पोहरी। पोहरी क्षेत्र के पचीपुरा तालाब में मछलियां बीमारी फैलने से मरने लगी हैं। चुकि तालाब बडा हैं तथा उसमें मछलियां न केवल अधिक तादाद में हैं बल्कि एरिया अधिक होने से पूरे तालाब मे दवा नही डाली जा रही, जिससे मछलियो को बचाने के लिए कोई बचाव नही हो पा रहा हैं
ज्ञात रहे कि पोहरी बैराड़ के बीच स्थित पचीपुरा तालाब का कुल क्षेत्रफल 197 हैक्टेयर हैं। इस तालाब में मछली पालन मछुला सहकारी समिति पचीपुरा द्धवारा किया जा रहा हैं। ताबाब में मौजूद मछलियों को एंडोस्ट्राईव सिंड्रोम बीमारी हो गई। इस बीमारी के चलते मछली के मुंह व शरीर में जख्म हो जातो हैं और वह तडप तडप कर मर जाती है।
मछलियों में फैली इस बीमारी को रोकने के लिए 2 क्विटंल चुना प्रतिहैक्टयर से पानी में डाला जाना चाहिए,चुकि तालाब 197 हेक्टेयर का हैं और इसमे 394 क्विटल चुना डालना होगा,लेकिन समिति की आर्थिक स्थिती सही नही होने के कारण पूरा उपचार नही कर पा रहे हैं। इस कारण तालाब मे लगातार मछली मर रही हैं। समिति के पदाधिकारी व सदस्यो को भी समझ नही आ रहा हैं कि ऐसी स्थिती में वह क्या करे।
12 किलो से भी अधिक वजनी मछलिया हैं तालाब में
पचीपुरा तालाब में 12 महिने पानी रहता हैं और इसका क्षेत्रफल भी अधिक होने के कारण इसमें मछलिया फल फूल रही हैंं और 12 किलो तक की मछलिया इसमे हैं। तालाब में फैली बीमारी के कारण मछलियो के मरने का दौर जारी हैं। इस कारण तालाब में प्रदुषण और क्षेत्र में सडांध फैलने का खतरा हैं।
मतस्य विभाग की भी खोज जारी
बताया जा हैं कि इस मामले की पूरी जानकारी समिति के पदाधिकारियो ने मतस्य विभाग के अधिकारियो को भी अवगत करा चुके हैं,मतस्य विभाग भी इस बीमारी के फैलने और रोकने के रास्ते निकाल रहा हैं और दव के छिडकाव की व्यवस्था कर रहा हैं।
बचाने का कर रहे हैं प्रयास
पचीपुरा तालाब की मछलियो में बीमारी फैलने के वजह से मर रही हैं। समिति पर इतने संसाधन और धन नही हैं कि वह पूरे तालाब में चूना डलवा सके। विभागिय स्तर से चूना डालवाने का प्रयास जा रही हैं,और मछलियो को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
आरबी शर्मा मत्सस्य निरीक्षक शिवुपरी।