शिवपुरी। खबर कलेक्ट्रेट कार्यालय से आ रही है। जहां शासकीय राशि का गवन करने के आरोप में पंचायत सचिव पर जिला पंचायत सीईओ ने एफआईआर के निर्देश दिए है। इस मामला अभी तक उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन था। जिसे माननीय न्यायालय ने खारिज कर दिया। मामला खारिज होने के बाद अब इस मामले में सीईओ जिला पंचायत एचपी वर्मा ने पोहरी थाना प्रभारी को मामला दर्ज करने को पत्र लिखा है।
जानकारी के अनुसार हरीश भार्गव तत्कालीन पंचायत सचिव ग्राम पंचायत भदेरा एवं सचिव ग्राम पंचायत ऐचबाडा ने 20 अगस्त 2010 को कलेक्टर ने एक खबर की जांच कराई तो उसमें सामने आया कि उक्त पंचायत सचिव ने अपने सरपंच के साथ मिलकर 48 लाख 37 हजार 432 रूपए की राशि शासकीय काम के एवज में आहरित कर ली थी। जब इसकी जांच की तो मौके पर सब इंजीनियर ने महज 5 लाख रूपए का कार्य होना पाया गया।
यह जांच रिपोर्ट माननीय कलेक्टर महोदय के पास पहुंची। जिसपर से कलेक्टर ने उक्त पंचायत सचिव से पूरे दायित्व बापिस ले लिए थे। इस मामले में पंचायत सचिव ने कलेक्टर के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिसे माननीय न्यायालय ने 3 मई 2016 को उक्त याचिका को खारिज कर दिया।
जिसपर से कल जिला पंचायत सीईओ एचपी वर्मा ने इस मामले में 20 अक्टूबर 2010 को पारित आदेश में पोहरी थाना प्रभारी को तत्काल एफआईआर दर्ज कर कार्यालय को अबगत कराने का आदेश दिया है।
क्या था पूरा मामला
बीते 10 सितम्वर 2008 से ग्राम पंचायत भदेरा के प्रभारी सचिव के रूप में हरीश बैरागी को प्रभार दिया गया था। जिसपर से वित्तीय वर्ष 08 09 की केशबुक मौके पर प्राप्त हुई। तथा कैश बुक में सीए द्धारा आडिट किए जाने पर सील और हस्ताक्षर मिले।
पंचायत की कैश बुक के अवलोकन के दौरान माह मार्च में स्टेशनरी पर आवश्यकता से अधिक व्यय किया जाना,बीआरजीपीएफ योजना में स्वीकृत राशि 2 लाख 41 हजार की राशि का आहरण किया। लेकिन मौके पर निरीक्षण के दौरान मौके पर न ही उपयंत्री के ले आउट दिया जाना पाया गया। और न ही निर्माण सामाग्री पाई गई तथा आहरण राशि का व्यय कैशबुक में निर्माण साम्रागी एवं मजदूरों को मजदूरी भु्गतान किया जाना पाया। तथा अभिलेखो में नगद भु्गतान करना दर्शाया गया।
पंचायत में जनरेटर उपलब्ध नहीं होने के बाबजूद भी कैश बुक में हजारों के देयक डीजल भुगतान के कैशदर्ज होना पाया। ग्राम पंचायत भदेरा में रोजगारी गारंटी योजना अंतर्गत 20 निर्माण कार्य कराए गए। जिसपर बैंंक से 48 लाख 37 हजार 482 रूपए की आहरित किए गए तथा कार्यो पर मूल्यांकित मिले। जब उक्त मामले की जांच दल द्धारा जांच की गई तो उक्त स्थान पर मात्र 5 लाख रूपए के काम मिले। जिसपर से सरपंच और सचिव पर 43 लाख रूपए का गबन निकला। जो बसूली योग्य मिली। जिसपर से सचिव ने उक्त जांच के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली। इस मामले को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। जिसपर से आज फिर कलेक्टर के आदेश को लेकर सीईओ जिला पंचायत ने उक्त पंचायत सचिव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए है।