरसाए।

यहां लट्ठमार होली को कहते हैं 'झंडा'
यादव समाज के जिलाध्यक्ष कल्याण यादव वंटी ने बताया कि उनके समाज में यहां पर इस लट्ठमार होली को 'झंडा' खेलना कहा जाता है। इस खेल में एक बुजुर्ग व्यक्ति जो महिलाओं के कब्जे में होता है, उसे महिलाओं से छुड़ाने के लिए युवा आते हैं। उसे कंधे पर बिठा कर अपने साथ ले जाने का प्रयास करते हैं, परंतु महिलाएं उसे इन युवाओं को नहीं ले जाने देती हैं।

इसके लिए वह बुजुर्ग को लेने आने वाले युवाओं पर लाठियों की बारिश करती हैं। इस खेल को 'झंडा' कहा जाता है। बंटी यादव के अनुसार इस खेल के साथ ही यादव समाज का होली मिलन समारोह भी मनाया जाता है जिसमें समाज के सभी लोग एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं देते हैं।
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