RTO मेडम के भ्रष्टाचार के कारण कई ऑटो वालों के घर के गहने बिक गए, 600 रुपए के कारण भुगतने पडे 24 हजार- Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। माफ करना शब्द थोडे कडे हो सकते हैं, लेकिन लिखना पडा रहा हैं, मप्र की भाजपा की सरकार सुशासन का नारा देती हैं, भाजपाई और भाजपा का समर्थन करने वाले लोग इस खबर को अवश्य करें, कि जिले में साक्षात भ्रष्टाचार का मंदिर बना कर बैठी और देवी का दर्जा प्राप्त आरटीओ में मेडम के भ्रष्टाचार के कारण कई आटो ड्रायवरों को अपनी मां और पत्नियों के गहने बेचने पड़े। हम बिना परमिट आटो चलाने वालो का समर्थन नही करते हैं लेकिन हालात जो बने है उससे आंखे भी नही फैर सकते हैं।

हाइकोर्ट के निर्देश के बाद एकाएक जाग बैठीं मेडम

जैसा कि विदित है कि हाइकोर्ट के निर्देश के बाद परिवहन विभाग ने एकाएक जागरूक हुआ और हाइकोर्ट की फटकार से बचने के लिए अमला सड़कों पर उतर गया। कभी कार्यालय से बाहर न निकलने वाला परिवहन अमला भी अपने अधिकारी के साथ चेकिंग के लिए निकला और सैकड़ों ऑटो की धरपकड़ कर डाली। इसमें से करीब एक सैकड़ा ऑटो चालकों के कोर्ट के चालान पेश कर दिए गए।

इसमें मुख्य वजह थी परमिट का न होना। परिहवन विभाग में परमिट बनवाने के लिए 600 रुपये की रसीद कटती है। यदि दलाल के जरिए भी जाओ तो डेढ़ से दो हजार रुपये में पूरा काम हो जाता है। परमिट न होने की वजह से अब यह 600 रुपये ऑटो चालकों पर 24 हजार रुपये का पड़ रहा है। कोर्ट ने 22 से 24 हजार रुपये के चालान बनाए हैं।

सोमवार से कराएंगे जमानत: 10 से 20 प्रतिशत ब्याज की दर पर पैसा उठाया 

अभी तक दर्जनों ऑटो जप्त ही रखे हुए हैं क्योंकि कोर्ट से भारी जुर्माना लगा है। शहर में ही गौरव कुशवाह पर 22500 रुपये, जुगलकिशोर राठौर पर 22500, सागर रजक पर 24 हजार, अमजद खान पर 24 हजार, रामकृष्ण पर 24 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। स्थिति यह है कि इनके पास जमा करने के लिए इतनी रकम ही नहीं है। अब ऑटो यूनियन की मदद से यह लोग सोमवार से अपने ऑटो जमानत पर छुड़वाने का प्रयास करेंगे। इससे वे ऑटो चलाकर कुछ रुपये कमा पाएंगे और उससे अपनी रकम भरेंगे।

सबसे दुखद कहानी यहां से आ रही हैं यह सुशासन पर धब्बा

राहुल खटीक पुत्र कैलाश खटीक उम्र 25 साल निवासी शांतिनगर ने तारकेश्वरी कॉलोनी निवासी सुरेश योगी की आटो प्रतिदिन के किराए के हिसाब से रखी है। इस धरपकड अभियान में राहुल की आटो भी परिवहन विभाग ने जब्त कर ली। अब इसको मुक्त कराने को 24 हजार रूपए का खर्चा आ रहा है।

राहुल ने बताया कि उसके परिवार में 5 सदस्य हैं और वह घर में इकलौता कमाने वाला हैं। आटो भी घर की नही हैं किराए  से चलता है। आटो किराया और पेट्रोल के बाद जो भी दो तीन सो रूपए बच जाते हैं उससे परिवार का गुजारा होता है।

बकौल राहुल ने बताया कि मेरे पिता कैलाश खटीक का एक्सीटेंड 1 साल पूर्व हो गया था कूल्है में फेक्चर हो गया आपरेशन हुआ जो भी कुछ बचत के नाम पर घर में था वह सब कुछ बर्बाद हो गया,उल्टा कर्जा हो गया। अब आटो भी धरा हो गया हैं। 10 दिनो से बेरोजगार के साथ साथ 24 हजार की जुगाड करनी है।

गाडी को छुडाने के लिए मां ने अपने गहने बेचे हैं उसमें भी पैसा कम पड रहा हैं। मेरी हालत देखकर लोग मुझे ब्जाज पर पैसा भी नही दे रहे। अब क्या करे। अगर सिस्टम से आटो का कागज समय पर बनते तो हमे यह आज दिन नही देखने को मिलता। अब क्या करे समझ में नही आ रहा है।

आयुक्त ने निर्देश के बाद लगा कैंप, पहले क्यों नही, सवाल बडा हैं

कार्रवाई के विरोध में ऑटो यूनियन ने कलेक्ट्रेट में ज्ञापन दिया था। उनका कहना था कि उन पर न्यूनतम जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाए और 1 महीने का समय कागज दुरुस्त कराने के लिए दें। साथ ही विभाग कैंप लगाए। तब उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। हालांकि जब पूरे प्रदेश में मांग उठी तो फिर आयुक्त ने निर्देश निकाले और परमिट बनना आसानी से शुरू हुए। यूनियन के अध्यक्ष वनबानी धाकरे ने कहा कि यदि पहले ही इतनी सुविधा से परमिट और अन्य कागज बन जाते तो हम लोगों को इस जुर्माने का सामना नहीं करना पड़ता।

ऑटोचालकों ने लगाए आरोप, दलालों के पास भेजते हैं बाबू

ऑटो चालकों का आरोप है कि आरटीओ में जब परमिट बनवाने जाते हैं तो वहां के बाबू कई चक्कर कटवाते हैं। वे खुद बोलते हैं कि फलां एजेंट के जरिए आओ तब काम होगा। कई बार चक्कर लगाने के बाद भी हमारा काम नहीं होता है। अशोक केवट ने कहा कि मेरी गाड़ी आरटीओ ने पकड़ ली। जबकि मैंने कहा भी कि मैं 1 तारीख को ही रसीद कटवा चुका हूं। इसके बाद से बाबू मेरी परमिट नहीं बना रहा और बार-बार चक्कर काट रहा है। बाबू का नाम नहीं जानता इसलिए नामजद नहीं बता पाया उन्हें। लेकिन कई बार निवेदन के बाद भी उन्होंने नहीं सुनी। ऐसा कई और के साथ भी हुआ है।

इनका कहना है
अब तो आरटीओ में परमिट बन रहे हैं, लेकिन पहले बहुत परेशानी हो रही थी। अधिकांश लोगों पर जुर्माना सिर्फ इसलिए लगा क्योंकि अब तक परिवहन विभाग के बाबू काम ही नहीं करते थे। यदि पहले ही इतनी सुविधा से परमिट बना देते तो यह परेशानी ही खड़ी नहीं होती। अब ऑटो चालकों के पास रुपये ही नहीं हैं जुर्माना भरने के लिए। पूरे जिले में 100 से ज्यादा ऑटोचालक घर बैठे हुए हैं।
वनबारी धाकरे, अध्यक्ष ऑटो चालक यूनियन

और अंत में इस संबंध में परिवहन अधिकारी मधु सिंह से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।