रिजौदी गांव में भ्रष्टाचार की हद पार, हर माह लाखों का राजस्व चोरी / Badarwas News

Bhopal Samachar
मोनू यादव@बदरवास। जिले के बदरवास  जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत रिजोदी  में जमकर भ्रष्टाचार रोजगार सहायक सत्येंद्र सिंह यादव व अधिकारियों की सांठगांठ से किया जा रहा है। लाखों रुपए की लागत से बनाई गई सीसी रोडों में रेत की जबरदस्त मिलाकर जमकर गोलमाल किया जा रहा है।

पंचायत में सीमेंट कंक्रीट सड़क बनाने का काम किया गया था। सड़क निर्माण में लोगों ने घटिया एवं गुणवत्ता हीन निर्माण करने का आरोप लगाया है। इन सड़कों को बनाने के लिए ग्राम पंचयात को लाखों रुपए शासन द्वारा  दिया गया था।

ग्राम पंचयात के द्वारा गुणवत्ताविहीन सड़क निर्माण का  आरोप

ग्रामीणों की माने तो सड़क की ऊपरी 4 इंची गिट्टी बिना वाइब्रेटर मशीन के दवाई गई है। इससे सड़क जल्द ही उखड़ जाएगी उन्होंने बताया कि नियमानुसार गिट्टी के ठीक तरह से दवने के बाद 10 दिन के बाद इस पर 4 इंची सीमेंट कंक्रीट किया जाना चाहिए था। ताकि सड़क मजबूत बने लेकिन ग्राम पंचयात ने इसका ध्यान नहीं रखा है।

जिम्मेदारों ने नहीं किया निरीक्षण

ग्रामीणों ने बताया है कि जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा निर्माण कार्य देख कर ना तो निरीक्षण किया गया और ना ही अपने कर्मचारी द्वारा इसकी देखरेख कराई गई।

रोजगार सहायक सत्येंद्र सिंह यादव व सचिव की मिलीभगत से ग्राम पंचायत में जमकर किया जा रहा भ्रष्टाचार। रोजगार सहायक सत्येंद्र सिंह यादव  के इतने ज्यादा हौसले बुलंद हो गए हैं कि वह किसी भी काम को आंख बंद करके भ्रष्टाचार करने में लगा हुआ हैं।

इस बात की जानकारी जनपद पंचायत से लेकर जिला पंचायत के आला अधिकारियों को होने के बावजूद भी इस ओर ध्यान नहीं दे दिया जा रहा है।

वहीं सूत्रों की मानें तो जिला पंचायत और जनपद पंचायत से ग्राम पंचायत को दिया जाने वाला कार्य बगैर कमीशन के नहीं मिलता है साथ ही हर फाइल को पास कराने का अलग ही कमीशन दिया जाता है।

इसी कारण तो पंच परमेश्वर और मनरेगा के द्वारा डाली गई लाखों रुपए की सीसी रोडों  में जमकर रोजगार सहायक सत्येंद्र सिंह यादव और सचिव  द्वारा भ्रष्टाचार किया जाता है।

तय मानकों के अनुसार नहीं हुआ सीसी निर्माण

गौरतलब है कि रिजोदी  ग्राम पंचायत में जो सीसी रोडों का निर्माण किया गया हैै एवं किया जा रहा है वह तय मानकों के अनुसार नहीं किया जा रहा है जिससे कि उसकी गुणवत्ता बहुत ही कमजोर है और वह जल्द ही उखड़ जाएगा।जिसमें जिम्मेदारों द्वारा जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।

उक्त सीसी रोडों  में कई मानकों के अनुसार निर्माण कार्य नहीं किया जाने के कारण यह सीसी रोड जल्द से जल्द उखड़ जाएगा। सीसी रोड का औखड़ ना ही भ्रष्टाचार उजागर करने के बराबर है। ऊपर से लेकर नीचे तक सब का कमीशन बंधा है। इसमें मजदूरी करने वालों का पैसा तक मार दिया जाता है।

