Shivpuri News: धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने किया शिवपुरी का गुणगान, 27 को दिव्य दरबार,लगेगी अर्जी

Bhopal Samachar

शिवपुरी। धर्म और राष्ट्रवाद की लहर के बीच, शिवपुरी में पहली बार श्री बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के मुखारविंद से भव्य श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हुआ। स्थानीय नर्सरी ग्राउंड, लुधावली परिसर में प्रारंभ हुई इस कथा के माध्यम से पूज्य महाराज श्री ने जातिवाद और छुआछूत को दरकिनार करते हुए 'राष्ट्रवाद' का उद्घोष किया।

कथा के प्रथम दिवस, पं. धीरेंद्र शास्त्री ने मंच पर वाल्मीकि समाज के लोगों का पताका पहनाकर सम्मान किया, जो सनातन एकता और सामाजिक समरसता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। हजारों की संख्या में धर्म प्रेमीजन 'सनातन का पताका फहराने' के लिए मौजूद रहे।

27 को लगेगा शिवपुरी में 'भव्य दिव्य दरबार
पं. धीरेंद्र शास्त्री ने इस भव्य आयोजन के साथ ही शिवपुरी के लिए एक बड़ी घोषणा की। उन्होंने बताया कि 27 नवंबर को कथा स्थल नर्सरी ग्राउंड पर ही 'भव्य दिव्य दरबार' लगाया जाएगा। उन्होंने शिवपुरी की धार्मिक महत्ता का बखान करते हुए इसे 'शिव की नगरी' और 'पागलों की नगरी' कहकर पुकारा, और जोर-शोर से 'जय-जय श्री राम सीताराम' के जयकारों से पूरे पंडाल को सराबोर कर दिया।

भागवत कथा का महत्व: भा से भक्ति, ग से ज्ञान
कथा के प्रथम दिवस पूज्य महाराज श्री ने श्रीमद् भागवत कथा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने भागवत शब्द की व्याख्या करते हुए बताया कि सात दिनों की कथा में भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य, और त से त्याग ही भागवत कथा है। महाराज श्री ने कहा कि उनका उद्देश्य यहां बैठे धर्मप्रेमी जनों को आस्तिक या नास्तिक नहीं, बल्कि वास्तविक बनाना है। उन्होंने भक्तों को सरलता से भगवान से जुड़ने का संदेश दिया। सोने की चेन पहनोगे तो चोरों की नजर रहेगी और तुलसी की माला पहनोगे तो चितचोर की नजर रहेगी।

उन्होंने कथा श्रवण के नियम बताए
भूमि पर बैठना, कथा विश्राम तक पीठ न दिखाना, ईर्ष्या का भाव न लाना, और सावधानी से कथा को दिल में बिठाना। कथा का विश्राम भजन मेरे दाता के दरबार में सब लोगों का खाता, जैसा जिसने कर्म किया है वैसा ही फल पाता है।