मेडिकल हिस्ट्री में नही था अभी तक ऐसा केस: पथरी के कारण अंडकोष जाम, आपरेशन कर निकाले 15 से 20 टुकड़े - Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने सोमवार को जिला अस्पताल में एक आठ साल के बच्चे मंजेश आदिवासी निवासी विजयपुर की अंडकोष की थैली का सफल ऑपरेशन कर 30 एमएम की पथरी निकाली है। ऑपरेशन के उपरांत अब बच्चा खतरे से बाहर बताया जा रहा है। खास बात यह है कि जिस बच्चे का जिला अस्पताल के डा. पीके खरे, डा. पंकज शर्मा व डा. सुधीर ने सफल ऑपरेशन किया गया है, उसका ऑपरेशन करने के लिए शहर के नामी निजी अस्पताल प्रबंधनों ने भी मना कर दिया था।

इस आपरेशन के दौरान ओटी स्टाफ निशा तिवारी, सुमायला खान, सौरभ गुप्ता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस गंभीर ऑपरेशन के सफल ऑपरेशन की खबर पाने के बाद कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह, सीएमएचओ डा. पवन जैन, डा. संजय ऋषिश्वर, जिला स्वास्थय अधिकारी डा. एनएस चौहान, आरएमओ डॉ संतोष पाठक ने सफल ऑपरेशन की सराहना की है।

पेशाब की थैली में बनी थी पथरी, गुर्दे खराब

ऑपरेशन को लीड कर रहे सर्जन डा. पीके खरे ने बताया कि ऑपरेशन रिस्की था, लेकिन जब उन्होंने अपने सहयोगी डा. पंकज से बात की तो दोनों ने पूरे केस को समझने के बाद आपरेशन करने का निर्णय लिया। हमने केस स्टडी के दौरान पाया कि यह पथरी बच्चे की पेशाब की थैली में बनी होगी जो धीरे धीरे उसकी पेशाब की नली में आई और इसके बाद उसने अंडकोष की थैली को पूरा कवर कर लिया।

डा. खरे के अनुसार पथरी बच्चे की पेशाब की नली को बंद कर दिया और पथरी के प्रैशर के कारण अंडकोष की थैली में एक छेद हो गया जहां से बच्चे की पेशाब बूंद-बूंद करके टपकने लगी। बकौल डा. खरे पथरी के कारण पेशाब नली बंद होने के कारण गुर्दे पर प्रैशर पड़ने लगा और गुर्दे पर भी इंफेक्शन आ गया, जिससे गुर्दे भी काम करना बंद कर गए और बच्चे में खून की कमी होने लगी। डा. खरे के अनुसार अगर बच्चे का आपरेशन कुछ और समय नहीं होता तो बच्चे की हालत खराब हो जाती। उन्होंने संभावना जताई है कि अब बच्चे का घाव भरने के साथ ही दवाओं के चलते जल्द ही बच्चे के गुर्दे सामान्य रूप से काम करना शुरू कर देंगे।

ये डॉक्टर मेरे लिए भगवान से कम नहीं

बच्चे के आपरेशन के बाद उसकी तकलीफ कुछ कम होने पर मंजेश के पिता हरेंद्र का कहना है कि मैं बेटे को इलाज के लिए श्योपुर, गुना और कई प्राइवेट डॉक्टरों के पास हो आया था, लेकिन कहीं भी उपचार नहीं हो पाया। यहां डॉक्टरों ने मेरे बेटे का ऑपरेशन करके उसकी जान बचा ली है, क्योंकि जब इतने डाक्टरों ने उसका इलाज करने से मना कर दिया था तो मैं तो उसके जीवित रहने की आस ही छोड़ चुका था। मेरे लिए ये डाक्टर भगवान से कम नहीं हैं।

बच्चे को भविष्य में‎ परेशानी नहीं होगी‎

मेरा पूरा मेडिकल जीवन 40‎ साल का निकल गया। ना पढ़ाई के‎ दौरान ऐसा केस आया ना कोई‎ मरीज इस तरह का इलाज को कभी‎ आया। पहली बार इस तरह के बच्चे‎ का ऑपरेशन डॉक्टर्स की टीम ने‎ किया है जिसके बाद बच्चे को अब‎ भविष्य में परेशानी नहीं होगी।‎
डॉ. पीके खरे,पूर्व सिविल सर्जन‎ जिला चिकित्सालय शिवपुरी।‎
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