दोहरा हत्याकांड: कोटा गांव में तनाव, कलेक्टर और एसपी ने दी समझाईश के बाद हुआ अंतिम संस्कार | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। जिले के देहात थाना क्षेत्र के ग्राम कोटा में हुए खूनी संघर्ष में मामले में मारे गए दो युवकों का अंतिम संस्कार काफी समझाईश के बाद हुआ। कलेक्टर और एसपी की गाड़ी वहां से रवाना होकर गांव में मृतकों के घर पहुंचे जहां प्रशासन के समक्ष मृतकों के बेटे और भाईयों ने मांगें रखीं कि एक तो परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए, दूसरे मृतक और घायलों को सुरक्षा व्यवस्था देते हुए उनके परिजनों को बंदूक के लायसेंस दिए जाएं तथा पीडि़त परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए साथ ही आरोपियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी हो, लेकिन नौकरी की मांग पर कलेक्टर अनुग्रहा पी ने कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया।जिसके फलस्वरूप गतिरोध बना रहा।

मृतक दीपक सिंह के पिता पहलवान सिंह जो कि खूनी संघर्ष में गंभीर रूप से घायल होकर ग्वालियर अस्पताल में भर्ती हैं, उनके आने का इंतजार किया। उधर करणी सेना उनके आने पर राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्काजाम करने की तैयारी कर प्रशासन पर दवाब बनाया लेकिन बाद में काफी समझाईश के बाद अंतिम संस्कार किया गया।

आज सुबह एम्बुलेंस से उनके शवों को लेकर करणी सेना के लोग कोटा गांव पहुंचे और उन्होंने गांव के बाहर गाड़ी खड़ी कर प्रशासन को अल्टीमेटम दिया कि जब तक पीडि़त पक्ष की मांगों की पूर्ति नहीं होगी तब तक अंत्येष्टि नहीं की जाएगी। आंदोलनकारियों को मनाने के लिए एडशिनल एसपी गजेन्द्र सिंह कंवर और एसडीएम अतेन्द्र सिंह गुर्जर गांव पहुंचे, लेकिन करणी सेना ने उन्हें लौटा दिया तथा कहा कि जब तक कलेक्टर और एसपी आकर उनकी मांगों को नहीं सुनेंगे तथा उनकी पूर्ति का लिखित आश्वासन नहीं देंगे तब तक अंत्येष्टि नहीं की जाएगी।

इसके बाद कलेक्टर अनुग्रहा पी और एसपी राजेश सिंह चंदेल कोटा गांव पहुंचे, लेकिन गांव के बाहर ही क्षत्रीय समाज के युवा कार्यकर्ता व करणी सेना ने उनकी घेराबंदी कर ली और उनके सामने पीडि़त पक्ष की मांगें रख दीं। करणी सेना के कुछ लोग कलेक्टर और एसपी को गांव में न जाने दे रहे थे, लेकिन दूसरे पक्ष ने उन्हें समझाकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की गाडिय़ों को गांव के लिए रवाना किया।

गांव में कलेक्टर और एसपी ने मकान के बाहर कुर्सी डालकर पीडि़त परिवार की व्यथा सुनी, लेकिन नौकरी और आर्थिक सहायता के विषय में कलेक्टर ने कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया। पीडि़त पक्ष परिवार के एक सदस्य को तृतीय श्रेणी की नौकरी दिए जाने की मांग की। बाद में उन्होंने कहा कि यदि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी भी दी जाएगी तो वे इसे स्वीकार करेंगे, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी दिए जाने का भी कलेक्टर ने कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया।

आर्थिक सहायता के संबंध में कलेक्टर का कहना था कि वह मृतक की विधवा को 600 रूपए महीने की पेंशन दिलाने में मदद करेंगी, लेकिन एसपी राजेश चंदेल ने आश्वासन दिया कि जल्द से जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी हो जाएगी। इसके बाद मृतक के पिता दीपक के पिता पहलवान सिंह के ग्वालियर से आने का इंतजार चल रहा था। उनके आने के बाद करणी सेना और पीडि़त पक्ष द्वारा यह फैसला किया जाएगा कि इस मामले में आगे क्या किया जाए? तत्पश्चात काफी समझाईश के बाद में बाद में अंतिम संस्कार किया। 
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