खबर का असर: विधान सभा में उठेंगा आरटीओ मधुसिंह के 41 लाख के भ्रष्ष्टाचार का मामला | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शिवपुरी आरटीओ मधुसिंह ने अपने कथित भाईयो के मिलकर शासन को 41 लाख का चूना लगा दिया। यह खबर शिवपुरी समाचार डॉट कॉम ने सबसे पहले प्रमुखता से प्रकाशित की थी। इस खबर के बार आरटीओ मधुसिंह के ऊपर प्रदेश स्तरीय जांच शुरू हो गई थी। अब बताया जा रहा है कि उक्त मामला विधानसभा में गुजेंगा। इस मामले में आरटीओ मधुसिह ने अपना जबाब भी तैयार कर लिया है उन्होने बस मालिको को बुलाकर कोरे कागज पर हस्ताक्षर भी करा लिए  हैं।

जानकारी के अनुसार कोलारस से भाजपा के विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने यह मामला सदन में लगाया हैं। प्रश्न क्रंमाक 139 के माध्यम से विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने इस भ्रष्टाचार के मामले की जानकारी ली हैं। सरकार की ओर से जबाब 10 जुलाई को दिया जाऐगा।

यह था मामला
जैसा कि विदित हैं कि पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की सभा के नाम पर आरटीओं ने 80 लाख रूपए का पैमेंट अपने चहेते दलालों के खातों में डलबा दिया है। सबसे अहम बात यह है कि उक्त दलालों के नाम पर पूरे प्रदेश में कही भी कोई बस का नाम रजिस्टर नहीं है।

पिछले वर्ष 2018 जुलाई में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी का कार्यक्रम पिछोर में हुआ था जिसमे वाहनों की व्यवस्था जिला परिवहन कार्यालय से कराई गई थी,जिसमे 41 लाख रुपये का भुगतान जिला पंचायत शिवपुरी ने जिला परिवहन अधिकारी के पत्र के आधार पर किया।

बताया गया था कि एक रात्रि में आनन फानन में जिला परिवहन अधिकारी जिला पंचायत कार्यालय पहुची और स्वयम अपने हाथों से जल्दबाजी में एक पत्र लिखा जिसमे 300 गाडियों के 41 लाख रुपये का भुगतान लगभग का उल्लेख किया गया और दो दिन बाद ही वह भुगतान अलग अलग लोगो के खाते में पहुंच गया।

खास बात यह है कि जिन लोगो के खाते में भुगतान पहुचा उसमे से कई लोग बस संचालक है ही नही अपात्र है,पुष्पेंद्र सिंह यादव व अशोक नागपाल इनके नाम से लगभग 21 लाख रुपये का भुगतान हो गया जबकि इन दोनों के नाम न तो कोई बस पंजीकृत है और  न ही ये दोनों  अधिकृत ट्रेवल्स संचालक हैं ।

क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के नाम से एक पत्र अशोक नागपाल के नाम से जारी हुआ है जिसमे प्रतिनधि शब्द का उपयोग किया गया है यानी बस संचालको के प्रतिनिधि के रूप में 20 लाख रुपए एक ही खाते में डाले गए। 200 बस ये अशोक नागपाल के द्वारा ग्वालियर व आसपास से उक्त कार्यक्रम में लगाई गई दर्शायी है,बीस हजार रुपये के हिसाब से ये बसे मंगाई गई है। प्रश्न यह है कि अशोक नागपाल को 100 बस ऑपरेटर का प्रतिनिधि कैसे माना जा सकता है।

पुष्पेंद्र सिंह यादव व अशोक नागपाल के नाम से न ही कोई बस है न ही कोई ट्रेवल्स सन्चालित की जाती है,फिर भी लाखों रुपये का भुगतान विनके नाम से कराना हेराफेरी नही तो क्या है। केवल दस लोगो ने खाते में 300 बसों का भुगतान 41 लाख रुपया पहुच गया जबकि 300 बसे इन दस लोगो के पास है ही नही। यानी अन्य आठ लोगो के नाम से भी जो भुगतान हुआ है,वह अन्य लोगो का है जिसका कोई हिसाब किताब नही है।
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