Shivpuri News: गोलाकोट मे स्थापित होगी आदिनाथ भगवान की 16 फीट की प्रतिमा,चमत्कारी स्थान है,पढ़िए क्यों

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा के खनियाधाना तहसील से मात्र आठ किमी दूर स्थित अतिशय (चमत्कारिक) क्षेत्र गौलाकोट पर स्थित मूलनायक आदिनाथ भगवान की 16 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित होने जा रही है। प्रतिमा का पंचकल्याणक आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य निर्यापक श्रमण सुधासागर महाराज के सानिध्य में किया जाएगा।

जानकारी के अनुसार 20 से 25 जनवरी तक पंचकल्याणक आयोजित किया जाएगा। जिसमें देश-विदेश के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु आएंगे। पंचकल्याणक के लिए गठित समिति के महामंत्री चक्रेश जैन के अनुसार इस प्रतिमा की स्थापना के लिए एक नया पाषाण मंदिर बनवाया गया है। वहीं उन्होंने बताया कि पंचकल्याणक के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं।

यदि गोलाकोट मंदिर के इतिहास की बात करें तो इसका कोई बीजक उपलब्धि नहीं है, परंतु जैन मुनियों के आधार पर जैन समाज यह मानता है कि गोलाकोट मंदिर का इतिहास जैन समाज के अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी से भी पुराना है। इसके पीछे का कारण यह है कि इस मंदिर में महावीर भगवान की कोई प्रतिमा नहीं है।

जैन समाज और मुनि यह मानते हैं कि यह क्षेत्र उनके पहले रहा होगा। पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर पर कभी पानी की बूंद तक नहीं थी, परंतु मंदिर समिति के लोग बताते हैं कि वर्ष 2012 में जब सुधासागर जी महाराज यहां आए तो वर्षों से सूखी पड़ी एक बावड़ी में अचानक पानी आ गया और इसके बाद पहाड़ी पर चारों तरफ हरियाली हो गई, अब यह मंदिर प्रकृति की गोद में बेहद ही सुंदर दिखाई पड़ता है।

हमेशा मूर्ति तस्करों के निशाने पर रहा है मंदिर बात अगर इस मंदिर में
स्थापित प्रतिमाओं की करें तो यह प्रतिमाएं बेशकीमती मानी जाती हैं। इसी कारण इस मंदिर पर हमेशा से मूर्ति तस्करों की नजर रही है। चोर मंदिर से प्रतिमाएं चुराकर तो ले गए, लेकिन हर बार प्रतिमाएं बरामद हो गईं। मंदिर समिति के महामंत्री चक्रेश जैन के अनुसार एक बार 80 के दशक में मंदिर से प्रतिमाएं चोरी हुई, उस समय यहां कोई नहीं रहता था, मंदिर वीरान पड़ा हुआ था। उस समय समाज के स्व दयाचंद्र जैन को सपने में मूर्ति चोरी के बारे में भगवान ने बताया और तत्समय बंदरगाह से पुलिस ने मूर्तियों को बरामद किया था। वर्ष 2000 में मंदिर परिसर में स्थित 48 प्रतिमाओं के सिर काटकर अज्ञात गिरोह ले गया। बाद में पुलिस द्वारा बरामद किए गए।

और गिरोह के मुखिया ने सिर काटने से कर दिया था मना
मंदिर समिति के महामंत्री बताते हैं कि वर्ष 2000 में जब मंदिर परिसर में मूर्ति चोर गिरोह के सदस्यों ने 48 प्रतिमाओं के सिर काटे थे, तब भी मूलनायक भगवान आदिनाथ की प्रतिमा पूरी तरह सुरक्षित रही। उनके अनुसार बाद में जब पुलिस ने गिरोह के सदस्यों को पकड़कर पूछताछ की थी तो पुलिस ने गिरोह के सदस्यों से यह जानना चाहा कि, सभी प्रतिमाओं के सिर काटे तो भगवान आदिनाथ की प्रतिमा क्यों छोड़ी।

इस पर गिरोह के सदस्यों ने बताया कि सिर काटते समय जब भगवान आदिनाथ की बारी आई तो गिरोह के मुखिया ने उस प्रतिमा के सिर को काटने से मना कर दिया। इसके अलावा यह भी किवदंती है कि एक बार चोरों ने भगवान आदिनाथ की प्रतिमा को चुराने का प्रयास किया तो मूर्ति में से दूध की धार बहने लगी और चोर वहां से डरकर भाग गए।