कार्य करने वाले मजदूरों को नहीं मिला मेहनताना

इस ग्राम पंचायत में फर्जी जॉब कार्ड भी बना दिए गए हैं और अब जिन लोगों के द्वारा मजदूरी की ही नहीं गई उन लोगों के खातों में पैसे डालने की तैयारी जोरों से चल रही है।

ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार का नजारा आसानी से देखा जा सकता है यहां पंच परमेश्वर योजना और मनरेगा के अंतर्गत सीसी रोड का निर्माण तो किया गया है।

लेकिन ना तो बेस बनाया गया और ना ही गिट्टी को दबाया गया और ना ही नीचे प्लास्टिक बिछाया गया यही नहीं चौड़ाई के लिए 10 सेंटीमीटर गहराई में खोदकर मिट्टी को बाहर भी नहीं निकाला गया कुल मिलाकर यहां पर अंधेरी नगरी और चौपट राजा का खेल खेला जा रहा है और अधिकारी भी इस बहती गंगा में हाथ धोने से पीछे नहीं हट रहे हैं।

सरकारी विभागों में टैक्सी पास की जगह पर निजी वाहन अटैच किए हुए हैं। जबकि नियम से विभाग में लगने वाले चार पहिया वाहन टैक्सी में पास होना अनिवार्य है। नियम की जानकारी सभी अधिकारियों को है। इसके बावजूद शासन के निर्देशों को ताक पर रखकर अधिकारियों ने निजी वाहन कार्यालय के उपयोग के लिए लगा रखे हैं। जिसकी वजह से परिवहन विभाग को हर साल लाखों रुपए राजस्व की हानि हो रही है। 

जबकि टैक्सी में पास कराने के लिए लोगों को अधिक टैक्स जमा करना होता है। वहीं रजिस्ट्रेशन एवं फिटनेस की अलग से फीस जमा करनी होती है। निजी में पास कराने पर कम टैक्स लगता है, और आजीवन के लिए कोई झंझट नहीं रहता है। दूसरी ओर इन गाड़ियों से कई बार घटनाएं हो चुकी हैं। घटना के बाद अधिकारी एवं वाहन मालिक ले देकर मामला को खत्म कर देते हैं।

बता देें कि शासन ने 2014 से सभी विभागों में टैक्सी वाहन लगाने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद भी  अधिकारियों ने  निजी वाहन लगा रखे हैं। जबकि निजी वाहन अपने उपयोग में ले सकते हैं। ना कि किसी कार्यालय में लगा सकते हैं। कार्यालय में लगाना है तो उसका टैक्सी में पास होना आवश्यक होता है। अधिकारियों एवं वाहन मालिकों की साठगांठ के चलते निजी वाहनों को विभागों के कार्य के लिए लगाया गया है। 

निजी वाहन बदरवास जनपद  पंचायत, महिला बाल विकास, राजस्व विभाग सहित अन्य विभाग में लगे हुए हैं। खासबात यह कि कार्यालय में लगे वाहनों से कई बार एक्सीडेंट भी हो चुके हैं। अधिकारियों द्वारा मामला को पैसा देकर रफा दफा कर लिया जाता है। यदि टैक्सी वाहन किसी कार्यालय में लगी है, और उसे अन्य प्रदेश में जाना है तो उसे उस प्रदेश का टैक्स वाहन मालिक को कटना होता है। जिला प्रशासन ने निजी गाड़ियों लगा रखी हैं। इसलिए उन्हें अन्य प्रदेश में जाने पर टैक्स भी नहीं कटाना पड़ता है।

1 से डेढ़ हजार रुपए तक जमा करना पड़ता है शुल्क

यदि चार पहिया वाहन को टैक्सी में पास कराते हैं तो करीब गाड़ी की कीमत से करीब 8 से 9 प्रतिशत टैक्स जमा करना होता है। साथ ही रजिस्ट्रेशन फीस करीब 3 से 4 हजार रुपए, उसके उपरांत हर साल गाड़ी की फिटनेस करानी होती है। जिसमें करीब एक से डेढ़ हजार तक शुल्क जमा करना होता है।