शिवपुरी। शिवपुरी नगरपालिका में नियुक्त दो वकीलों, एडवोकेट संजय कुशवाह और विनीत शर्मा, की वापसी हो गई है, जिन्हें लगभग 3 माह पूर्व सीएमओ इशांक धाकड़ ने हटा दिया था। उनकी वापसी का कारण नगरपालिका की ओर से न्यायालयीन मामलों में मिल रही शिकस्त माना जा रहा है, खासकर नाले के पास वाली करोड़ों की जमीन का मामला जिसमें नपा को हार का सामना करना पड़ा था।
गौरतलब है कि लगभग 3 माह पूर्व नपा सीएमओ इशांक धाकड़ ने नपा में नियुक्त एडवोकेट संजय कुशवाह और विनीत शर्मा को हटाए जाने का। आदेश जारी कर दिया था। इसके बाद नगरपालिका की कमान एकमात्र शेष बचे वरिष्ठ एडवोकेट गिरीश गुप्ता के हाथों में रह गई थी। इसके बाद जब नपा में हुए सड़क रिपेयरिंग घोटाले का पर्दाफाश हुआ, और ठेकेदार सहित तीन लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई। जब यह मामला कोर्ट में आया तो आरोपियों की तरफ से नियुक्त वकील से बहस करने के लिए नपा के एकमात्र बचे वकील गिरीश गुप्ता एक भी बारनपा की ओर से कोर्ट में खड़े नहीं हुए। वो तो पार्षदों ने जब अपने वकील से आपत्ति लगवाई, तब कोर्ट में जमानत याचिका निरस्त हुई।
इसके अलावा नाले के पास वाली बेशकीमती जमीन का मामला भी जब कोर्ट में आया, तो नपा की ओर से अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखा गया। जिसका परिणाम यह हुआ कि नपा वो केस हार गई, और फैसला कब्जाधारी के पक्ष में हो गया। शायद यही वजह है कि नपा की ओर से न्यायालयीन मामलों में मिल रही शिकस्त के चलते जिलाधीश ने हटाए गए दोनों एडवोकेट संजय कुशवाह एवं विनीत शर्मा की नगरपालिका में वापसी करवा दी।
चूंकि हटाए गए वकीलों ने पूर्व में नपा की जमीनों के कुछ मामले जीतकर नपा को जमीन वापस दिलवाई थी। अब वो वकील फिर से वापस आ गए। हैं, तो हो सकता है नाले वाली जिस जमीन के मामले में नपा को हार का मुंह देखना पड़ा, उस मामले की अपील हाईकोर्ट में करने की तैयारी है।
गौरतलब है कि लगभग 3 माह पूर्व नपा सीएमओ इशांक धाकड़ ने नपा में नियुक्त एडवोकेट संजय कुशवाह और विनीत शर्मा को हटाए जाने का। आदेश जारी कर दिया था। इसके बाद नगरपालिका की कमान एकमात्र शेष बचे वरिष्ठ एडवोकेट गिरीश गुप्ता के हाथों में रह गई थी। इसके बाद जब नपा में हुए सड़क रिपेयरिंग घोटाले का पर्दाफाश हुआ, और ठेकेदार सहित तीन लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई। जब यह मामला कोर्ट में आया तो आरोपियों की तरफ से नियुक्त वकील से बहस करने के लिए नपा के एकमात्र बचे वकील गिरीश गुप्ता एक भी बारनपा की ओर से कोर्ट में खड़े नहीं हुए। वो तो पार्षदों ने जब अपने वकील से आपत्ति लगवाई, तब कोर्ट में जमानत याचिका निरस्त हुई।
इसके अलावा नाले के पास वाली बेशकीमती जमीन का मामला भी जब कोर्ट में आया, तो नपा की ओर से अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखा गया। जिसका परिणाम यह हुआ कि नपा वो केस हार गई, और फैसला कब्जाधारी के पक्ष में हो गया। शायद यही वजह है कि नपा की ओर से न्यायालयीन मामलों में मिल रही शिकस्त के चलते जिलाधीश ने हटाए गए दोनों एडवोकेट संजय कुशवाह एवं विनीत शर्मा की नगरपालिका में वापसी करवा दी।
चूंकि हटाए गए वकीलों ने पूर्व में नपा की जमीनों के कुछ मामले जीतकर नपा को जमीन वापस दिलवाई थी। अब वो वकील फिर से वापस आ गए। हैं, तो हो सकता है नाले वाली जिस जमीन के मामले में नपा को हार का मुंह देखना पड़ा, उस मामले की अपील हाईकोर्ट में करने की तैयारी है।