शिवपुरी। शिवपुरी प्रदेश का वो जिला जहाँ देश कि अति पिछड़ी जनजातियों में से एक जनजाति सहरिया आदिवासी का बाहुल्य है , इस जिले में सर्कार को इनकी दशा सुधरने जहाँ सबसे अधिक ध्यान देना चाहिए था वहाँ हालात उलटे है। सहरिया जनजाति के सीधे सरल लोगों की गरीबी का फायदा उठाकर लोग उनका दुरूपयोग कर रहे हैं।
इसी के चलते आज फिर सहरिया क्रांति के माध्यम से एक ऐसा ही मामला सामने आया जिसमे एक 15 साल के सहरिया बालक को पिता का 8000 रूपये का कर्ज चुकाने दबंग के खेत पर 35 रूपये रोज में बंधुआ मजदूरी करने को विवश होना पड़ा। आज पुलिस अधीक्षक शिवपुरी को अपना आवेदन देकर सनी आदिवासी ने स्वय को बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराने की गुहार लगाई है।
पुलिस अधीक्षक शिवपुरी को सौंपे गए शिकायती आवेदन में सनी आदिवासी पुत्र लक्ष्मण आदिवासी उम्र 15 बर्ष निवासी ग्राम डबिया ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि एक साल से दबंग गुर्जरों द्वारा बंधुआ मजदूर बनाकर अमानुषिक यातनाएं दी जा रही हैं।
सनी आदिवासी ने बताया कि उसके पिता ने गरीबी हालत के चलते श्यामबिहारी गुर्जर पुत्र प्राण सिंह निवासी ग्राम डबिया से अब से लगभग एक साल पहले आठ हजार रूपये उधार लिए थे जिसके बाद दाऊ को मेरे पिता से हाल ही दुगनी रकम 15000 रूपये वापस मांगने लगे।
इतनी बड़ी राशि लौटाने में जब मेरे पिता ने असमर्थता जताई तो श्यामबिहारी गुर्जर ने कहा कि जब तक तू इतने रूपये नहीं चुकाएगा तब तक तेरे बेटे सनी को मेरे यहाँ महीदार यानी बधुंआ बनकर कार्य करना पड़ेगा। सनी ने बताया कि तभी से श्यामबिहारी गुर्जर पुत्र प्रानसिंह ने व उसके परिवार जनों ने उसे बंधुआ मजदूर बना लिया,उक्त लोग प्रतिदिन सुबह से देर रात तक प्रार्थी से हाड तोड़ मेहनत कराते थे जिसमे भैसें चराना , सानी बनाना , गोबर डलवाना ,खेतों से हरोई काटकर लाना ,हाथ पैर दबवाना, आदि कई कार्य कराते हैं। जिनमें यदि थोड़ी सी भी गलती हो जाती थी तो प्रताड़ित करते हैं व धमकी देते हैं कि तूने गलती कि तो दवाई देकर मार डालेंगे तेरे हाथ पैर तोड़ डालेंगे।
इतनी मेहनत के कार्य के बदले मुझे प्रतिदिन 35 रूपये मजदूरी के हिसाब से 1100 रूपये देते हैं , खाने को सूखी रोटी देते हैं व लहसन प्याज दे देते थे। सनी आदिवासी ने बताया कि कई बार निवेदन किया कि मुझे बन्धनमुक्त कर दो लेकिन वे गालियाँ देकर डरा देते हैं व प्रार्थी को गुलामी कि जंजीरों में जकड़े हुए हैं।
इस तरह भागकर आया सनी
गत 3 दिवस पहले गाँव के रामवरन गुर्जर व श्याम विहारी गुर्जर का आपस में झगड़ा हो गया जिसमे दोनों पक्षों में हाथापाई हो गई। तभी श्यामबिहारी गुर्जर मेरे पास आकर बोला कि तू हमारे साथ थाने चल उन्होने सनी से कहा कि तेरे शरीर हम कुल्हाड़ी से काटकर चोट के निशान बना देते हैं।
जिससे केस मजबूत हो जाएगा इसके एवज में तुझे 50 हजार रूपये दे देंगे। उनके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया कि वो अपने शरीर को चोटिल कराए,तभी गुमराह करके पंजाब गुर्जर का लडका रविन्द्र उर्फ़ लल्लू अपनी मोटर साइकल से बैठाकर सुरवाया थाना ले गया वहां रविन्द्र ने मेरे नाम से झूठी शिकायत करवाई। शिकायत कराने के बाद इन्होने सनी को अपने घर में रोक लिया।
तीन दिन तक अपने घर में रोके रखा व मात्र इक टाइम खाने को 6 रोटी व आलू कि सब्जी दी व घर नहीं जाने दिया। तभी रात्रि 3 से 4 बजे के बीच में मौका पाकर सनी वहां से भागकर चूर गाँव के जंगल में पहुंचा व अपने पिता को सम्पूर्ण कहानी बताई , वहां से छुपता –छुपाता सनी शिवपुरी में सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन के घर पहुंचा व अपनी सम्पूर्ण व्यथा सुनाई। जिसे सुनकर उन्होंने न्याय दिलाने का आश्वाशन दिया व पुलिस अधीक्षक व थाने पर जाकर आवेदन देने की हिदायत दी
इनका कहना है।
शिवपुरी में सहरिया आदिवासी समुदाय के अति गरीब लोग अमानुषिक अत्याचार झेलने को मजबूर हैं, कई आदिवासी साहूकारी कर्जजाल में फंसकर बंधुआ मजदूर बन गए हैं , दबंगों ने अपने फार्महाउस व खेतों पर मानसिक बेड़ियों में जकडकर प्रताड़ना का दौर चला रखा है , प्रशासन इस और इसलिए कार्यवाही नहीं करता क्यूंकि ये बड़े – बड़े राजनैतिक दलों के लिए वोट जुटाने का काम करते हैं और इनके सम्बन्ध कई मंत्रियों व राजनेताओं से हैं।
संजय बैचेन,संयोजक सहरिया क्रांति